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क्या गुलामी की मानसिकता से आजादी दिलवाएगा विक्रम विश्वविद्यालय, अब बच्चे पढ़ेंगे जो जीता वही विक्रमादित्य

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Published : Apr 20, 2023, 5:59 PM IST

मध्यप्रदेश के उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय ने एक नई पहल शुरू की है. विश्वविद्यालय के कुलपति ने फैसला लिया है कि हम अपने युवाओं को जो जीता वही सिकंदर की जगह जो जीता वही विक्रमादित्य पढ़ाएंगे.

Ujjain Vikramaditya University New Initiative
राजा विक्रमादित्य यूनिवर्सिटी की नई पहल

राजा विक्रमादित्य यूनिवर्सिटी की नई पहल

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अखिलेश कुमार पांडे ने कार्य परिषद की बैठक के दौरान युवाओं को प्रेरणा देने के उद्देश्य से एक ऐसा निर्णय लिया है, जो अब चर्चा का विषय बन गया है. कुलपति का कहना है कि बचपन से हम सुनते आए हैं कि जो जीता वही सिकंदर लेकिन अब विक्रम विश्वविद्यालय अपने छात्र-छात्राओं को जो जीता वही विक्रमादित्य मुहावरा पढ़ायेगा.

जो जीता वही विक्रमादित्या का मुहावरा: कुलपति डॉ अखिलेश कुमार पांडे का कहना है कि हमारी विरासत का गौरव सिकंदर नहीं बल्कि सम्राट विक्रमादित्य रहे हैं. कुलपति का मानना है कि इससे गुलामी की मानसिकता से आजादी मिलेगी और युवाओं को प्रेरणा मिलेगी. विक्रम विश्वविद्यालय भी सम्राट विक्रमादित्य के नाम से है. कार्यपरिषद की बैठक के दौरान कुलपति ने सभी प्रोफेसर को इस मुहावरे को पढ़ाने के निर्देश दिए हैं. हालांकि इसको लेकर अभी लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है. कुलपति ने कहा कि बुधवार को कार्यपरिषद की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया है जिसके बारे में शासन से भी अनुमति ली जाएगी. कुलपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को संबोधित करते हुए एक बार कहा था की वर्ष 2050 तक भारत विश्व गुरु बनेगा. कैसे बनेगा इसके लिए पांच संकल्प लिए गए. जिसमें दो सबसे महत्वपूर्ण थे. एक विरासत पर गर्व और दूसरा गुलामी से मुक्ति. जिसका जिक्र हमारे प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं.

King Vikramaditya
राजा विक्रमादित्य

युवाओं के लिए सिंकदर नहीं विक्रमादित्य होने चाहिए आइकॉन: कुलपति ने आगे कहा कि उसी संदर्भ में एक मुहावरा बहुत प्रचलित है, जो जीता वही सिकंदर. यह विश्वविद्यालय महान सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर है. इसीलिए हमने सोचा है कि कोई सिकंदर हमारे युवाओं के लिए आईकॉन नहीं है. सम्राट विक्रमादित्य हमारे लिए आदर्श हैं. यही कारण है कि हम बदल रहे हैं और कोशिश है कि यह मुहावरा अब प्रचलित हो जो जीता वही विक्रमादित्य. हम इसके लिए अब हमारे सभी पाठ्यक्रम में जो हिंदी के लोग हैं. उनको बुलाकर निर्देश देंगे कि जो जीता वही विक्रमादित्य पढ़ें. हमारी यह कोशिश है कि अब आने वाले समय में हमारी तरह ऐसी कई कहावतों को बदला जाने लगेगा.

राजा विक्रमादित्य यूनिवर्सिटी की नई पहल

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अखिलेश कुमार पांडे ने कार्य परिषद की बैठक के दौरान युवाओं को प्रेरणा देने के उद्देश्य से एक ऐसा निर्णय लिया है, जो अब चर्चा का विषय बन गया है. कुलपति का कहना है कि बचपन से हम सुनते आए हैं कि जो जीता वही सिकंदर लेकिन अब विक्रम विश्वविद्यालय अपने छात्र-छात्राओं को जो जीता वही विक्रमादित्य मुहावरा पढ़ायेगा.

जो जीता वही विक्रमादित्या का मुहावरा: कुलपति डॉ अखिलेश कुमार पांडे का कहना है कि हमारी विरासत का गौरव सिकंदर नहीं बल्कि सम्राट विक्रमादित्य रहे हैं. कुलपति का मानना है कि इससे गुलामी की मानसिकता से आजादी मिलेगी और युवाओं को प्रेरणा मिलेगी. विक्रम विश्वविद्यालय भी सम्राट विक्रमादित्य के नाम से है. कार्यपरिषद की बैठक के दौरान कुलपति ने सभी प्रोफेसर को इस मुहावरे को पढ़ाने के निर्देश दिए हैं. हालांकि इसको लेकर अभी लिखित आदेश जारी नहीं किया गया है. कुलपति ने कहा कि बुधवार को कार्यपरिषद की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया है जिसके बारे में शासन से भी अनुमति ली जाएगी. कुलपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को संबोधित करते हुए एक बार कहा था की वर्ष 2050 तक भारत विश्व गुरु बनेगा. कैसे बनेगा इसके लिए पांच संकल्प लिए गए. जिसमें दो सबसे महत्वपूर्ण थे. एक विरासत पर गर्व और दूसरा गुलामी से मुक्ति. जिसका जिक्र हमारे प्रधानमंत्री भी कर चुके हैं.

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युवाओं के लिए सिंकदर नहीं विक्रमादित्य होने चाहिए आइकॉन: कुलपति ने आगे कहा कि उसी संदर्भ में एक मुहावरा बहुत प्रचलित है, जो जीता वही सिकंदर. यह विश्वविद्यालय महान सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर है. इसीलिए हमने सोचा है कि कोई सिकंदर हमारे युवाओं के लिए आईकॉन नहीं है. सम्राट विक्रमादित्य हमारे लिए आदर्श हैं. यही कारण है कि हम बदल रहे हैं और कोशिश है कि यह मुहावरा अब प्रचलित हो जो जीता वही विक्रमादित्य. हम इसके लिए अब हमारे सभी पाठ्यक्रम में जो हिंदी के लोग हैं. उनको बुलाकर निर्देश देंगे कि जो जीता वही विक्रमादित्य पढ़ें. हमारी यह कोशिश है कि अब आने वाले समय में हमारी तरह ऐसी कई कहावतों को बदला जाने लगेगा.

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