मालदा : देशभर में प्लास्टिक के उपयोग (Use of Plastics) को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. लोगों को जागरूक किया जा रहा है कोर्ट ने भी 50 माइक्रॉन (50 microns) से कम मोटाई वाली प्लास्टिक की चीजों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. लेकिन, लोग आज भी 50 माइक्रॉन से कम मोटाई वाली प्लास्टिक का उपयोग कर रहे हैं.
कुछ ऐसी ही पश्चिम बंगाल के मालदा (Malda of West Bengal) की स्थिति थी, जिसके बाद मालदा जिला प्रशासन (Malda Dictrict Administration) और इंग्लिशबाजार नगरपालिका ने सकारात्मक पहल शुरू कर दी. इसी क्रम में मालदा कस्बे के एक स्कूल ने इस दिशा में एक अनूठी पहल की है.
स्कूल में मध्याह्न भोजन को बायोडिग्रेडेबल ऑर्गेनिक (Biodegradable Organic) कैरी बैग में बच्चों के बीच बाटा जाता है. अधिकारियों को लगता है कि ऐसे गैर-प्लास्टिक कैरी बैग के उपयोग को प्रोत्साहित कर वे वास्तव में प्लास्टिक बैग के उपयोग को कम कर सकते हैं. साथ ही स्कूल के बच्चों और अभिभावकों को भी इस अभियान में शामिल किया जा रहा है.
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कोविड-19 (Covid-19) के कारण अकादमिक सत्र अब बंद है, लेकिन मध्याह्न भोजन अब भी वितरित होता है जिसे लेने के लिए अभिभावक आते हैं. लेकिन अब पहले की तरह प्लास्टिक की थैलियों में नहीं, बल्कि बायोडिग्रेडेबल थैलियों में भोजन बांटे जा रहे हैं. साथ ही स्कूल के शिक्षक अभिभावकों को प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग के परिणामों को लेकर जागरूक कर रहे हैं.
स्कूल के कार्यवाहक प्रधानाध्यापक (acting headmaster of the school) आशीष कुमार बसाक (Asish Kumar Basak) ने कहा कि एक शिक्षक के रूप में उन पर अपने छात्रों को प्लास्टिक के अत्यधिक उपयोग से होने वाले खतरे के बारे में जागरूक करने की जिम्मेदारी है.
बता दें कि यह स्कूल, अक्रूरमुनि कोरोनेशन फाउंडेशन, 1912 में स्थापित किया गया था. यह जिले के टॉप रैंकिंग वाले स्कूलों में से एक है. स्कूल के अकादमिक रिकॉर्ड काफी प्रभावशाली हैं. अब स्कूल के शिक्षक इस 'प्रकृति बचाओ' अभियान में शामिल हो गए हैं.