नई दिल्ली : कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले के आरोपी और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को एक मामले में जमानत दे दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने उमर खालिद को जमानत दी है.
अभी उमर खालिद की रिहाई नहीं
कोर्ट के इस आदेश के बावजूद उमर खालिद जेल से रिहा नहीं हो सकता है क्योंकि उसके खिलाफ यूएपीए का मामला भी दर्ज है. कोर्ट ने उमर खालिद को खजूरी खास थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 101 में जमानत दी है. कोर्ट ने उमर खालिद को बीस हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है. साथ ही साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने और गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करने का आदेश दिया है. वहीं उमर खालिद को इलाके में शांति और सौहार्द्र के साथ रहने का निर्देश दिया है.
घटनास्थल पर मौजूदगी का कोई सबूत नहीं
कोर्ट ने कहा कि यह एक तथ्य है कि उमर खालिद घटनास्थल पर घटना के समय मौजूद नहीं था, न ही वह किसी सीसीटीवी फुटेज में देखा गया. कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद की न तो किसी स्वतंत्र गवाह ने पहचान की है और न ही पुलिस के किसी गवाह ने. यहां तक कि उमर खालिद की कॉल डिटेल रिकार्ड से भी ये नहीं साबित हो रहा है कि उमर खालिद घटनास्थल पर था.
8 जनवरी को शाहीन बाग में था उमर खालिद
कोर्ट ने कहा कि उमर खालिद का नाम सह-आरोपी ताहिर हुसैन के चौथे बयान के बाद सामने आया है. 8 जनवरी को उमर खालिद का कॉल डिटेल रिकॉर्ड बताता है कि वो शाहीन बाग में था. इसका मतलब ये नहीं है कि उसका हिंसा के अन्य आरोपियों से सीधा संबंध हो. यहां तक कि राहुल कसाना नामक व्यक्ति का बयान केवल यह कहता है कि उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी के बीच 8 जनवरी को मुलाकात हुई थी. कोर्ट ने कहा कि राहुल कसाना स्पेशल सेल की ओर से दर्ज एफआईआर नंबर 59 में भी गवाह है. एफआईआर नंबर 59 के बयान में राहुल कसाना ने उमर खालिद के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा है.
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खालिद, सैफी और ताहिर हुसैन के साथ दंगे की योजना बनाने का आरोप
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 जनवरी 2020 को शाहीन बाग में उमर खालिद, खालिद सैफी औऱ ताहिर हुसैन ने मिलकर दिल्ली दंगों की योजना बनाने के लिए मीटिंग की. इस दौरान ही उमर खालिद ने नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रदर्शनों में मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार और महाराष्ट्र में हिस्सा लिया और भड़काऊ भाषण दिए. इन भाषणों में उमर खालिद ने दंगों के लिए लोगों को भड़काया है.