नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पेट्रोल में एथनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण के लक्ष्य को पूर्व-निर्धारित समयसीमा से पांच साल पहले यानी 2025-26 तक पूरा करने की बुधवार को मंजूरी दे दी. यह कदम जैव ईंधन के उत्पादन में तेजी लाने और देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए आयातित तेल पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को हुई बैठक में जैव ईंधन की राष्ट्रीय नीति में संशोधन को मंजूरी दे दी.
इसमें प्रमुख संशोधन पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पूर्व की समयसीमा 2030 से पहले यानी 2025-26 तक हासिल करने से संबंधित है. वर्तमान में पेट्रोल में करीब 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाया जाता है. इसके अलावा जैव ईंधन के उत्पादन के लिए और कुछ और 'कच्चे माल' के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है. इनको को वाहन ईंधन में मिलाया जा सकता है. मंत्रिमंडल ने 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम के तहत देश में जैव ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देने की भी मंजूरी दी है.
अपनी कच्चे तेल संबंधी 85 प्रतिशत जरूरत के लिए आयात पर निर्भर भारत के लिए ये फैसले काफी मददगार होंगे और आयात पर देश की निर्भरता को कम करेंगे. बयान में कहा गया कि मंत्रिमंडल ने विशिष्ट मामलों में जैव ईंधन के निर्यात की मंजूरी देने पर भी सहमति जताई है. इसमें कहा गया कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को 2047 तक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के सपने को पूरा करने में मदद मिलेगी.
कैबिनेट ने सीपीएसई की इकाइयों, अनुषंगियों को बंद करने, विनिवेश करने का अधिकार निदेशक मंडलों को दिया : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) के निदेशक मंडलों को इकाइयों एवं उनकी अनुषंगिक इकाइयों को बंद करने, उनका विनिवेश करने संबंधी फैसले लेने का अधिकार दिया. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या होल्डिंग कंपनी के निदेशक मंडल को वर्तमान में कुछ शक्तियां प्राप्त हैं जिनके तहत वे वित्तीय संयुक्त उपक्रम या पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी इकाई स्थापित करने के लिए इक्विटी निवेश कर सकते हैं हालांकि इसमें भी शुद्ध संपत्ति संबंधी कुछ सीमाएं होती हैं.
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लेकिन निदेशक मंडलों को अनुषंगियों या इकाइयों या संयुक्त उपक्रमों में हिस्सेदारी को खत्म करने या विनिवेश करने का अधिकार नहीं होता, हालांकि कुछ महारत्न कंपनियों के पास इस तरह की सीमित शक्ति होती है कि वे अनुषंगियों में कुछ हिस्सेदारी का विनिवेश कर सकती हैं. संयुक्त उपक्रम में हिस्सेदारी बेचने, अनुषंगी या इकाइयों को बंद करने या उनकी कुछ हिस्सेदारी बेचने या रणनीति विनिवेश करने के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी की आवश्यकता होती है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, होल्डिंग कंपनी के निदेशक मंडल को अधिकार देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अब वे अनुषंगी/इकाई/संयुक्त उद्यम में हिस्सेदारी को बंद करने (खत्म करने), विनिवेश की प्रक्रिया की सिफारिश कर सकते हैं, इसे शुरू कर सकते हैं.'
(पीटीआई-भाषा)