नई दिल्ली/पटना: केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि क्लाइमेट रेसिलिएंस इन्फॉर्मेशन सिस्टम एंड प्लानिंग (Climate Resilience Information System and Planning) टूल मनरेगा की ज्योग्राफिक इनफॉरमेशन सिस्टम (GIS) आधारित योजना जलवायु की जानकारी को जोड़ने में मदद करेगी.
उन्होंने आशा व्यक्त किया कि इस टूल (CRISP-M) से ग्रामीण समुदायों के लिए जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई संभावनाएं एवं अवसर के द्वार खुल जाएंगे. CRISP-M को ब्रिटिश सरकार और भारत के अंतरिक्ष मंत्रालय ने मिलकर तैयार किया है.
गिरिराज सिंह ने कहा, 'इस टूल का उपयोग पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 7 राज्यों (बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) में किया जा रहा है. जहां विदेशी राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय, ब्रिटिश सरकार और ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार संयुक्त रूप से जलवायु लचीलापन की दिशा में काम कर रहे हैं.'
गिरिराज सिंह ने कहा, 'गांव में मनरेगा का प्लान हम लोग करते हैं. खेती का काम करते हैं. इस टूल के जरिए हम लोग पहले ही अनुमान लगा पाएंगे कि कौन सा काम करें और कब करें. ताकि क्लाइमेट के कारण जो नुकसान होता है वह कम से कम हो. यह पहले ही पता चल जाएगा तो काम करने में सुविधा होगी. लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने में मदद मिलेगी. भारत के 2.69 लाख ग्राम पंचायतों में से 1.82 लाख ग्राम पंचायत के लिये GIS आधरित योजना पहले ही तैयार कर ली गई है.'
गिरिराज सिंह ने कहा कि 'केंद्र सरकार टेक्नोलॉजी के माध्यम से लोगों के जीवन का उत्थान कर रही है. जिओ टैगिंग व डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना का लाभ सही लाभार्थियों और अति संवेदनशील समुदाय तक पहुंचे.'
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