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सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा ट्विटर, सरकार बोली- बनना होगा जवाबदेह - twitter content post

ट्विटर और भारत सरकार के बीच फिर से टकराव बढ़ने की आशंका है. कंपनी ने इस मामले में सरकार के नए आदेशों को कर्नाटक हाईकोर्ट में चुनौती दी है. आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को कुछ कंटेंट हटाने के आदेशों का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दो टूक कह दिया है कि सोशल मीडिया को जवाबदेह बनना ही होगा.

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Published : Jul 5, 2022, 6:14 PM IST

Updated : Jul 5, 2022, 8:21 PM IST

नई दिल्ली : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने भारत सरकार से कुछ आदेशों को वापस लेने की मांग की है. सरकार ने कंटेंट को लेकर कुछ आदेश दिए थे. ट्विटर की ओर से कहा गया है कि इन आदेशों का पालन करना मुश्किल होगा. इसको लेकर टकराव बढ़ने की आशंका है. खबरों के मुताबिक ट्विटर ने इन आदेशों को कानूनी रूप से चुनौती दी है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने इसे सत्ता का दुरुपयोग बताया है. आपको बता दें कि आईटी मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा था कि अगर इन आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने ट्विटर से उन ट्विटर पोस्ट को हटाने को कहा है, जिसमें स्वतंत्र सिख राष्ट्र के समर्थन में बातें लिखी गईं हैं. सरकार ने कोविड से निपटने में कुछ आलोचनाओं को भी हटाने को कहा है.

ट्विटर ने अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ कंटेंट को हटाने के भारत सरकार के आदेशों को पलटने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया है. ट्विटर ने कुछ अधिकारियों की तरफ से अधिकार के कथित दुरुपयोग को कानूनी चुनौती दी है. आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के आदेश की न्यायिक समीक्षा की ये कोशिश इस अमेरिकी कंपनी और भारत सरकार के बीच टकराव में एक और कड़ी साबित होगी.

सूत्रों के अनुसार, ट्विटर ने आरोप लगाया है कि ट्विटर को जारी किए गए कई ब्लॉकिंग ऑर्डर केवल धारा 69 ए के आधार का उद्धरण करते हैं, लेकिन यह प्रदर्शित करने में विफल रहते हैं कि कंटेंट उन आधारों के भीतर कैसे आता है या उक्त कंटेंट कैसे धारा 69 ए का उल्लंघन करता है.

सरकार ने ट्विटर को आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत भेजे गए कंटेंट टेक-डाउन नोटिस के साथ-साथ कंटेंट को नीचे नहीं लेने के लिए जारी गैर-अनुपालन नोटिस पर कार्रवाई करने के लिए कहा था. सूत्रों के अनुसार, ट्विटर ने कुछ ऐसे कंटेंट की न्यायिक समीक्षा की मांग की है जो विभिन्न अवरुद्ध आदेशों का एक हिस्सा है, इन अवरुद्ध आदेशों को रद्द करने के लिए अदालत से राहत का अनुरोध किया है.

जून के एक पत्र में, आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को कुछ कंटेंट हटाने के आदेशों का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी. कई कंटेंट राजनीति से संबंधित हो सकते हैं, जो सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक दलों के आधिकारिक हैंडल द्वारा पोस्ट की जाती हैं. इस तरह की जानकारी को ब्लॉक करना प्लेटफॉर्म के नागरिक-यूजर्स को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. अदालत में ट्विटर के कदम पर आईटी मंत्रालय को प्रतिक्रिया देनी बाकी है.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, सोशल मीडिया को जवाबदेह बनना ही होगा- आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दो टूक कह दिया है कि सोशल मीडिया अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकती है. उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा. मंत्री ने कहा कि सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि यह सच है कि सोशल मीडिया बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है. उसने हमारी आम जिंदगी को बहुत अधिक प्रभावित किया है. लेकिन इसकी जवाबदेही किस तरह से तय की जाएगी, लोग इसके बारे में भी पूछने लगे हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे देश भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. वे इसे अकाउंटेबल बना रहे हैं. इसका पहला कदम सेल्फ रेगुलेशन है.

