रांची: यूको बैंक के रांची स्थित धुर्वा ब्रांच के कारनामें एक-एक कर सामने आ रहे हैं. 12 अक्टूबर को ईटीवी भारत द्वारा पब्लिश खबर में बताया गया था कि कैसे महज 2 साल और 4 माह के भीतर यूको बैंक के इस ब्रांच का सालाना कारोबार 50 करोड़ से बढ़कर 500 करोड़ से ज्यादा का हो गया. शुरुआती इंटरनल जांच में ही हैदराबाद से आई विजिलेंस टीम के रिकमेंडेशन पर चीफ ब्रांच मैनेजर राजीव चौधरी सस्पेंड किए जा चुके हैं. अब पूरे मामले की जांच हेड ऑफिस, कोलकाता के ईस्टर्न रीजन की विजिलेंस हेड रंजना घोष के नेतृत्व में हो रही है.
जोनल हेड विक्रांत टंडन को हटाने की सिफारिश: सूत्रों के मुताबिक विजिलेंस हेड रंजना घोष ने हेड ऑफिस को बता दिया है कि जोनल हेड विक्रांत टंडन को हटाए बगैर निष्पक्ष जांच संभव नहीं है. इसकी वजह भी साफ है. दरअसल, चीफ ब्रांच मैनेजर के लेवल पर संपत्ति के कागजात मॉर्गेज कर एक करोड़ तक का लोन देने का पावर है. इससे ऊपर की राशि के लिए जोनल ऑफिस में जेडएलसीसी यानी जोनल लेवल क्रेडिट कमेटी का अप्रूवल जरूरी होता है. कमेटी के अप्रूवल के बाद फाइनल मुहर जोनल हेड लगाते हैं. आमतौर पर जोनल हेड के अप्रूवल पर हेड ऑफिस ज्यादा ताक-झांक नहीं करता. इसलिए विजिलेंस हेड रंजना घोष अच्छी तरह समझ रही हैं कि पूरे खेल की रूपरेखा कहां तैयार हो रही थी. पूरे प्रकरण में एक सबसे खास और चौंकाने वाली बात यह है कि धुर्वा स्थित यूको बैंक ब्रांच के चीफ मैनेजर के रूप में पोस्टिंग से पहले सस्पेंडेड राजीव चौधरी कोलकाता स्थित हेड ऑफिस के फाइनेंस डिपार्टमेंट में सेवारत थे. लिहाजा पूरे खेल में शक की सूई हेड ऑफिस की ओर भी इशारा कर रही है.
दूसरे वैल्यूअर से कराया जा रहा आकलन: सूत्रों के मुताबिक बहुत जल्द यूको बैंक के जोनल हेड विक्रांत टंडन को हटा दिया जाएगा. फिलहाल राजीव चौधरी के कार्यकाल में संपत्ति के बदले जितने भी लोन जारी किए गए हैं, उन तमाम संपत्तियों का कई दूसरे वैल्यूअर से आकलन कराया जा रहा है. इसकी रिपोर्ट दो से तीन दिन के भीतर तैयार होने की उम्मीद है. रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो जाएगा कि यूको बैंक में क्या खेल चल रहा था. अंदेशा यह भी है कि यूको बैंक के दूसरे ब्रांच में भी इस तरह का घालमेल कर कर्जदारों को फायदा पहुंचाया गया होगा.
कुछ बैंकर्स ने नाम नहीं लेने की शर्त पर बताया कि अपना परफॉर्मेंस साबित करने के लिए जोनल हेड जेडएलसीसी पर लोन अप्रूवल के लिए दबाव डालते हैं. चुकी जेडएलसीसी में कई स्तर के अधिकारी होते हैं इसलिए सभी के अप्रूवल के बाद जोनल हेड का मुहर लगता है. भविष्य में घालमेल का खुलासा होने पर पूरा ठिकरा जेडएलसीसी पर फोड़ दिया जाता है.
यूको बैंक लोन घोटाला पार्ट- 1: जो पाठक पार्ट- 1 रिपोर्ट नहीं पढ़ पाए हैं उनके लिए कुछ बैकग्राउंडर साझा करना जरूरी है. जैसा कि पहले पैराग्राफ में ही बताया गया है कि रांची के धुर्वा स्थित यूको बैंक के ब्रांच का सालाना कारोबार महज सवा दो साल में 50 करोड़ से बढ़कर 500 करोड़ से ज्यादा का हो गया है. इसकी शुरुआती जांच हैदराबाद की विजिलेंस टीम ने की थी. इस मामले में सस्पेंडेड चीफ ब्रांच मैनेजर राजीव चौधरी का भी पक्ष पूछा गया था. उन्होंने जवाब में कहा था कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि बड़े लोन में हेड ऑफिस की भागीदारी होती है.
वहीं, जोनल हेड विक्रांत टंडन से जब फोन पर इस घालमेल के बारे में पूछा गया तो उनका दो टूक जवाब था कि वह इस मसले पर कुछ नहीं बोल सकते. उन्होंने फोन करने के लिए धन्यवाद कहकर पल्ला झाड़ लिया था. इस पूरे प्रकरण में यह बताने की कोशिश की जा रही है कि संपत्ति के बदले जिनको भी लोन दिया गया है, उन सभी के अकाउंट स्टैंडर्ड मोड में हैं यानी कोई भी अकाउंट एनपीए नहीं हुआ है. लेकिन सवाल है कि आगे चलकर अगर कर्जदार लोन चुकाने से मुकर जाएं तो बैंक अपने नुकसान की भरपाई कैसे कर पाएगा. इसकी गारंटी कौन लेगा. क्योंकि संपत्ति का ज्यादा वैल्यूएशन दिखाकर लोन दिया गया है. इस लिस्ट में धनबाद के एक कारोबारी पर हॉस्पिटल निर्माण के बदले लोन देने में सबसे ज्यादा मेहरबानी की बात भी सामने आ रही है.
फिलहाल ईटीवी भारत के पास इस ब्रांच से जुड़े कई और करनामें हैं, जिनको पार्ट- 3 के जरिए आपके सामने लाया जाएगा.