हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह की योजना बनाने और मेजबानी करने का आदेश दिए हैं. डब्ल्यूएचओ और संयुक्त राष्ट्र के क्षेत्रीय आयोगों को समय-समय पर इसकी मेजबानी करना अनिवार्य है. 2007 के बाद से 6वें संयुक्त राष्ट्र वैश्विक सड़क सुरक्षा सप्ताह का #लव 30 अभियान, यूएन ग्लोबल रोड सेफ्टी वीक (यूएनजीआरएसडब्ल्यू) डब्ल्यूएचओ द्वारा आयोजित एक द्विवार्षिक वैश्विक सड़क सुरक्षा अभियान है.
संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा सप्ताह 2021 के लिए थीम
6वें संयुक्त राष्ट्र वैश्विक यातायात सुरक्षा सप्ताह के लिए चुना गया नारा है 'सड़कों के लिए जीवन', जिसे इस वर्ष 17 से 23 मई के बीच मनाया जा रहा है. ताकि शहरों, कस्बों और दुनिया भर के गांव इससे जागरुक हो सके.
संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा सप्ताह का उद्देश्य
- वैश्विक एजेंडे पर सड़क सुरक्षा लाना और सुरक्षित सड़कों के लिए विश्व समुदाय की प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करना.
- जीवन को बचाने के लिए सिद्ध रणनीतियों पर कार्रवाई में तेजी लाने के तरीकों को परिभाषित करें.
दुनियाभर में सड़क दुर्घटनाएं
- मौतों की संख्या- दुनियाभर सड़क दुर्घटना में मरने वाले लोगों की संख्या का अनुमान हर साल लाखों का है.
- मौतों के प्रमुख कारण- सड़क यातायात दुर्घटनाएं सभी उम्र के लोगों के लिए वैश्विक स्तर पर मौत का आठवां प्रमुख कारण हैं और 5-29 वर्ष की आयु के बच्चों और युवा वयस्कों की मृत्यु का प्रमुख कारण हैं.
- आर्थिक बोझ– सड़क दुर्घटनाओं में किसी भी देश के जीडीपी का लगभग 3 फीसदी खर्च होता है.
दुनिया भर के आंकड़ों पर एक नजर
- सड़क यातायात दुर्घटनाओं के परिणामस्वरूप हर साल लगभग 1.35 मिलियन लोग सड़क हादसो के शिकार होते हैं.
- सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा ने 2020 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों और चोटों की वैश्विक संख्या को आधा करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है.
- सड़क यातायात दुर्घटनाओं में अधिकांश देशों को उनके सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत खर्च होता है.
- सभी सड़क यातायात मौतों में से आधे से अधिक असुरक्षित सड़क उपयोगकर्ताओं में से हैं: पैदल यात्री, साइकिल चालक और मोटरसाइकिल चालक.
- दुनियाभर के निम्न और मध्यम आय वाले देशों में सड़कों पर 93 प्रतिशत मौते होती है, भले ही इन देशों में कोरोना के 60 प्रतिशत वाहन हैं.
एक नज़र में भारत की तस्वीर
- विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के केवल एक प्रतिशत लोग वाहनों के साथ दुर्घटना के शिकार होते हैं, वहीं भारत में सड़क दुर्घटनाओं में वैश्विक मृत्यु का हिस्सा 11 प्रतिशत है, जो दुनिया में सबसे अधिक है.
- देश में प्रति वर्ष लगभग 4.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिसमें 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं.
- सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों और चोटों के मामले में भारत दुनिया में सबसे ऊपर है. 11 प्रतिशत हिस्सा सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों का है, हर घंटे 53 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. हर 4 मिनट में एक व्यक्ति मारा जाता है.
- पिछले एक दशक में भारतीय सड़कों पर 13 लाख लोगों की मौत हुई और 50 लाख अन्य घायल हुए.
- रिपोर्ट का अनुमान है कि दुर्घटना लागत 5.96 लाख करोड़ रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.14 प्रतिशत है.
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन का अनुमान है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं की सामाजिक-आर्थिक लागत 1,47,114 करोड़ रुपये है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद के 0.77 प्रतिशत के बराबर है.
- व्यक्तिगत स्तर पर सड़क दुर्घटना की चोटें और मौतें एक गंभीर वित्तीय बोझ डालती हैं और पूरे (गैर-गरीब) परिवारों को गरीबी में और पहले से ही गरीबों को कर्ज में धकेल देती हैं.
- मंत्रालय के अनुसार, सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों में से 76.2 प्रतिशत लोग अपनी मुख्य कार्य आयु 18-45 वर्ष के हैं.