श्रीनगर: उत्तराखंड में कुदरत का रौद्र रूप रुकने का नाम नहीं ले रहा है. पौड़ी जिले के श्रीनगर तहसील क्षेत्र में बीती देर रात रितपुरा और जोगड़ी गांवों में जमकर बारिश हुई. कुछ अनहोनी के डर से लोगों की रातों की नींद उड़ी हुई थी. दोनों गांवों में करीब 70 से 80 खेत जमींंदोज हो गए.
बारिश से हुई तबाही का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोनों गांवों को जाने वाले रास्ते भी पूरी तरह से टूट गये हैं. इसके अलावा बिजली और पानी की लाइनें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं. श्रीनगर से प्रशासन की टीम मौके पर पहुंच गई और आपदा की वजह से हुए नुकसान का जायजा ले रही है.
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प्रशासन के मुताबिक दोनों गांवों में रात 12 बजे बादल फटने की सूचना मिली थी. उपजिलाधिकारी श्रीनगर अजयवीर सिंह अपनी टीम के साथ रितपुरा और जोगड़ी गांव पहुंच गए हैं. प्रशासन ने पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है. अधिकारियों को सभी के मुआवजे को लेकर पत्रावलियों को तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं.
ऐसे फटते हैं बादल: उत्तराखंड में हाल के दिनों में बादल फटने की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक जब एक जगह पर अचानक एक साथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं. आम आदमी के लिए बादल फटना वैसा ही है, जैसा किसी पानी भरे गुब्बारे को अचानक फोड़ दिया जाए. वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल फटने की घटना तब होती है. जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर रुक जाते हैं. वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं.
बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है. फिर अचानक भारी बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश हो सकती है. पानी से भरे बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं. पहाड़ों की ऊंचाई की वजह से बादल आगे नहीं बढ़ पाते. फिर अचानक एक ही स्थान पर तेज बारिश होने लगती है. चंद सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है. पहाड़ों पर अमूमन 15 किमी की ऊंचाई पर बादल फटते हैं. पहाड़ों पर बादल फटने से इतनी तेज बारिश होती है, जो सैलाब बन जाती है.