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Union Budget Explained: केंद्रीय बजट में क्या होता है अनुदान की मांग?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) से 1 फरवरी को अगले वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च 2023 अवधि) के लिए केंद्रीय बजट पेश करने की उम्मीद (Expected to present Union Budget) है. इस साल संसद का पहला सत्र जिसे बजट सत्र भी कहा जाता है, में केंद्रीय बजट (Union Budget) पेश किया जा सकता है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता कृष्णानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट.

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प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Jan 10, 2022, 7:16 PM IST

Updated : Jan 10, 2022, 7:50 PM IST

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश कर सकती हैं. चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार का कुल व्यय 34.83 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इतनी बड़ी राशि खर्च करने के लिए बजट प्रस्तावों (budget proposals for spending the amount) को भारत के संविधान द्वारा अनिवार्य अनुदान मांगों के रूप में संसद में प्रस्तुत किया जाता है.

संविधान के अनुच्छेद 113 में कहा गया है कि व्यय का अनुमान भारत की समेकित निधि, जो वार्षिक वित्तीय विवरण या केंद्रीय बजट में शामिल है, और जिसे लोकसभा द्वारा मतदान करना आवश्यक है, अनुदान की मांगों के रूप में प्रस्तुत की जाएगी. अनुदान की इन मांगों को वार्षिक वित्तीय विवरण के साथ लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है.

एक सामान्य नियम के रूप में प्रत्येक मंत्रालय या विभाग जैसे अंतरिक्ष विभाग या परमाणु ऊर्जा विभाग या संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के लिए अनुदान की एक मांग प्रस्तुत की जाती है. हालांकि बड़े मंत्रालयों के लिए व्यय की प्रकृति के आधार पर अनुदान की एक से अधिक मांगें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं. उदाहरण के लिए बजट 2021-22 में अनुदान की 101 मांगें शामिल हैं.

केंद्र सरकार चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसे विधायिका के बिना केंद्र शासित प्रदेशों के बजट को भी मंजूरी देती है. ऐसे मामलों में विधायिका के बिना प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के लिए अनुदान की एक अलग मांग प्रस्तुत की जाती है. दिल्ली और पुडुचेरी जैसे विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेश अपना स्वयं का बजट केंद्र सरकार से स्वतंत्र रूप से पारित करते हैं.

अनुदान की मांग में क्या शामिल है

अनुदान की प्रत्येक मांग अलग से मतदान और प्रभारित व्यय का योग देती है. यह व्यय को राजस्व और पूंजीगत व्यय के रूप में भी वर्गीकृत करता है और फिर यह उस व्यय की राशि के आधार पर कुल योग देता है जिसके लिए मांग प्रस्तुत की जाती है. इसके बाद खाते के विभिन्न प्रमुख शीर्षों के तहत व्यय का अनुमान लगाया जाता है और वसूली की राशि भी दिखाई जाती है. जिसका अर्थ है कि सरकार के लिए किसी भी आय या प्राप्तियों का विवरण जो व्यय उत्पन्न करेगा.

उदाहरण के लिए अनुदान की मांग में एक नई सेवा या सेवा के नए साधन जैसे कि एक नई कंपनी का गठन या एक नई योजना शुरू करने का विवरण शामिल हो सकता है. प्रत्येक मांग में आम तौर पर एक सेवा के लिए आवश्यक कुल प्रावधान शामिल होता है. राजस्व व्यय, पूंजीगत व्यय, राज्य को अनुदान और के मद में प्रावधान होता है. उदाहरण के लिए ब्याज भुगतान, एक अलग विनियोग जो कि मांग से अलग है, उस व्यय के लिए प्रस्तुत किया जाता है.

लोकसभा द्वारा मतदान किया जाना आवश्यक

हालांकि किसी सेवा पर व्यय में व्यय की वोट और चार्ज दोनों मदें शामिल होती हैं. बाद वाले को भी उस सेवा के लिए प्रस्तुत मांग में शामिल किया जाता है लेकिन उस मांग में वोट और चार्ज किए गए प्रावधान अलग-अलग दिखाए जाते हैं.

नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश कर सकती हैं. चालू वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार का कुल व्यय 34.83 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. इतनी बड़ी राशि खर्च करने के लिए बजट प्रस्तावों (budget proposals for spending the amount) को भारत के संविधान द्वारा अनिवार्य अनुदान मांगों के रूप में संसद में प्रस्तुत किया जाता है.

संविधान के अनुच्छेद 113 में कहा गया है कि व्यय का अनुमान भारत की समेकित निधि, जो वार्षिक वित्तीय विवरण या केंद्रीय बजट में शामिल है, और जिसे लोकसभा द्वारा मतदान करना आवश्यक है, अनुदान की मांगों के रूप में प्रस्तुत की जाएगी. अनुदान की इन मांगों को वार्षिक वित्तीय विवरण के साथ लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है.

एक सामान्य नियम के रूप में प्रत्येक मंत्रालय या विभाग जैसे अंतरिक्ष विभाग या परमाणु ऊर्जा विभाग या संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय के लिए अनुदान की एक मांग प्रस्तुत की जाती है. हालांकि बड़े मंत्रालयों के लिए व्यय की प्रकृति के आधार पर अनुदान की एक से अधिक मांगें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं. उदाहरण के लिए बजट 2021-22 में अनुदान की 101 मांगें शामिल हैं.

केंद्र सरकार चंडीगढ़, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसे विधायिका के बिना केंद्र शासित प्रदेशों के बजट को भी मंजूरी देती है. ऐसे मामलों में विधायिका के बिना प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के लिए अनुदान की एक अलग मांग प्रस्तुत की जाती है. दिल्ली और पुडुचेरी जैसे विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेश अपना स्वयं का बजट केंद्र सरकार से स्वतंत्र रूप से पारित करते हैं.

अनुदान की मांग में क्या शामिल है

अनुदान की प्रत्येक मांग अलग से मतदान और प्रभारित व्यय का योग देती है. यह व्यय को राजस्व और पूंजीगत व्यय के रूप में भी वर्गीकृत करता है और फिर यह उस व्यय की राशि के आधार पर कुल योग देता है जिसके लिए मांग प्रस्तुत की जाती है. इसके बाद खाते के विभिन्न प्रमुख शीर्षों के तहत व्यय का अनुमान लगाया जाता है और वसूली की राशि भी दिखाई जाती है. जिसका अर्थ है कि सरकार के लिए किसी भी आय या प्राप्तियों का विवरण जो व्यय उत्पन्न करेगा.

उदाहरण के लिए अनुदान की मांग में एक नई सेवा या सेवा के नए साधन जैसे कि एक नई कंपनी का गठन या एक नई योजना शुरू करने का विवरण शामिल हो सकता है. प्रत्येक मांग में आम तौर पर एक सेवा के लिए आवश्यक कुल प्रावधान शामिल होता है. राजस्व व्यय, पूंजीगत व्यय, राज्य को अनुदान और के मद में प्रावधान होता है. उदाहरण के लिए ब्याज भुगतान, एक अलग विनियोग जो कि मांग से अलग है, उस व्यय के लिए प्रस्तुत किया जाता है.

लोकसभा द्वारा मतदान किया जाना आवश्यक

हालांकि किसी सेवा पर व्यय में व्यय की वोट और चार्ज दोनों मदें शामिल होती हैं. बाद वाले को भी उस सेवा के लिए प्रस्तुत मांग में शामिल किया जाता है लेकिन उस मांग में वोट और चार्ज किए गए प्रावधान अलग-अलग दिखाए जाते हैं.

Last Updated : Jan 10, 2022, 7:50 PM IST
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