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Twitter plea: कर्नाटक HC ने अकाउंट ब्लॉक करने के केंद्र के आदेश के खिलाफ ट्विटर की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा - Karnataka High Court reserves judgment

कर्नाटक हाईकोर्ट ने ट्विटर संबंधी के एक मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले में ट्विटर की ओर से केंद्रे के अकाउंट ब्लॉक करने के आदेश को चुनौती दी गई है.

Etv BharatTwitter plea against Centre's order to block accounts: Karnataka High Court reserves judgment
Etv Bharatकर्नाटक हाईकोर्ट ने अकाउंट ब्लॉक करने के केंद्र के आदेश के खिलाफ ट्विटर की याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा
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Published : Apr 22, 2023, 6:52 AM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें केंद्र सरकार के 39 यूआरएल को हटाने के निर्देश को चुनौती दी गई थी. मामला फरवरी 2021 और फरवरी 2022 के बीच ट्विटर को जारी किए गए 10 ब्लॉकिंग आदेशों से संबंधित है, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को कुछ सूचनाओं तक सार्वजनिक पहुंच को ब्लॉक करने और कई खातों को निलंबित करने का निर्देश दिया गया था.

जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित ने ट्विटर और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. ट्विटर ने सरकारी आदेशों को चुनौती देते हुए दावा किया कि वे मनमाने हैं, और प्रक्रियात्मक तथा तथ्यात्मक रूप से आईटी अधिनियम की धारा 69ए के अनुरूप नहीं हैं. ट्विटर ने यह भी तर्क दिया कि अकाउंट ब्लॉक करने से उपयोगकर्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.

अकाउंट ब्लॉक करने के निर्देश को आईटी अधिनियम की धारा 69ए का उल्लंघन बताने के अलावा ट्विटर ने दावा किया कि सरकार के आदेश 2009 के ब्लॉकिंग रूल्स का पालन नहीं करते. केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि राष्ट्र तथा जनहित में ये आदेश जारी किए गए थे. इनका उद्देश्य लिंचिंग और भीड़ हिंसा की घटनाओं को रोकना था.

ये भी पढ़ें-अकाउंट ब्लॉक करने का आदेश न्यायालय के निर्देश के खिलाफ : ट्विटर

केंद्र सरकार ने कहा था कि वह तभी हस्तक्षेप करती है जब देश की संप्रभुता या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा होता है. उसने तर्क दिया कि कंपनी एक विदेशी इकाई है और सरकार के 10 आदेश मनमाने नहीं हैं। इसलिए ट्विटर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत मौलिक अधिकारों की शरण नहीं ले सकता है. यह कहते हुए कि ट्विटर के पास उपयोगकर्ताओं का समर्थन करने का अधिकार नहीं है केंद्र ने तर्क दिया कि ट्विटर के पास याचिका दायर करने का भी कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह अपने अकाउंट धारकों की ओर से नहीं बोल सकता है.

(आईएएनएस)

बेंगलुरु: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर की उस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें केंद्र सरकार के 39 यूआरएल को हटाने के निर्देश को चुनौती दी गई थी. मामला फरवरी 2021 और फरवरी 2022 के बीच ट्विटर को जारी किए गए 10 ब्लॉकिंग आदेशों से संबंधित है, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को कुछ सूचनाओं तक सार्वजनिक पहुंच को ब्लॉक करने और कई खातों को निलंबित करने का निर्देश दिया गया था.

जस्टिस कृष्णा एस. दीक्षित ने ट्विटर और केंद्र सरकार की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. ट्विटर ने सरकारी आदेशों को चुनौती देते हुए दावा किया कि वे मनमाने हैं, और प्रक्रियात्मक तथा तथ्यात्मक रूप से आईटी अधिनियम की धारा 69ए के अनुरूप नहीं हैं. ट्विटर ने यह भी तर्क दिया कि अकाउंट ब्लॉक करने से उपयोगकर्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.

अकाउंट ब्लॉक करने के निर्देश को आईटी अधिनियम की धारा 69ए का उल्लंघन बताने के अलावा ट्विटर ने दावा किया कि सरकार के आदेश 2009 के ब्लॉकिंग रूल्स का पालन नहीं करते. केंद्र ने अपने जवाब में कहा कि राष्ट्र तथा जनहित में ये आदेश जारी किए गए थे. इनका उद्देश्य लिंचिंग और भीड़ हिंसा की घटनाओं को रोकना था.

ये भी पढ़ें-अकाउंट ब्लॉक करने का आदेश न्यायालय के निर्देश के खिलाफ : ट्विटर

केंद्र सरकार ने कहा था कि वह तभी हस्तक्षेप करती है जब देश की संप्रभुता या सार्वजनिक व्यवस्था के लिए खतरा होता है. उसने तर्क दिया कि कंपनी एक विदेशी इकाई है और सरकार के 10 आदेश मनमाने नहीं हैं। इसलिए ट्विटर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत मौलिक अधिकारों की शरण नहीं ले सकता है. यह कहते हुए कि ट्विटर के पास उपयोगकर्ताओं का समर्थन करने का अधिकार नहीं है केंद्र ने तर्क दिया कि ट्विटर के पास याचिका दायर करने का भी कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह अपने अकाउंट धारकों की ओर से नहीं बोल सकता है.

(आईएएनएस)

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