नई दिल्ली : केंद्रीय आदिवासी कल्याण राज्यमंत्री रेणुका सिंह ने कहा कि आदिवासी छात्रों के लिए संचालित आवासीय विद्यालयों की दो योजनाओं को वित्त पोषित किया गया है. 1- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय. 2- आश्रम स्कूल का निर्माण.
उन्होंने कहा कि आश्रम योजना के तहत केंद्र सरकार के द्वारा साझा अनुपात के आधार पर राज्य सरकार को निर्माण अनुदान राशि दी गई है. अब तक देशभर में 1205 आश्रम स्कूल वित्त पोषित किए गए हैं. जिसके सभी प्रशासनिक प्रबंधन, खाद्य, शिक्षा एवं सुरक्षा सहित शैक्षणिक मुद्दों को संबंधित राज्य सरकार द्वारा देखरेख किया जाता है. एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना के तहत केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय द्वारा स्कूलों के निर्माण, उन्नयन एवं 6 से 12वीं कक्षा तक पढ़ने वाले सभी छात्रों में खर्च होने वाले व्यय की राशि जारी की जाती है.
उन्होंने कहा कि आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रत्येक छात्र प्रति वर्ष आने वाली लागत को साल 2017-18 में 42000 रुपये से बढ़ाकर 61,500 रुपये वर्ष 2018-19 में किया गया तथा वर्ष 2019-20 में इसे बढ़ाकर 10,9000 रुपये कर दिया गया है.
अतिरिक्त कक्षा का आयोजन कर, विशेष कोचिंग, शैक्षिक पर्यटन, एक्सपोजर विजिट, विशेष शिविर एवं खेल शिविर के माध्यम से छात्रों को सर्वोत्तम गुणवत्ता शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित एवं प्रेरित किया जाता है. राज्य स्तर पर नेशनल एजुकेशनल सोसाइटी फॉर ट्राइबल्स स्टूडेंट्स और राज्य/केंद्र शासित EMRS सोसाइटी के माध्यम से नियमित निगरानी की जा रही है ताकि इस योजना के तहत परिकल्पित भोजन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं सुरक्षित वातावरण आदि सुविधाओं की उपलब्धता छात्रों को सुनिश्चित की जा सके.
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की नीति के अनुसार आदिवासियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए सुदूर आदिवासियों स्थानों में साल 1998 में ही एकलव्य मॉडल विद्यालय की स्थापना की गई थी. उसी योजना को आगे बढ़ाते हुए योजना को नया रूप दिया गया है. जिसके तहत प्रत्येक प्रखंड में 50 फीसदी या उससे अधिक आदिवासी आबादी एवं 20 हजार या उससे अधिक आदिवासी व्यक्ति होने पर एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की सुविधा उपलब्ध होगी.
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यहां यह भी ध्यान रखा गया है कि आवासीय विद्यालय जनजातीय बस्तियों के नजदीक हो ताकि छात्र अपने जड़ों से जुड़े रहे एवं उनकी पहचान और संस्कृति बनी रहे. आदिवासी पहचान को बनाए रखने के लिए स्कूलों का डिजाइन भी उसी के अनुरूप किया जा रहा. लगभग 15 एकड़ जमीन में बनने वाले आवासीय विद्यालय खुला एवं मुक्त वातावरण प्रदान करता है ताकि छात्र कि पहचान, संस्कृति बनी रहे. इतना ही नहीं साल 2020-21 के दौरान इन आवासीय विद्यालयों के छात्रों के लिए स्कूल की वर्दी जनजातियों की जीवन संस्कृति और प्रकृति के साथ उनकी निकटता पर आधारित हो वैसा ही उस स्कूल ड्रेस दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी द्वारा डिजाइन किया गया है.