लखनऊ : वाराणसी से पीएफआई के दो एजेंट की गिरफ्तारी के बाद रिमांड के दौरान एटीएस के सामने कई बड़े खुलासे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, पीएफआई के सदस्य बीते साल हुई एनआईए व एटीएस की रेड के बाद अब इंडियन मुस्लिम नहीं बल्कि बांग्लादेशी और म्यांमार के मुसलमानों पर दांव खेलने की तैयारी कर रहे थे. पीएफआई उन्हें निकाय चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव के लिए तैयार कर रहे थे, जिससे 'गजबा-ए-हिंद' का सपना पूरा हो सके.
बीती 6 मई को कानपुर से आठ रोहिंग्या और फिर 7 मई को पीएफआई के दो सदस्यों की गिरफ्तारी महज कोई इत्तफाक नहीं था. रोहिंग्यों को बांग्लादेश और म्यांमार से लाने का पूरा इंतजाम अब पीएफआई कर रहा था. इसके पीछे एक बड़ी साजिश काम कर रही थी. सूत्रों के मुताबिक, कानपुर से 6 मई को गिरफ्तार हुए रोहिंग्या को म्यांमार व बांग्लादेश से भारत लाने वाले दलाल सुबीर शब्दाकर ने एटीएस को बताया था कि 'पीएफआई के कुछ लोगों ने उनसे संपर्क कर महिला व पुरुष रोहिंग्या मुसलमानों की डिमांड की थी. एटीएस की पूछताछ में सुबीर ने वाराणसी और पश्चिमी यूपी के कुछ पीएफआई सदस्यों की जानकारी भी दी थी, जिसके बाद 7 मई को यूपी एटीएस ने 20 शहरों में छापेमारी करते हुये परवेज व रईस अहमद को वाराणसी से गिरफ्तार किया था, वहीं 70 से अधिक लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी.'
कैंप बनाने की फिराक में थी PFI! : सूत्रों के मुताबिक, परवेज और रईस ने पूछताछ के दौरान बताया कि 'इसके लिए उन्होंने त्रिपुरा के सुबीर शब्दाकर से भी संपर्क किया था. सूत्रों के मुताबिक, जब एटीएस ने दोनों पीएफआई सदस्यों से पूछा कि ये बिना लिखे-पढ़े रोहिंग्या उनके किस काम के हैं तो उन्होंने बेबाकी से जवाब देते हुए कहा कि 'ये ही हमारे 'गजबा-ए-हिंद' के मिशन को पूरा कर करेंगे.' परवेज ने एटीएस के अधिकारियों को बताया कि 'कर्नाटक में हुई बैठक में हिस्सा लेकर उन्होंने वाराणसी में एक गुप्त कार्यालय खोला था. यहां ऐसे ही रोहिंग्यों को उनका भारतीय पहचान पत्र बनवाकर आम लोगों की बस्ती में भेजने का प्लान था. पीएफआई की यूपी में 250 से अधिक रोहिंग्या कैंप बनाने की योजना थी, जिसके बाद वो यूपी में होने वाले निकाय चुनाव और आगामी लोकसभा चुनाव में हस्तक्षेप कर सकें.'
सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ में पीएफआई सदस्यों ने बताया कि 'सितंबर 2022 में पीएफआई के ज्यादातर पदाधिकारी और सदस्य एनआईए व एटीएस की कार्रवाई में गिरफ्तार किए जा चुके थे. ऐसे में पीएफआई के आलाधिकारी अब किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहते थे. ऐसे में उन्होंने यह तय किया कि वो अब किसी भी भारतीय मुस्लिम युवाओं को बहकाकर पीएफआई में शामिल नहीं करेंगे, क्योंकि ऐसा करने से वे युवा सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस की रडार में आसानी से आ सकते हैं. इसलिए उन्होंने तय किया कि रोहिंग्यों को वो अपने मिशन के बारे में बताकर पैसों का लालच देंगे और फिर उन्हें अपने लोगों के घरों में नौकरी दिला देंगे, जिससे वो उनके करीब होकर मिशन में सहयोग करें और किसी के भी रडार में भी नहीं रहेंगे.'
PFI के मिशन को फेल करने के बाद जम्मू-त्रिपुरा गई ATS : यूपी एटीएस ने बीते दिनों आठ रोहिंग्या और पीएफआई के दो सदस्यों की गिरफ्तारी कर उनके ऑपरेशन पर पानी फेर दिया है, वहीं एटीएस, परवेज और रईस की रिमांड पूरी होने के बाद जेल में दाखिल कर रोहिंग्या की कार्य पद्धति को समझने में लग गई है. सूत्रों के मुताबिक, एटीएस की एक टीम पीएफआई सदस्यों और रोहिंग्या के बयान के आधार पर जम्मू और त्रिपुरा भेजी गई है, जहां वो उनके सदस्यों का पता लगा रही है.