यमुनानगर: कोरोना के बाद मंकीपॉक्स ने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. ताजा मामला हरियाणा के यमुनानगर से है. जहां मंकीपॉक्स के दो संदिग्ध मरीज मिले (monkeypox patient found in yamunanagar) हैं. दोनों संदिग्ध मरीजों को सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में (Civil Hospital Yamunanagar) भर्ती कराया गया है. दोनों संदिग्ध भाई-बहन बताए जा रहे हैं.
डेढ़ और ढाई साल है बच्चों की उम्र: मंकीपॉक्स की चपेट में आए दोनों बच्चे जिसमें एक की उम्र एक ढाई साल है और दूसरी की उम्र लगभग डेढ़ साल बताई जा रही है. बच्चों के परिजनों के मुताबिक बच्चों को 12 दिनों से बुखार आ रहा था. इसके बाद बच्चों के शरीर में चकत्ते पड़ने शुरू हो गए. परिजनों ने बताया कि टीवी में मंकीपॉक्स के लक्षण देखे थे. लिहाजा इसकी जानकारी परिजनों ने यमुनानगर कंट्रोल रूम में दी.
सूचना के बाद यमुनानगर के सीएमओ डॉ. मंजीत सिंह ने तुरंत विभागीय टीमों को अलर्ट किया और एंबुलेंस से परिवार के दोनों बच्चों सहित उनके माता-पिता को सिविल अस्पताल में लाया गया. अस्पताल में परिजनों को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है. इस दौरान सीएमओ डॉ. मंजीत सिंह ने प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा करने के साथ ही एम्स के अधिकारियों के साथ भी बातचीत की.
इसके बाद सैंपल लेकर स्वास्थ्य कर्मचारी को व्यक्तिगत रूप से एम्स रवाना किया. सीएमओ डॉ. मंजीत सिंह ने बताया कि बच्चों की हालत स्थिर है. उनका प्रोटोकॉल के मुताबिक नियमानुसार ट्रीटमेंट शुरू कर दिया गया है. उन्होंने एम्स के अधिकारियों से भी आग्रह किया कि जल्द से जल्द इसकी रिपोर्ट भेजी जाए. जिससे आगे की कार्रवाई उसी हिसाब से की जा सके.
4 जुलाई को मिला था केरल में पहला केस: केरल में 14 जुलाई को मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था. मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि खुद केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने की थी. वह यूएई से लौटा था. मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने के बाद उसे केरल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी.
मंकीपॉक्स क्या है? (What is monkeypox?) : मंकीपॉक्स एक वायरस है, जो रोडेन्ट और प्राइमेट जैसे जंगली जानवरों में पैदा होता है. इससे कभी-कभी मानव भी संक्रमित हो जाता है. मानवों में अधिकतक मामले मध्य और पश्चिम अफ्रीका में देखे गए है, जहां यह इन्डेमिक बन चुका है. इस बीमारी की पहचान सबसे पहले वैज्ञानिकों ने 1958 में की थी, जब शोध करने वाले बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप हुए थे, इसलिए इसे मंकीपॉक्स कहा जाता है. मानव में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में मिला था, जब कांगो में रहने वाला 9 साल बच्चा इसकी चपेट में आया था. मंकीपॉक्स का मनुष्य से मनुष्य संचरण मुख्य रूप से सांस के जरिए होता है. इसके लिए लंबे समय तक निकट संपर्क की आवश्यकता होती है. यह शरीर के तरल पदार्थ या घाव सामग्री के सीधे संपर्क के माध्यम से और घाव सामग्री के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है.
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मंकीपॉक्स के लक्षण: बताते चलें कि मंकीपॉक्स भी चेचक परिवार के वायरसओं का हिस्सा है. हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षण (symptoms of monkeypox) चेचक यानी कि स्मॉल पॉक्स की तरह गंभीर नहीं बल्कि हल्के होते हैं. लेकिन इसका चिकन पॉक्स से लेना देना नहीं है. यह बीमारी संक्रमण की चपेट में आने के 20 दिनों के बाद शरीर में असर दिखाना शुरू करता है. इसमें शरीर पर पॉक्स जैसी मवाद भरे दाने होने के साथ सिर दर्द, बुखार, थकान, मांसपेशियों में दर्द, कपकपी छूटना, पीठ और कमर में दर्द महसूस होते हैं.