पटना : बिहार में महागठबंधन में नाराजगी का दौर चल रहा है. नीतीश 'INDIA' नाम से नाराज हैं, नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार न होने से कांग्रेस नाराज है और आरजेडी ट्रांसफर पोस्टिंग में नीतीश के अड़ंगों से परेशान है. वामदल शिक्षक नियमावली और कटिहार गोलीकांड से खफा है. इन सबके बीच एक बयान ने खलबली मचा दी. दरअसल, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले दो दिवसीय बिहार के दौरे पर हैं. उन्होंने बिहार आकर कहा कि ''नीतीश कभी भी हमारे साथ आ सकते हैं.. उन्हें मुंबई की बैठक में नहीं जाना चाहिए.''
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नीतीश को अठावले का सुझाव : ये कहने से पहले उन्होंने नीतीश कुमार के कामों को लेकर तारीफ की. बिहार में अच्छी सड़कें और विपक्षी दलों की बेंगलुरु वाली बैठक में इंडिया नाम से नाराज होकर बैठक से बाहर निकलने वाले प्रकरण को भी उन्होंने सराहा. रामदास अठावले ने नीतीश को सुझाव देते हुए कहा कि नीतीश कुमार को अब मुंबई की बैठक में नहीं जाना चाहिए. अठावले ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं, विपक्ष में कोई दम नहीं है.
''राहुल के दिए इंडिया नाम का नीतीश जी ने बेंगलुरु में विरोध कर मीटिंग से बाहर निकल आए थे. मेरा उनसे निवेदन है कि उन्हें अब मुंबई की विपक्षी एकता बैठक में नहीं जाना चाहिए. नीतीश के साथ मेरे अच्छे संबंध हैं. अटल जी की सरकार में जब वो रेल मंत्री थे तो मेरे उनके साथ अच्छे संबंध रहे हैं. मेरा नीतीश से बस इतना ही सवाल है कि जब उन्हें आरजेडी के साथ जाना ही था तो फिर हमारे साथ इधर क्यों आना था? जो हमारे साथ आते हैं वो भ्रष्टाचार छोड़कर आते हैं.''- रामदास अठावले, केंद्रीय मंत्री सह रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के अध्यक्ष
क्या फिर पलटने वाले हैं नीतीश? : अठावले के ये कहते ही कयासों का बाजार फिर गर्म हो गया. दरअसल नीतीश को सियासत का माहिर खिलाड़ी माना जाता है. जो परिस्थितियां बनीं हैं बहुत कुछ ऐसे ही हालात एनडीए गठबंधन के साथ नीतीश ने बना लिए थे. एक महीने की दूरी के बाद अचानक एक साल पहले गठबंधन तोड़ लिया. फिर एक साल बाद बहुत कुछ परिस्थिति एक जैसी ही नजर आ रही है. ऐसे में रामदास अठावले का निमंत्रण देना नीतीश के लिए मौका के रूप में माना जा रहा है.
'महाराष्ट्र जैसे बदलने चाहिए बिहार में हालात' : महाराष्ट्र के सियासी हालात पर अठावले ने कहा कि 70 हजार करोड़ घोटाले का आरोप उनपर है जो एनडीए गठबंधन के उधर रह गए. हमारे साथ जो आते हैं भ्रष्टाचार छोड़कर आते हैं. रामदास अठावले ने कहा कि एनसीपी और शिवसेना के पास अब कम लोग रह गए. नरेन्द्र मोदी पर वो जितना हमला करेंगे हम उतना मजबूत होंगे. बिहार में भी मुंबई जैसे राजनीतिक हालात होने चाहिए. एक तरह से अठावले ने नीतीश को ये समझाने की कोशिश भी की है कि आरजेडी का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल हो जाएं.
देश में एकजुटता की कोशिश, बिहार में मिल रहा झटका : दरअसल, 17 जुलाई को बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक हुई थी जिसमें 26 पार्टियों ने हिस्सा लिया. हालांकि, संयोजक नहीं बनाने और इंडिया नाम को लेकर हुए कथित विवाद के चलते प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक पहले नीतीश कुमार, लालू यादव और तेजस्वी यादव निकल गए थे. पटना पहुंचकर इसपर सफाई दी गई. लेकिन 18 जुलाई के बाद से ही बिहार में हलचल भी बढ़ी हुई है. कई मुद्दों पर महागठबंधन के दल आपस में उलझे हुए नजर आ रहे हैं.