ETV Bharat / bharat

बिहार के किशनगंज में बूढ़ी काली मंदिर में पूजा करेंगे अमित शाह.. मूर्ति दान के लिए 21 साल की है वेटिंग - Amit Shah In Seemanchal

अपने सिमांचल दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) किशनगंज की प्रसिद्ध और प्राचीन बूढ़ी काली मंदिर (Kishanganj Budhi Kali mandir) का दर्शन भी करेंगे. इस मंदिर में मां काली की आराधना से विशेष मनोकामना सफल होती है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Sep 23, 2022, 6:24 PM IST

किशनगंजः केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने दो दिवसीय सीमांचल दौरे (Amit Shah in Seemanchal) पर आज बिहार आ रहे हैं. जहां वो शनिवार को किशनगंज भी जाएंगे. इस दौरान 24 सितंबर को अमित शाह किशनगंज की प्रसिद्ध और प्राचीन बूढ़ी काली मंदिर (Amit Shah Will worship In Budhi Kali Temple) का दर्शन भी करेंगे. ऐसी आस्था है कि इस मंदिर में मां काली की आराधना से विशेष मनोकामना सफल होती है. इस मंदिर में मूर्ति दान की परंपरा रही है. यहां अगले 25 वर्षों तक मूर्ति दान की बुकिंग हो चुकी है. इसके महत्व को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री भी यहां पूजा अर्चना करेंगे.

ये भी पढ़ेंः शाह के किशनगंज दौरे पर बोले AIMIM नेता...पिछड़े इलाके को अगर कोई पैकेज देने आ रहे हैं तो अच्छी बात है

1902 से पूर्व हुई थी मंदिर की स्थापनाः किशनगंज की ये मंदिर काफी प्राचीन मानी जाती है. मंदिर भवन में इसके स्थापित होने की तिथि भले ही सन 1902 अंकित है, लेकिन यह मंदिर उससे भी काफी पुरानी बताई जाती है. 1902 के सर्वे में इस मंदिर के मौजूद होने की पुष्टि की गई है, जिसका मतलब है कि इसकी स्थापना 1902 से पूर्व हुई थी. इस मंदिर में मूर्ति दान की परंपरा रही है. लेकिन मूर्ति दान के लिए भक्तों को कई वर्षों का इंतजार करना पड़ता है. यहां अगले 25 वर्षों तक मूर्ति दान की बुकिंग हो चुकी है. अगर आज कोई मूर्ति दान की इच्छा रखता है तो उसे 2047 साल तक प्रतीक्षा करनी होगी.

इसे भी पढ़ेंः जानें क्यों मिशन 2024 के लिए अमित शाह ने सीमांचल को चुना, करारा जवाब देने के लिए CM नीतीश तैयार

नवाब असद रजा ने दान की थी जमीनः बताया जाता है कि लगभग 250 साल पूर्व नवाब असद रजा ने इस मंदिर की स्थापना के लिए जमीन दान में दी थी. असद रजा इस क्षेत्र में पगला राजा के नाम से विख्यात हैं. असद रजा द्वारा मंदिर के लिए जमीन के दान करने के पीछे भी कई तरह के किस्से यहां प्रचलित हैं. किशनगंज शहर के लाइन मोहल्ला में स्थित मां बुढ़ी काली के इस प्राचीन मंदिर पर लोगों की अटूट श्रद्धा है और विश्वास वर्षों से बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर सिद्ध है और इसमें अनंत शक्ति विद्यमान है. बूढ़ी काली मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने पर मां काली भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

मनोकामना पूर्ण होने पर दी जाती है बलीः मंदिर के सिद्ध होने और शक्ति के विद्यमान होने के विश्वास के पीछे कई कहानियां भी प्रचलित हैं. इस मंदिर के प्रति भक्तों में इतनी श्रद्धा और विश्वास है कि यहां मूर्ति दान की होड़ लगी रहती है. अगर कोई मूर्ति दान की इच्छा रखता है तो उसे 21 साल तक प्रतीक्षा करनी होगी. बूढ़ी काली मंदिर में हर वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या को भव्य रूप में निशि पूजा होती है, जिसमें सुदूर क्षेत्रों से आए बड़ी संख्या में भक्त इस निशि पूजा में शामिल होते हैं. वर्तमान पुजारी मलय मुखर्जी के पूर्वजों द्वारा मंदिर में कई पीढ़ियों से पूजा करने की परंपरा कायम है. यहां बलि भी दी जाती है. मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त मां काली की प्रतिमा के समक्ष स्थापित बलि वेदी में मां काली को बलि अर्पित करते हैं.

मंदिर की दीवारों पर बनाई गई मधुबनी पेंटिंगः केंद्रीय मंत्री अमित शाह की आने की खुशी में ऐतिहासिक बूढ़ी काली मंदिर परिसर को हर प्रकार से सजाया गया है. मंदिर परिसर की दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग बनाई गई हैं. शहर की ही कुछ छात्राओं ने ही मंदिर की दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग बनाई है. सूत्रों के मुताबिक बूढ़ी काली मंदिर में आराधना के बाद गृहमंत्री का संभावित कार्यक्रम जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर टेढ़ागाछ प्रखंड में है, जहां नेपाल बॉर्डर है और गृहमंत्री वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेंगे.