  • #WATCH | An ecosystem, thought process that social media should be held accountable, is spreading in our country as well as globally...Rapid work underway on how to make it accountable: Union IT Minister Ashwini Vaishnaw to ANI pic.twitter.com/vQ2VjleVzK

    — ANI (@ANI) July 5, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सेल्फ रेगुलेशन के तहत सोशल मीडिया अपने बहुत सारे कंटेंट पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. वैसे तथ्य, जिससे समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, उसे वे हटा सकती हैं. इसके बाद दूसरा कदम आता है, इंडस्ट्री रेगुलेशन और फिर बाद में सरकार का रेगुलेशन आता है. उन्होंने कहा कि जो लोग भी सोशल मीडिया पर कंटेंट पोस्ट करते हैं, और उस पोस्ट से सोशल मीडिया पैसा अर्जित करता है, तो उसका एक हिस्सा कंटेंट क्रिएट करने वाले को भी मिलना चाहिए. इसमें क्या गलत है. मंत्री ने कहा कि यह सोच पूरी दुनिया में अपना जगह बना रही है. इसके लिए फेयर सिस्टम बनाने की जरूरत है. यह एक प्रोसेस है और इसमें हरेक को भागीदार बनाया जाना चाहिए. वैष्णव ने कहा कि सरकार इसी दिशा में कदम उठा रही है.

सरकार और ट्विटर के बीच फ्लैश प्वांइट्स- केंद्रीय आईटी मंत्री ने फरवरी में भी कहा था कि सोशल मीडिया को और अधिक जवाबदेह बनाने के लिए नियमों को और अधिक कठोर बनाने की तैयारी चल रही है. उन्होंने कहा था कि अगर संसद सहमति देता है, तो सरकार इस दिशा की ओर बढ़ेगी.

आपको बता दें कि ट्विटर और सरकार के बीच बड़ा टकराव उस समय देखने को मिला था, जब किसानों की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी. उस दिन बहुत सारे फेक न्यूज और उकसाने वाले तथ्य पोस्ट किए गए थे. इस पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने कुछ अकाउंट्स को बंद करने को कहा था. ट्विटर ने शुरुआती प्रतिक्रिया में 257 अकाउंट्स बंद भी कर दिए. लेकिन तुरंत ही उसने फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर अकाउंट्स बहाल कर दिए. इसके बाद सरकार ने 1157 अकाउंट्स बंद करने को कहा, सरकार ने साफ तौर पर कहा कि ये अकाउंट्स भारत विरोधी कंटेंट पोस्ट कर रहे हैं. इनमें से कुछ अकाउंट्स खालिस्तान से जुड़े थे.

इसी बीच एनवायरमेंटलिस्ट ग्रेटा थुनबर्ग का मामला सामने आ गया. आरोप लगा कि एक टूलकिट के जरिए भारत में सौहार्द और शांति बिगाड़ने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके बाद अगला मामला लद्दाख को चीन के नक्शे में दिखाए जाने को लेकर था. ट्विटर ने कई दिनों तक इसमें सुधार नहीं किया. ट्विटर और सरकार के बीच अगला फ्लैश प्वाइंट कोरोना को लेकर था. ट्विटर ने कोरोना के बी.1.617 वेरिएंट को इंडियन वेरिएंट बताने वाले पर कोई एक्शन नहीं लिया. सरकार का यह भी आरोप है कि ट्विटर ने वैक्सीनेशन को लेकर भी नकारात्मक माहौल बनाया. बाद में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट्स को मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग दे दिया. उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का ब्लू टिक हटा दिया.

नई दिल्ली : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर ने भारत सरकार से कुछ आदेशों को वापस लेने की मांग की है. सरकार ने कंटेंट को लेकर कुछ आदेश दिए थे. ट्विटर की ओर से कहा गया है कि इन आदेशों का पालन करना मुश्किल होगा. इसको लेकर टकराव बढ़ने की आशंका है. खबरों के मुताबिक ट्विटर ने इन आदेशों को कानूनी रूप से चुनौती दी है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी ने इसे सत्ता का दुरुपयोग बताया है. आपको बता दें कि आईटी मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा था कि अगर इन आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो कंपनी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने ट्विटर से उन ट्विटर पोस्ट को हटाने को कहा है, जिसमें स्वतंत्र सिख राष्ट्र के समर्थन में बातें लिखी गईं हैं. सरकार ने कोविड से निपटने में कुछ आलोचनाओं को भी हटाने को कहा है.

