नई दिल्ली : भारत में संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) ने कहा है कि शरणार्थी कार्ड व अन्य मामलों को लेकर जिन अफगान नागरिकों की अपील खारिज हो गई थी, वे डाक या ईमेल द्वारा लिखित आवेदन जमा कर सकते हैं. हालांकि, उन्हें बताना होगा कि वे अपने मामलों को फिर से खोलने का अनुरोध क्यों कर रहे हैं. बयान में कहा गया है कि आवेदकों से उनके आवेदनों के परिणाम पर सीधे और व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया जाएगा.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगान नागरिकों ने शरणार्थी दर्जा, पुराने मामलों को फिर से खोलने, तीसरे देशों में पुनर्वास, वैश्विक निकाय से सुरक्षा की मांग को लेकर नई दिल्ली में UNHCR दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया था, जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी ने यह कदम उठाया.
ईटीवी भारत से बात करते हुए, भारत में यूएनएचसीआर के सहायक विदेश संबंध अधिकारी कीरी अत्री (Kiri Atri) ने कहा, यूएनएचसीआर इंडिया (UNHCR India) द्वारा अफगान आवेदकों को पंजीकृत करना और शरणार्थी दर्जा निर्धारण का संचालन करना जारी है. अफगानिस्तान में वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यूएनएचसीआर ऐसा कर रहा है.
अफगान नागरिकों की शरणार्थी दर्जा देने की मांग पर उन्होंने कहा कि भारत में शरणार्थी और शरण चाहने वाले जिन्हें अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरत है, वे UNHCR या UNHCR के भागीदारों से संपर्क कर सकते हैं.
कीरी अत्री ने कहा, हम बहुत कमजोर व्यक्तियों को प्राथमिकता देते हुए, सहायता के लिए पंजीकरण और दस्तावेजीकरण के माध्यम से, अफगान शरणार्थियों और शरण चाहने वालों को अपना समर्थन बढ़ा रहे हैं. पंजीकृत शरणार्थियों के लिए भोजन, नकद सहायता, शिक्षा और मनोसामाजिक सहायता कार्यक्रम शामिल हैं.
अत्री के अनुसार, 15,467 अफगान शरणार्थियों और शरण चाहने वालों ने जुलाई 2021 तक UNHCR के साथ पंजीकरण कराया है.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के अनुसार, इस साल की शुरुआत से, संघर्ष और असुरक्षा के कारण 5,50,000 से अधिक अफगान नागरिक विस्थापित हुए हैं. अफगान नागरिक शरणार्थी का दर्जा नहीं मिलने की शिकायत करते रहे हैं, जो उन्हें सभी बुनियादी अधिकार प्रदान करता है. शरणार्थी संयुक्त राष्ट्र के निकाय से उन्हें रहने की आवश्यक सुविधा प्रदान करने का आग्रह करते हैं.
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शरणार्थी एजेंसी का कहना है कि सीमित धन के कारण, वह केवल सबसे कमजोर शरणार्थियों और शरण चाहने वालों को समर्थन को प्राथमिकता देने में सक्षम है और वह ऐसे शरणार्थियों और शरण चाहने वालों का समर्थन करने का प्रयास जारी रखती है.
तीसरी दुनिया के देशों में पुनर्वास विकल्पों के संबंध में अफगान नागरिकों द्वारा रखी गई मांगों के बारे में, यूएनएचसीआर ने कहा कि कुछ देशों ने हाल ही में उन अफगान नागरिकों के लिए अवसरों की घोषणा की है, जिन्होंने उन देशों के साथ काम किया है या उनसे संबद्ध थे.
एजेंसी ने कहा कि ये कार्यक्रम उन देशों द्वारा स्थापित किए गए हैं, यूएनएचसीआर लोगों को कार्यक्रमों या प्रक्रिया अनुप्रयोगों के लिए संदर्भित नहीं करता है. वैश्विक निकाय ने कहा कि वह नियमित रूप से अफगान शरणार्थियों और शरण चाहने वालों के संपर्क में है.
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तालिबान के सत्ता में आने के बाद, अफगानिस्तान में बहुत बड़ा मानवीय संकट देखने को मिल रहा है. अफगान नागरिक लगातार भय और अनिश्चितता में हैं, क्योंकि वे अपने भविष्य को लेकर पूरी तरह से चिंतित हैं. अब देखना यह होगा कि अगस्त के अंत तक अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से पूरी तरह से चले जाने के बाद क्या होता है.
भारत सहित कई देशों ने अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति को देखते हुए अपने नागरिकों और राजनयिक कर्मचारियों को निकालने का फैसला किया है. कई देशों ने कई अफगान शरणार्थियों को लेने पर भी विचार किया है.