संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने चेतावनी दी है कि लैंगिक डिजिटल विभाजन लैंगिक असमानता का नया चेहरा बनता जा रहा है. महिलाएं और लड़कियां अब भेदभाव और पूर्वाग्रह के एक नए स्रोत का सामना करती हैं- डिजिटल तकनीक. UN Secretary General Antonio Guterres ने सोमवार को कहा कि आज की डिजिटल तकनीक अक्सर पुरुष-वर्चस्व वाले तकनीकी उद्योग द्वारा डिजाइन किए गए एल्गोरिदम का उपयोग करती है, जो पुरुष-वर्चस्व वाले डेटा पर आधारित है.
Antonio Guterres ने चेतावनी दी कि तथ्यों को प्रस्तुत करने और पक्षपात को खत्म करने के बजाय, अधूरे डेटा पर आधारित तकनीक और खराब तरीके से डिजाइन किए गए एल्गोरिदम लिंगवाद को डिजिटल बना रहे हैं और बढ़ा रहे हैं. अनिवार्य रूप से पुरुषों के डेटा पर आधारित चिकित्सा निर्णय महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं. पुरुषों के शरीर पर आधारित सेफ्टी फीचर्स महिलाओं की जान जोखिम में डाल सकते हैं. समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं की स्थिति पर आयोग के 67वें सत्र में नागरिक समाज के साथ टाउनहॉल बैठक में उन्होंने कहा कि पुरुषों के आंकड़ों पर आधारित नीतियां महिलाओं और लड़कियों को और भी पीछे छोड़ देंगी.
लैंगिक असमानता का नया चेहरा है लैंगिक डिजिटल विभाजन
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भविष्य की दुनिया को आकार देगा. उन्होंने कहा कि महिलाओं के समान इनपुट के बिना यह पुरुषों की दुनिया बनी रहेगी. लैंगिक डिजिटल विभाजन तेजी से लैंगिक असमानता का नया चेहरा बनता जा रहा है. गुटेरेस ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच प्रदान करके महिलाओं और लड़कियों के उत्थान के बजाय, तकनीक का उपयोग अक्सर निगरानी और तस्करी के माध्यम से उन्हें नुकसान पहुंचाने और नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
मर्दानगी के जहरीले रूप !
ऑनलाइन स्पेस महिलाओं और लड़कियों के लिए सुरक्षित नहीं हैं. लिंग आधारित हिंसा ऑनलाइन तेजी से बढ़ी है. संगठित अभियान महिला राजनेताओं, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को लक्षित करते हैं. महिलाओं को बदनाम करते हैं और लाखों युवकों और लड़कों को स्त्री द्वेष और मर्दानगी के जहरीले रूप दिखाते हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ अभियान चलाने वाले समूहों का डिजिटल प्लेटफॉर्म पर गर्मजोशी से स्वागत किया जाता है.
UN Secretary General Antonio Guterres ने कहा रूढ़ियां लड़कियों को विज्ञान, इंजीनियरिंग और गणित पढ़ने से दूर धकेलती हैं और महिला वैज्ञानिकों के करियर का गला घोंट देती हैं. महिलाओं को उनकी उपलब्धियों के लिए कम श्रेय दिया जाता है. पुरुषों की तुलना में कम शोध निधि प्राप्त होती है. उद्यम पूंजी निवेश का सिर्फ दो प्रतिशत महिलाओं द्वारा स्थापित स्टार्ट-अप में जाता है, यह बदलना चाहिए. नई तकनीकों का पुरुषवादी वर्चस्व महिलाओं के अधिकारों पर दशकों की प्रगति को नष्ट कर रहा है. लैंगिक समानता शक्ति का प्रश्न है. 100 से अधिक वर्षों के लिए, वह शक्ति धीरे-धीरे अधिक समावेशी होती जा रही थी. प्रौद्योगिकी अब उस प्रवृत्ति को उलट रही है. गुटेरेस ने कहा, यह फिर से पुरुषों के हाथों में अधिक शक्ति केंद्रित कर रहा है, सभी के लिए हानिकारक.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, आधी दुनिया की अंतर्दृष्टि और रचनात्मकता के बिना, वैज्ञानिक प्रगति अपनी आधी क्षमता को ही पूरा कर पाएगी. लेकिन उन्होंने चेताया कि बदलाव अपने आप नहीं आएगा. गुटेरेस ने कहा, हमें निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए. नीति निर्माताओं को महिलाओं और लड़कियों के समान अधिकारों और सीखने के अवसरों को बढ़ावा देकर, बाधाओं को खत्म करना चाहिए.
Antonio Guterres ने कहा, हमें 2030 तक सभी को, हर जगह इंटरनेट से जोड़ना होगा. किसी को पीछे न छोड़ने का मतलब किसी को भी ऑफलाइन नहीं छोड़ना है. लेकिन इंटरनेट कनेक्शन सिर्फ एक पहला कदम है. महिलाओं का समान प्रतिनिधित्व और भागीदारी राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक मॉडल जो आज भी काफी हद तक उन्हें बाहर कर देते हैं. हमें उन पितृसत्तात्मक संरचनाओं को ओवरहाल करने की आवश्यकता है, जो लैंगिक असमानता और विशेष रूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कायम हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि वर्षों की क्रमिक प्रगति के बाद, महिलाओं और लड़कियों के अधिकार रुक गए हैं और विपरीत दिशा में जा रहे हैं.
कम कमाती हैं, 10 गुना अधिक अवैतनिक कार्य करती हैं
Antonio Guterres ने कहा, हर क्षेत्र में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति बदतर है, वे कम कमाती हैं और 10 गुना अधिक अवैतनिक देखभाल कार्य करती हैं. खाद्य संकट का महिलाओं और लड़कियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो अक्सर खाने के लिए सबसे बाद में आती हैं और भूखी रहती हैं. जिन महिलाओं ने अपनी नौकरी खो दी और जिन लड़कियों ने अपनी नौकरी खो दी, उनके लिए कोविड-19 महामारी अभी खत्म नहीं हुई है. गुटेरेस ने कहा आज हम सभी को दुनिया में महिलाओं व लड़कियों को आगे बढ़ाना चाहिए, ताकि समाज का संतुलित विकास हो सके.
(आईएएनएस) (This is an agency copy and has not been edited by ETV Bharat)
ये भी पढ़ें: Period Myths : माहवारी से जुड़े भ्रमों के फेर में महिलाओं के बढ़ते कदमों को बांधना गलत