उज्जैन। महाकाल मंदिर के आंगन में स्थापित किए गए 13 फीट ऊंचे 2 फीट व्यास वाले जल स्तंभ का आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने बुधवार को अनावरण किया. 60 किलो चांदी की परत से बने स्तंभ में चार वेदों की ऋचाओं को उकेरा गया है. महाकाल मंदिर प्रबंध समिति ने इसे बनवाया है. 5 दिसंबर से लगातार मंदिर में सुजलाम जल महोत्सव और चतुर्वेद पारायण हो रहा था. महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को महाकाल के दर्शन के साथ-साथ मंदिर के प्रांगण में लगे जल स्तंभ (Jal Stambh Ujjain) को भी देखने को मिलेगा. मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को जल का संरक्षण का संदेश देने के उद्देश्य से यह स्तंभ महाकाल मंदिर प्रांगण में स्थापित किया गया है.
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60 किलो चांदी से तैयार किया गया है स्तंभ: उज्जैन महाकाल मंदिर (Ujjain Mahakal Mandir) के अगले भाग में स्थापित किए गए जल स्तंभ को 60 किलो चांदी की कोटिंग से तैयार किया गया है. 13 फीट का यह जल स्तंभ पत्थरों से बना हुआ है जिस पर चारों ओर रंग बिरंगी लाइट भी लगाई गई है. यह देश का पहला जल स्तंभ है जिसे जल संरक्षण का महत्व समझाने के लिए स्थापित किया गया है. प्रत्येक ऋचा के साथ हिन्दी में उसका अनुवाद भी उकेरा गया है. जल कुंड के मध्य में जल स्तंभ स्थापित किया गया है. देश व दुनिया को जल का महत्व बताने के लिए जल स्तंभ स्थापित किया गया है. स्तंभ की खूबसूरती के लिए इसके आसपास फव्वारों को भी लगाया गया है.
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ऋचाओंं से जल संरक्षण का संदेश: शुद्ध चांदी से निर्मित "जल स्तम्भ" का निर्माण उज्जैन के कारीगरों ने 4 सप्ताह में तैयार किया है. पंचतत्वों में से एक "जल" तत्व के प्रतीक स्वरूप शुद्ध चांदी से निर्मित्त स्तम्भ पर चारो ओर वेदों की जल के महत्व को रेखांकित करती एक-एक ऋचा संस्कृत में व उसका सरल हिंदी में अनुवाद अंकित है. जो कि न सिर्फ "जल" के महत्व को बताती हैं अपितु आध्यात्मिक, धार्मिक पूर्णता को भी समाहित करती है.