किशनगंजः केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह अपने दो दिवसीय सीमांचल दौरे (Amit Shah in Seemanchal) पर आज बिहार आ रहे हैं. जहां वो शनिवार को किशनगंज भी जाएंगे. इस दौरान 24 सितंबर को अमित शाह किशनगंज की प्रसिद्ध और प्राचीन बूढ़ी काली मंदिर (Amit Shah Will worship In Budhi Kali Temple) का दर्शन भी करेंगे. ऐसी आस्था है कि इस मंदिर में मां काली की आराधना से विशेष मनोकामना सफल होती है. इस मंदिर में मूर्ति दान की परंपरा रही है. यहां अगले 25 वर्षों तक मूर्ति दान की बुकिंग हो चुकी है. इसके महत्व को देखते हुए केंद्रीय गृहमंत्री भी यहां पूजा अर्चना करेंगे.

ये भी पढ़ेंः शाह के किशनगंज दौरे पर बोले AIMIM नेता...पिछड़े इलाके को अगर कोई पैकेज देने आ रहे हैं तो अच्छी बात है

1902 से पूर्व हुई थी मंदिर की स्थापनाः किशनगंज की ये मंदिर काफी प्राचीन मानी जाती है. मंदिर भवन में इसके स्थापित होने की तिथि भले ही सन 1902 अंकित है, लेकिन यह मंदिर उससे भी काफी पुरानी बताई जाती है. 1902 के सर्वे में इस मंदिर के मौजूद होने की पुष्टि की गई है, जिसका मतलब है कि इसकी स्थापना 1902 से पूर्व हुई थी. इस मंदिर में मूर्ति दान की परंपरा रही है. लेकिन मूर्ति दान के लिए भक्तों को कई वर्षों का इंतजार करना पड़ता है. यहां अगले 25 वर्षों तक मूर्ति दान की बुकिंग हो चुकी है. अगर आज कोई मूर्ति दान की इच्छा रखता है तो उसे 2047 साल तक प्रतीक्षा करनी होगी.

इसे भी पढ़ेंः जानें क्यों मिशन 2024 के लिए अमित शाह ने सीमांचल को चुना, करारा जवाब देने के लिए CM नीतीश तैयार

नवाब असद रजा ने दान की थी जमीनः बताया जाता है कि लगभग 250 साल पूर्व नवाब असद रजा ने इस मंदिर की स्थापना के लिए जमीन दान में दी थी. असद रजा इस क्षेत्र में पगला राजा के नाम से विख्यात हैं. असद रजा द्वारा मंदिर के लिए जमीन के दान करने के पीछे भी कई तरह के किस्से यहां प्रचलित हैं. किशनगंज शहर के लाइन मोहल्ला में स्थित मां बुढ़ी काली के इस प्राचीन मंदिर पर लोगों की अटूट श्रद्धा है और विश्वास वर्षों से बना हुआ है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर सिद्ध है और इसमें अनंत शक्ति विद्यमान है. बूढ़ी काली मंदिर में सच्चे मन से पूजा करने पर मां काली भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.

मनोकामना पूर्ण होने पर दी जाती है बलीः मंदिर के सिद्ध होने और शक्ति के विद्यमान होने के विश्वास के पीछे कई कहानियां भी प्रचलित हैं. इस मंदिर के प्रति भक्तों में इतनी श्रद्धा और विश्वास है कि यहां मूर्ति दान की होड़ लगी रहती है. अगर कोई मूर्ति दान की इच्छा रखता है तो उसे 21 साल तक प्रतीक्षा करनी होगी. बूढ़ी काली मंदिर में हर वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या को भव्य रूप में निशि पूजा होती है, जिसमें सुदूर क्षेत्रों से आए बड़ी संख्या में भक्त इस निशि पूजा में शामिल होते हैं. वर्तमान पुजारी मलय मुखर्जी के पूर्वजों द्वारा मंदिर में कई पीढ़ियों से पूजा करने की परंपरा कायम है. यहां बलि भी दी जाती है. मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त मां काली की प्रतिमा के समक्ष स्थापित बलि वेदी में मां काली को बलि अर्पित करते हैं.

मंदिर की दीवारों पर बनाई गई मधुबनी पेंटिंगः केंद्रीय मंत्री अमित शाह की आने की खुशी में ऐतिहासिक बूढ़ी काली मंदिर परिसर को हर प्रकार से सजाया गया है. मंदिर परिसर की दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग बनाई गई हैं. शहर की ही कुछ छात्राओं ने ही मंदिर की दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग बनाई है. सूत्रों के मुताबिक बूढ़ी काली मंदिर में आराधना के बाद गृहमंत्री का संभावित कार्यक्रम जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर टेढ़ागाछ प्रखंड में है, जहां नेपाल बॉर्डर है और गृहमंत्री वहां की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.