कोंडागांव : आदिवासी क्षेत्र के ये बच्चे खेल के जरिए अपना भविष्य गढ़ रहे हैं. नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जहां एक समय में स्कूल जाना भी बच्चों के लिए मुश्किल था. वहां आज आईटीबीपी के जवानों की मदद से माड़ क्षेत्र के बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं. ईटीवी भारत आज आपको कोंडागांव जिले के बच्चों से रुबरु कराने जा रहा है. जिन्होंने आर्चरी जैसे मुश्किल खेल का प्रशिक्षण लेकर ओपन जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में अपना स्थान पक्का कर लिया है.
आईटीबीपी 41 बटालियन के कमांडेंट सुरेंदर खत्री के मार्गदर्शन में साल 2016 में यहां आर्चरी प्रशिक्षण की शुरुआत की गई. शुरुआती दिनों में आर्चरी का प्रशिक्षण बच्चों को देना ITBP के जवानों के लिए चैलेंजिंग था. जवान त्रिलोचन मोहंतो ने आर्चरी के प्रशिक्षण की शुरुआत की. माड़ क्षेत्र के यह बच्चे कोंडागांव जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं. ओपन जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में आर्चरी के छह खिलाड़ियों का चयन हुआ है. ये बच्चे देहरादून में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ की अगुवाई करेंगे.
आईटीबीपी के जवानों की ट्रेनिंग से तीरंदाजी में बच्चों ने कई खिताब जीते
- राष्ट्रीय स्तर पर 75 खिलाड़ियों ने तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया था, जिसमें 9 बच्चों ने मेडल जीता
- राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता में 175 खिलाड़ियों ने भाग लिया. जिसमें कुल 115 मेडल जीते.
31 जनवरी 2021 में रायपुर में हुए टूर्नामेंट में 4 खिलाड़ी रिकर्व में और 2 खिलाड़ियों का चयन कंपाउंड में जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है. ये खिलाड़ी उत्तराखंड के देहरादून में 7 मार्च से 15 मार्च तक चलने वाली प्रतियोगिता में शामिल होंगे.
क्या है कंपाउड और रिकर्व ?
कंपाउंड कहे जाने वाले आर्चरी इंस्ट्रूमेंट और रिकर्व इंस्ट्रूमेंट का निर्माण विदेशों में होता है. भारत में इसे खरीदने और उपयोग करने वालों की कमी होने के कारण इनका निर्माण यहां नहीं होता. इसे विदेशों से मंगाया जाता और यह काफी कीमती भी होता है. भारत के मणिपुर में इंडियन राउंड बो का प्रोडक्शन होता है, जिसका उपयोग आर्चरी में ट्रेनिंग करने वाले प्रशिक्षु करते हैं. रिकर्व और कंपाउंड वर्ल्ड क्लास लेवल के इंस्ट्रूमेंट होते हैं. जिनका उपयोग राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में किया जाता है. इंडियन राउंड के बो 7 से 8 हजार रुपये में मिल जाते हैं. जबकि यूएसए और कोरिया से रिकर्व और कंपाउंड बो एक लाख से तीन लाख कीमत के होते हैं.
कोच त्रिलोचन मोहंतो दे रहे कोचिंग
वर्तमान में बालक छात्रावास के 35 बच्चे और कस्तूरबा बालिका छात्रावास के 45 बच्चों को आईटीबीपी के कोच त्रिलोचन मोहंतो तीरंदाजी का प्रशिक्षण दे रहे हैं. कई छोटे बच्चे भी अब यहां बड़ी उत्सुकता के साथ तीरंदाजी का प्रशिक्षण लेने आर्चरी मैदान में पहुंचते हैं. अभिभावक भी उनके साथ बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए मौजूद रहते हैं. आर्चरी के इंस्ट्रूमेंट काफी महंगे होते हैं. लेकिन बच्चों की लगन देखकर कई पालकों ने उन्हें इंस्ट्रूमेंट उपलब्ध कराएं हैं. आईटीबीपी के सिविक एक्शन बच्चों को प्रैक्टिस के लिए इंस्ट्रूमेंट उपलब्ध कराते हैं.आईटीबीपी के कोच त्रिलोचन मोहंतो ने शुरुआत में खुद की राशि से आर्चरी के इंस्ट्रूमेंट खरीदे और तीरंदाजी सिखाना शुरू किया था. आईटीबीपी और सांसद निधि से अब बच्चों को इंस्ट्रूमेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं.
ओपन जूनियर राज्य स्तरीय तीरंदाजी प्रतियोगिता 31 जनवरी 2021 को बेमेतरा छत्तीसगढ़ में आयोजित की गई थी. कोंडागांव से 23 खिलाड़ियों ने भाग लिया. उन खिलाड़ियों में से 6 खिलाड़ी पदक विजेता रहे हैं.
विजेता खिलाड़ी
- 1 रजत पदक
- 5 कांस्य पदक
- रिकर्व राउंड में - रमिता शोरी, नेहा मरकाम, रोशन ओराम, मुकेश कोर्राम
- कम्पाउंड राउंड में - सनीला नेताम, स्मिता महंत
सभी खिलाड़ी फरवरी 7 से 15 तारीख तक ओपन जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता देहरादून में भाग लेंगे. ये खिलाड़ी छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेंगे.
बालिका खिलाड़ी कन्या छात्रावास और कस्तूरबा गांधी विद्यालय में रहती हैं. ये छात्राएं महात्मा गांधी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पढ़ाई करती हैं. बालक खिलाड़ी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत है. ये सभी खिलाड़ी घर से आना जाना कर रहे हैं.
इन बच्चों को 41 बटालियन आईटीबीपी के कमांडेंट पवन कुमार के मार्गदर्शन से कोच त्रिलोचन मोहंतो ट्रेनिंग देते हैं.