पणजी: गोवा विधानसभा चुनाव (Goa Assembly elections) में बीजेपी ने 20 सीटें जीती हैं. महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (Maharashtrawadi Gomantak Party (MGP)) के 2 और 3 निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा का समर्थन किया. अस्थिर गोवा में पहली बार भाजपा 25 विधायकों के साथ मजबूत स्थिति में है. लेकिन अब बीजेपी के सामने एक और अंदरूनी चुनौती है. भाजपा के भीतर दो गुट चीजों को और जटिल बना रहे हैं. एक समूह प्रमोद सावंत (Pramod Sawant) का और दूसरा समूह विश्वजीत राणे (Vishwajeet Rane) का समर्थक है. विश्वजीत ने हाल ही में गोवा के राज्यपाल पी. एस. श्रीधरन पिल्लई (Goa Governor P. S. Sridharan Pillai) से मुलाकात की.
तभी से चर्चा है कि उनका नाम भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में है. गोवा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 20 सीटें मिली थीं. दक्षिण गोवा में एक बड़ा वर्ग ईसाई मतदाताओं का है. इसलिए बीजेपी को सिर्फ उत्तरी गोवा से उम्मीद थी. लेकिन चुनाव एक अलग राजनीतिक समीकरण लेकर आया है. बीजेपी को उत्तरी और दक्षिण गोवा में 10-10 सीटें मिली. ईसाई बहुल इलाकों में भी भाजपा को अच्छा सर्मथन मिला. हालांकि तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने भाजपा के लिए मार्ग प्रशस्त किया.
चुनाव पूर्व अभ्यास
मतगणना से पहले एग्जिट पोल में बीजेपी को 15-16 और कांग्रेस को 17-18 सीटें मिलने का अनुमान था. विशेष रूप से अनुमान लगाया गया था कि एमजीपी को 5-7 सीटें मिलेंगी. तो एमजीपी किंग मेकर की भूमिका में आ सकते थे. एमजीपी के सुदीन धवलीकर ने कांग्रेस और भाजपा नेताओं के साथ बैठक की थी. बताया जाता है कि भाजपा की बैठक में उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए प्रमोद सावंत के नाम का विरोध किया था. मतगणना पूर्व हुई बैठक में वह एमजीपी के लिए सीएम पद के भी इच्छुक थे. उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि अगर एमजीपी को मुख्यमंत्री नहीं मिलेगा तो प्रमोद सावंत के अलावा बीजेपी के दूसरे स्तर के नेताओं को मौका मिलना चाहिए. उस समय विश्वजीत राणे का नाम सबसे आगे था.
राज्यपाल से मिले विश्वजीत राणे
कुछ दिन पहले विश्वजीत राणे ने राज्यपाल पिल्लई से मुलाकात की थी. तब विश्वजीत राणे ने कहा था कि यह एक निजी यात्रा थी. मैं उनसे अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास कार्यों पर चर्चा करना चाहता था. मैंने उनका आशीर्वाद लिया. इस बैठक को लेकर विश्वजीत राणे ने पूरी तरह चुप्पी साध ली है. साथ ही इस बैठक पर बीजेपी की ओर से किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. इस बैठक के बाद अटकलें लगने लगीं कि विश्वजीत राणे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं. इसके लिए उन्हें एमजीपी और कुछ भाजपा नेताओं का समर्थन प्राप्त है.
गोवा की राजनीति में मजबूत राणे परिवार
पूर्व मुख्यमंत्री और गोवा के दिग्गज नेता प्रताप सिंह राणे पिछले 32 साल से पोरियाम सीट से चुनाव लड़ रहे थे. इस बार भाजपा ने उन्हें दो विकल्प दिए थे. या तो वह खुद पोरियम से चुनाव लड़ें या अपने परिवार के किसी सदस्य का नाम प्रस्तावित करें. विश्वजीत राणे पोरियम से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन प्रताप सिंह ने विश्वजीत राणे की पत्नी दिव्या राणे के नाम की सिफारिश की. दिव्या पेशे से डॉक्टर हैं. उन्हें कुल 17,816 वोट मिले. वह सबसे अधिक मतों से चुनी गईं. वालपोई से विश्वजीत राणे को 12,262 वोट मिले. उन्होंने भी बड़े अंतर से जीत हासिल की है. गोवा सरकार ने बतौर एमएलए 50 साल पूरे होने पर प्रताप सिंह राणे को आजीवन कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया है. यह भाजपा और गोवा की राजनीति में राणे परिवार के वजन को दर्शाता है.
प्रमोद सावंत कैसे जीते
प्रमोद सावंत सांकली सीट से चुनाव लड़ रहे थे. उन्हें कुल 12,250 वोट मिले. यहां से कांग्रेस के धर्मेश संगलानी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी. संगलानी को कुल 11,584 वोट मिले. संगलानी ने पहले कुछ राउंड की मतगणना में सावंत को पीछे छोड़ दिया था. लेकिन फाइनल राउंड में सावंत ने रफ्तार पकड़ी. हालांकि सावंत जीत गए, लेकिन इस चुनाव से यह स्पष्ट हो गया कि निर्वाचन क्षेत्र पर उनकी कोई पकड़ नहीं है और न ही उनका कोई प्रभाव है.
बीजेपी के लिए विश्वजीत
प्रमोद सावंत की सरकार में विश्वजीत राणे स्वास्थ्य मंत्री थे. प्रताप सिंह राणे के बाद, विश्वजीत राणे ने राणे परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया है. उनकी पत्नी दिव्या भी राजनीति में आ चुकी हैं. वह पोरियम के पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र से बड़े अंतर से चुनी गई. विश्वजीत को प्रताप सिंह राणे का समर्थन प्राप्त है. मुख्यमंत्री पद के लिए मजबूत उम्मीदवार का होना भाजपा के हित में है.
देवेंद्र फडणवीस का स्टैंड अहम
भाजपा की गोवा इकाई के प्रभारी देवेंद्र फडणवीस ने मतगणना के बाद प्रेस वार्ता की. उस समय उन्होंने मीडियाकर्मियों को मुख्यमंत्री के चयन की प्रक्रिया के बारे में बताया था. फडणवीस ने आसानी से प्रमोद सावंत का नाम लेने से परहेज किया. कहा जा रहा था कि उन्होंने बीजेपी में अंदरूनी कलह के चलते ऐसा किया है. लेकिन इतना तय है कि गोवा का मुख्यमंत्री कौन होगा, इसमें फडणवीस अहम भूमिका निभाएंगे. यह अधिकार भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने फडणवीस को दिया है. जहां तक गोवा का सवाल है उन्हें फडणवीस पर भरोसा है.