देहरादून: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रामदास आठवले ने उत्तराखंड सरकार द्वारा बनाए जा रहे समान नागरिक संहिता कानून का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार भी इसे जल्द ला सकती है. आठवले ने कहा कि 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू होने के बाद से लोगों की मांग है कि समान नागरिक संहिता होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सरकार की भूमिका है कि अगर लोगों की मांग है, तो समान नागरिक संहिता होनी चाहिए. यह मुस्लिमों के विरोध में भी नहीं है. यह संहिता देश के फायदे के लिए है. इसलिए समान नागरिक संहिता को भारत सरकार बहुत जल्द ला सकती है.
केंद्रीय मंत्री आठवले ने आगे कहा कि इससे जनसंख्या पर नियंत्रण हो सकता है और यह कानून मुसलमानों के विरूद्ध भी नहीं है. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज भी हमारा ही समाज है. उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास ही ऐसा है कि ढाई हजार साल पहले सम्राट अशोक के समय सब बौद्ध हो गए और शंकराचार्य के आने के बाद देश हिंदु बहुल हो गया तथा मुगलों के आने के बाद हिंदु समाज के लोग मुस्लिम बन गए. आठवले ने कहा कि बौद्ध मंदिरों की जगह हिंदु मंदिर बन गए और हिंदु मंदिरों की जगह मस्जिदें बन गईं.
पढ़ें: Uniform Civil Code: दिल्ली में हुई समिति की पहली बैठक, 6 माह से भीतर धामी सरकार को सौंपेगी रिपोर्ट
धामी सरकार ने समान नागरिक संहिता समिति का किया है गठन: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 23 मार्च को शपथ ग्रहण करते ही अपने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में समान नागरिक संहिता के प्रस्ताव को मंजूरी दी. सरकार ने कानून का मसौदा तैयार करने के लिए पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक पांच सदस्यीय समिति का गठन भी कर दिया है, जिसकी पहली बैठक भी हो चुकी है.
पहली बैठक के बाद रंजना प्रकाश देसाई ने कहा कि यह उनकी पहली बैठक थी. पहली बैठक में सभी सदस्य उपस्थित थे. पहली बैठक में समान नागरिक संहिता (uniform civil code) पर प्रारंभिक चर्चा हुई. दूसरी बैठक शायद एक सप्ताह के बाद होगी, जिसमें आगे की बैठकों को लेकर चर्चा होगी.
वहीं, इस मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस संबंध में एक समिति का गठन किया गया है. यह समिति सभी हितधारकों से बात करेगा और सुझाव लेगा. उत्तराखंड की जनता ने हमें जनादेश में अपना समर्थन दिया. इसका मसौदा तैयार होने के बाद हम इसे लागू करेंगे.