इंदौर: देशभर में ऑक्सीजन संकट के बीच मध्य प्रदेश के इंदौर के एक बुजुर्ग प्राणवायु ऑक्सीजन के जरिए जिंदगी बचाने की अनूठी सीख दे रहे हैं. बता दें, रंगवासा गांव के 68 वर्षीय राजेंद्र पाटीदार शुद्ध हवा और ऑक्सीजन के लिए पीपल के पेड़ पर अपना डेरा जमाए हैं. लिहाजा ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए सुबह से लेकर शाम तक जब भी उन्हें मौका मिलता है, वे कुर्सी लेकर पीपल के पेड़ पर चढ़ जाते हैं और घंटों तक वहीं बैठे रहते हैं. इस उम्र में भी राजेंद्र पाटीदार को पेड़ पर चढ़ने की महारथ हासिल है. पीपल के पेड़ पर डेरा डालने में राजेंद्र का पोता भी मदद करता है.
- 68 की उम्र में भी ऑक्सीजन लेवल 99
दरअसल पेशे से किसान राजेंद्र पाटीदार के घर के पास दो से तीन पीपल के पेड़ हैं. जिनमें एक पेड़ उनके घर से सटा हुआ है. जब उन्होंने सुना कि इंदौर में ऑक्सीजन की कमी से कई लोगों की मौत हो गई, तो उन्होंने प्राकृतिक तरीके से ऑक्सीजन लेने की अपनी इस अनूठी विधि को अपनाते हुए पीपल के पेड़ पर बैठने का फैसला किया. बीते 15 से 20 दिनों से वे पीपल पर ही डेरा जमा रहे हैं. राजेंद्र बताते हैं कि पेड़ पर बैठने से उनका ऑक्सीजन लेवल (spo2) 68 साल की उम्र में भी 99 बना हुआ है. वहीं, पेड़ पर चढ़ने और उतरने से वह दिनभर फुर्ती महसूस करते हैं. इसका श्रेय भी वे पीपल के पेड़ को देने से नहीं चूकते.
- परिवार भी कर रहा सहयोग
सुबह हो या शाम जब भी राजेंद्र पाटीदार को पेड़ पर जाना होता है, वे अपनी कुर्सी लेकर पेड़ पर आसानी से चढ़ जाते हैं. पेड़ पर ही आसन लगाकर शुद्ध ऑक्सीजन लेते हुए कपालभाती, प्राणायाम और योग भी कर लेते हैं. बीते 15 से 20 दिनों में पीपल के पेड़ पर संगत जमाने वाले राजेंद्र की इस पहल को देखकर ग्रामीण भी खासे खुश हैं. राजेंद्र का पीपल के पेड़ पर चढ़ना उनके परिवारवालों को काफी खतरे का काम लगता था, लेकिन अब स्थिति यह है कि उनके परिजन विरोध करने के बजाए पेड़ पर ही सारी सुविधाएं मुहैया कराने में पीछे नहीं हटते.
- कई बुजुर्ग हो रहे प्रेरित
उनका दावा है कि पीपल के पेड़ के साथ जो लोग प्राणवायु की जुगलबंदी करते हैं, उन्हें ना तो कोरोना हो सकता है न ही कभी उनका ऑक्सीजन लेवल घट सकता है. उन्होंने बताया उनकी देखादेखी अब गांव के कई बुजुर्ग भी इस तरह के प्रयास कर रहे हैं. ऐसा करने से उनका ऑक्सीजन लेवल भी ठीक हो जाएगा.
- पोता करता है दादा की मदद
ऐसा नहीं है कि राजेंद्र पाटीदार की इस पहल से आने वाली पीढ़ी कोई सीख ना ले रही हो. राजेंद्र के पोते ने भी दादा को पेड़ पर आसन लगाए बैठा देख दादाजी की मदद करने का फैसला किया है. लिहाजा राजेंद्र का पोता कनिष्क पाटीदार भी अब पीपल के पेड़ पर संगत का साथी बन चुका है. जब भी राजेंद्र पाटीदार पेड़ पर चढ़ते हैं और इस दौरान उन्हें किसी सामान की जरूरत होती है, तो कनिष्क ही उनकी तत्काल मदद करता है. फिलहाल राजेंद्र की इस पहल से पूरे गांव में यही संदेश मिल रहा है कि प्राणवायु का सबसे सुलभ और समृद्ध साधन जब अपने घर के आस-पास ही हो, तो फिर उनकी ही तरह छोटे से प्रयास के जरिए कोरोना वायरस के संकट से आसानी से मुक्ति पाई जा सकती है.
- पीपल के पेड़ के फायदे
- सांस संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या में पीपल का पेड़ आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है.
- पीपल के पत्तों का प्रयोग कब्ज या गैस की समस्या में दवा के तौर पर किया जाता है. इसे पित्त नाशक भी माना जाता है, इसलिए पेट की समस्याओं में इसका प्रयोग लाभप्रद हो सकता है.
- पीपल की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं और दांतों में दर्द की समस्या समाप्त हो जाती है.
- त्वचा पर होने वाली समस्याओं जैसे दाद, खाज, खुजली में पीपल के कोमल पत्तों को खाने या इसका काढ़ा बनाकर पीने से लाभ होता है. इसके अलावा फोड़े-फुंसी जैसी समस्या होने पर पीपल की छाल का घिसकर लगाने से फायदा होता है.
- शरीर के किसी हिस्से में घाव हो जाने पर पीपल के पत्तों का गर्म लेप लगाने से घाव सूखने में मदद मिलती है. इसके अलावा प्रतिदिन इस लेप का प्रयोग करने और पीपल की छाल का लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है और जलन भी नहीं होती.
- सर्दी-जुकाम जैसी समस्या में भी पीपल लाभदायक होता है.
- त्वचा का रंग निखारने के लिए भी पीपल की छाल का लेप या इसके पत्तों का प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा यह त्वचा की झुर्रियों को कम करने में भी मदद करता है.
- पीपल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, इसके कोमल पत्तों को नियमित रूप से चबाने पर तनाव में कमी होती है, और बढ़ती उम्र का असर भी कम होता है.
- नकसीर फूटने की समस्या होने पर पीपल के ताजे पत्तों को तोड़कर उसकर रस निकालकर नाक में डालने से बहुत फायदा होता है. इसके अलावा इसके पत्तों को मसलकर सूंघने से भी नकसीर में आराम होता है.
- एड़ियों के फटने की समस्या में भी पीपल आपकी काफी मदद कर सकता है. फटी हुई एड़ियों पर पीपल के पत्तों का दूध निकालकर लगाने से कुछ ही दिनों फटी एड़ियां ठीक हो जाती हैं और तालु नरम पड़ जाते हैं.
- पीलिया हो जाने पर पीपल के 3-4 नए पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर बनाए गए शरबत को पीना बेहद फायदेमंद होता है. इसे 3-5 दिन तक दिन में दो बार देने से लाभ होता है.
- पीपल के पके हुए फलों को सुखाकर बनाए गए चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से हकलाने की समस्या दूर होती है और वाणी में सुधार होता है.
(पीपल को किसी भी समस्या में इस्तेमाल करने से पहले चिकित्सक का परामर्श लेना आवश्यक है)