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कर्नाटक के मराठी भाषी इलाकों को राज्य में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध : उद्धव

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि उनकी सरकार कर्नाटक के मराठी भाषी व सांस्कृतिक इलाकों को राज्य में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए बलिदान देने वालों के लिए यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी. वहीं, महाराष्ट्र के मंत्री राजेंद्र याद्रवकर रविवार को शहीद दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बेलगाम जा रहे थे, लेकिन कर्नाटक पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया.

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Published : Jan 17, 2021, 5:12 PM IST

Updated : Jan 17, 2021, 9:19 PM IST

उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार कर्नाटक के उन इलाकों को राज्य में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां मराठी भाषी लोगों की बहुलता है.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा कि इस उद्देश्य के लिए बलिदान देने वालों के लिए यह 'सच्ची श्रद्धांजलि' होगी.

महाराष्ट्र राज्य भाषायी आधार पर बेलगाम तथा अन्य इलाकों पर दावा जताता है, जो पूर्ववर्ती बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा थे, लेकिन अब कर्नाटक राज्य में आते हैं.

बेलगाम तथा कुछ अन्य सीमावर्ती इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करवाने के लिए संघर्ष कर रहे क्षेत्रीय संगठन महाराष्ट्र एकीकरण समिति ने उन लोगों की याद में 17 जनवरी को 'शहीदी दिवस' मनाया, जो इस उद्देश्य के लिए लड़ते हुए 1956 में मारे गए थे.

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट किया गया, 'सीमा विवाद में शहीद होने वाले लोगों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी, कर्नाटक के कब्जे वाले मराठी भाषी तथा सांस्कृतिक इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करना. हम इसके लिए एकजुट हैं और हमारी प्रतिज्ञा दृढ़ है. शहीदों के प्रति सम्मान जताते हुए यह वादा करते हैं.'

पढ़ें- गणतंत्र दिवस से पहले बेंगलुरु में आईएसआईएस आतंकी की हुई पहचान

कर्नाटक के बेलगाम, कारवार और निप्पनी इलाकों पर महाराष्ट्र यह कहकर दावा जताता है कि इन इलाकों में बहुसंख्यक आबादी मराठी भाषी है.

बेलगाम समेत अन्य सीमावर्ती इलाकों को लेकर दोनों राज्यों के बीच जारी विवाद कई वर्षों से उच्चतम न्यायालय में लंबित है.

कर्नाटक पुलिस ने मंत्री राजेंद्र याद्रवकर को बेलगाम जाने से रोका
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य राज्य मंत्री राजेंद्र याद्रवकर रविवार को शहीद दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बेलगाम जा रहे थे. लेकिन कर्नाटक पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया.

राजेंद्र महाराष्ट्र एकीकरण समिति के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने बेलगाम जा रहे थे, जिन्होंने एकजुट महाराष्ट्र के लिए अपनी जान दे दी. इस दौरान उन्हें एनएच-4 पर निपानी में कोग्नोली टोल प्लाजा पर रोक दिया गया. याद्रवकर के साथ, महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कई सदस्य भी मौजूद थे.

पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने जा रहे हैं, इसलिए पुलिस हमें नहीं रोक सकती.

हालांकि, पुलिस ने सभी को यह कहते हुए रोक दिया कि हम आपको जाने नहीं दे सकते. इसके बाद सभी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी और कहा, 'बेलगाम हमारा है, किसी के बाप का नहीं.'

17 जनवरी, 1956 में बेलगाम, कारवार और बीदर के मराठी गांवों को तत्कालीन मैसूर राज्य में शामिल कर दिया गया था. तब से सीमावर्ती क्षेत्रों के मराठी भाषी लोग महाराष्ट्र के साथ जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार कर्नाटक के उन इलाकों को राज्य में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां मराठी भाषी लोगों की बहुलता है.

मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा कि इस उद्देश्य के लिए बलिदान देने वालों के लिए यह 'सच्ची श्रद्धांजलि' होगी.

महाराष्ट्र राज्य भाषायी आधार पर बेलगाम तथा अन्य इलाकों पर दावा जताता है, जो पूर्ववर्ती बॉम्बे प्रेसिडेंसी का हिस्सा थे, लेकिन अब कर्नाटक राज्य में आते हैं.

बेलगाम तथा कुछ अन्य सीमावर्ती इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करवाने के लिए संघर्ष कर रहे क्षेत्रीय संगठन महाराष्ट्र एकीकरण समिति ने उन लोगों की याद में 17 जनवरी को 'शहीदी दिवस' मनाया, जो इस उद्देश्य के लिए लड़ते हुए 1956 में मारे गए थे.

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट किया गया, 'सीमा विवाद में शहीद होने वाले लोगों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी, कर्नाटक के कब्जे वाले मराठी भाषी तथा सांस्कृतिक इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करना. हम इसके लिए एकजुट हैं और हमारी प्रतिज्ञा दृढ़ है. शहीदों के प्रति सम्मान जताते हुए यह वादा करते हैं.'

पढ़ें- गणतंत्र दिवस से पहले बेंगलुरु में आईएसआईएस आतंकी की हुई पहचान

कर्नाटक के बेलगाम, कारवार और निप्पनी इलाकों पर महाराष्ट्र यह कहकर दावा जताता है कि इन इलाकों में बहुसंख्यक आबादी मराठी भाषी है.

बेलगाम समेत अन्य सीमावर्ती इलाकों को लेकर दोनों राज्यों के बीच जारी विवाद कई वर्षों से उच्चतम न्यायालय में लंबित है.

कर्नाटक पुलिस ने मंत्री राजेंद्र याद्रवकर को बेलगाम जाने से रोका
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य राज्य मंत्री राजेंद्र याद्रवकर रविवार को शहीद दिवस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बेलगाम जा रहे थे. लेकिन कर्नाटक पुलिस ने उन्हें जाने से रोक दिया.

राजेंद्र महाराष्ट्र एकीकरण समिति के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने बेलगाम जा रहे थे, जिन्होंने एकजुट महाराष्ट्र के लिए अपनी जान दे दी. इस दौरान उन्हें एनएच-4 पर निपानी में कोग्नोली टोल प्लाजा पर रोक दिया गया. याद्रवकर के साथ, महाराष्ट्र एकीकरण समिति के कई सदस्य भी मौजूद थे.

पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद कार्यकर्ताओं ने कहा कि हम शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने जा रहे हैं, इसलिए पुलिस हमें नहीं रोक सकती.

हालांकि, पुलिस ने सभी को यह कहते हुए रोक दिया कि हम आपको जाने नहीं दे सकते. इसके बाद सभी कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी और कहा, 'बेलगाम हमारा है, किसी के बाप का नहीं.'

17 जनवरी, 1956 में बेलगाम, कारवार और बीदर के मराठी गांवों को तत्कालीन मैसूर राज्य में शामिल कर दिया गया था. तब से सीमावर्ती क्षेत्रों के मराठी भाषी लोग महाराष्ट्र के साथ जाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

Last Updated : Jan 17, 2021, 9:19 PM IST
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