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केंद्रीय मंत्री रूपाला ने आईआईटी दिल्ली को सूखे गोबर से लट्ठे बनाने वाली मशीन सौंपी - hands over machine to IIT Delhi for making cow dung logs

केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ( Union Minister Parshottam Rupala) ने आईआईटी दिल्ली को सूखे गोबर से लट्ठे (लॉग) बनाने वाली एक 'गो काष्ठ' मशीन सौंपी.

IIT Delhi
आईआईटी दिल्ली (फाइल फोटो)
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Published : May 6, 2022, 8:41 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ( Union Minister Parshottam Rupala) ने शुक्रवार को आईआईटी दिल्ली के प्रोजेक्ट अर्थ को सूखे गोबर से लट्ठे (लॉग) बनाने वाली एक 'गो काष्ठ' मशीन सौंपी. इसका मकसद भारत में दाह संस्कार की हिंदू प्रथा के तहत लकड़ियों के स्थान पर गाय के गोबर से बनी लकड़ियों का इस्तेमाल करना है. आईआईटी-दिल्ली के प्रोजेक्ट अर्थ और 'ईएनएसीटीयूएस' ने लकड़ी का विकल्प प्रदान करने की पहल की है जो जलने पर ज्यादा उत्सर्जन नहीं करता है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह मशीन प्रति दिन 3000 किलोग्राम गोबर का इस्तेमाल कर 1500 किलोग्राम गोबर के लट्ठे का उत्पादन कर सकती है. इस लकड़ी का इस्तेमाल 5 से 7 शवों के दाह-संस्कार के लिए सामान्य लकड़ी के स्थान पर किया जा सकता है और इस तरह हर दाह-संस्कार में जलाए जाने वाले करीब दो पेड़ों को बचाया जा सकता है.

बयान में कहा गया है कि इससे गौशालाओं को हर महीने 1.5 लाख से लेकर 1.7 लाख किलोग्राम गोबर का निस्तारण करने में मदद मिलेगी. गोबर आधारित लट्ठे बनाने वाली यह मशीन गौशालाओं को अपने कचरे के निस्तारण की समस्या को दूर करने में सहायक होगी और जिस स्थान पर इस मशीन को लगाया जाएगा, वहां रहने वाले और आसपास के गांव के निवासियों के लिए यह रोजगार का एक अतिरिक्त स्रोत बनेगी. इसके साथ ही यह वनों की कटाई को कम करने में भी मदद करेगी.

इसमें कहा गया है कि केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने प्रोजेक्ट अर्थ के छात्रों को 'गो काष्ठ' मशीन सौंपी. बयान के अनुसार दूध देना बंद कर चुकी गायों को भी इस तरह की मशीनों से आर्थिक गतिविधि में शामिल किया जा सकेगा और इस तरह गौशाला में रहने वाली सभी गायों की देखभाल के लिए धन पैदा किया जा सकेगा.

ये भी पढ़ें - ऊर्जा संकट के स्थायी हल के लिए पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने अपनाया सोलर मार्ग

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ( Union Minister Parshottam Rupala) ने शुक्रवार को आईआईटी दिल्ली के प्रोजेक्ट अर्थ को सूखे गोबर से लट्ठे (लॉग) बनाने वाली एक 'गो काष्ठ' मशीन सौंपी. इसका मकसद भारत में दाह संस्कार की हिंदू प्रथा के तहत लकड़ियों के स्थान पर गाय के गोबर से बनी लकड़ियों का इस्तेमाल करना है. आईआईटी-दिल्ली के प्रोजेक्ट अर्थ और 'ईएनएसीटीयूएस' ने लकड़ी का विकल्प प्रदान करने की पहल की है जो जलने पर ज्यादा उत्सर्जन नहीं करता है.

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह मशीन प्रति दिन 3000 किलोग्राम गोबर का इस्तेमाल कर 1500 किलोग्राम गोबर के लट्ठे का उत्पादन कर सकती है. इस लकड़ी का इस्तेमाल 5 से 7 शवों के दाह-संस्कार के लिए सामान्य लकड़ी के स्थान पर किया जा सकता है और इस तरह हर दाह-संस्कार में जलाए जाने वाले करीब दो पेड़ों को बचाया जा सकता है.

बयान में कहा गया है कि इससे गौशालाओं को हर महीने 1.5 लाख से लेकर 1.7 लाख किलोग्राम गोबर का निस्तारण करने में मदद मिलेगी. गोबर आधारित लट्ठे बनाने वाली यह मशीन गौशालाओं को अपने कचरे के निस्तारण की समस्या को दूर करने में सहायक होगी और जिस स्थान पर इस मशीन को लगाया जाएगा, वहां रहने वाले और आसपास के गांव के निवासियों के लिए यह रोजगार का एक अतिरिक्त स्रोत बनेगी. इसके साथ ही यह वनों की कटाई को कम करने में भी मदद करेगी.

इसमें कहा गया है कि केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने प्रोजेक्ट अर्थ के छात्रों को 'गो काष्ठ' मशीन सौंपी. बयान के अनुसार दूध देना बंद कर चुकी गायों को भी इस तरह की मशीनों से आर्थिक गतिविधि में शामिल किया जा सकेगा और इस तरह गौशाला में रहने वाली सभी गायों की देखभाल के लिए धन पैदा किया जा सकेगा.

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