ट्विटर ने अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ कंटेंट को हटाने के भारत सरकार के आदेशों को पलटने के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया है. ट्विटर ने कुछ अधिकारियों की तरफ से अधिकार के कथित दुरुपयोग को कानूनी चुनौती दी है. आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के आदेश की न्यायिक समीक्षा की ये कोशिश इस अमेरिकी कंपनी और भारत सरकार के बीच टकराव में एक और कड़ी साबित होगी.

सूत्रों के अनुसार, ट्विटर ने आरोप लगाया है कि ट्विटर को जारी किए गए कई ब्लॉकिंग ऑर्डर केवल धारा 69 ए के आधार का उद्धरण करते हैं, लेकिन यह प्रदर्शित करने में विफल रहते हैं कि कंटेंट उन आधारों के भीतर कैसे आता है या उक्त कंटेंट कैसे धारा 69 ए का उल्लंघन करता है.

सरकार ने ट्विटर को आईटी एक्ट की धारा 69ए के तहत भेजे गए कंटेंट टेक-डाउन नोटिस के साथ-साथ कंटेंट को नीचे नहीं लेने के लिए जारी गैर-अनुपालन नोटिस पर कार्रवाई करने के लिए कहा था. सूत्रों के अनुसार, ट्विटर ने कुछ ऐसे कंटेंट की न्यायिक समीक्षा की मांग की है जो विभिन्न अवरुद्ध आदेशों का एक हिस्सा है, इन अवरुद्ध आदेशों को रद्द करने के लिए अदालत से राहत का अनुरोध किया है.

जून के एक पत्र में, आईटी मंत्रालय ने ट्विटर को कुछ कंटेंट हटाने के आदेशों का पालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी. कई कंटेंट राजनीति से संबंधित हो सकते हैं, जो सूत्रों के अनुसार, राजनीतिक दलों के आधिकारिक हैंडल द्वारा पोस्ट की जाती हैं. इस तरह की जानकारी को ब्लॉक करना प्लेटफॉर्म के नागरिक-यूजर्स को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. अदालत में ट्विटर के कदम पर आईटी मंत्रालय को प्रतिक्रिया देनी बाकी है.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, सोशल मीडिया को जवाबदेह बनना ही होगा- आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दो टूक कह दिया है कि सोशल मीडिया अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकती है. उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा. मंत्री ने कहा कि सरकार इस दिशा में आगे बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि यह सच है कि सोशल मीडिया बहुत ही शक्तिशाली माध्यम है. उसने हमारी आम जिंदगी को बहुत अधिक प्रभावित किया है. लेकिन इसकी जवाबदेही किस तरह से तय की जाएगी, लोग इसके बारे में भी पूछने लगे हैं. उन्होंने कहा कि दुनिया के दूसरे देश भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. वे इसे अकाउंटेबल बना रहे हैं. इसका पहला कदम सेल्फ रेगुलेशन है.

  • #WATCH | An ecosystem, thought process that social media should be held accountable, is spreading in our country as well as globally...Rapid work underway on how to make it accountable: Union IT Minister Ashwini Vaishnaw to ANI pic.twitter.com/vQ2VjleVzK

    — ANI (@ANI) July 5, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सेल्फ रेगुलेशन के तहत सोशल मीडिया अपने बहुत सारे कंटेंट पर ध्यान केंद्रित कर सकती है. वैसे तथ्य, जिससे समाज में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, उसे वे हटा सकती हैं. इसके बाद दूसरा कदम आता है, इंडस्ट्री रेगुलेशन और फिर बाद में सरकार का रेगुलेशन आता है. उन्होंने कहा कि जो लोग भी सोशल मीडिया पर कंटेंट पोस्ट करते हैं, और उस पोस्ट से सोशल मीडिया पैसा अर्जित करता है, तो उसका एक हिस्सा कंटेंट क्रिएट करने वाले को भी मिलना चाहिए. इसमें क्या गलत है. मंत्री ने कहा कि यह सोच पूरी दुनिया में अपना जगह बना रही है. इसके लिए फेयर सिस्टम बनाने की जरूरत है. यह एक प्रोसेस है और इसमें हरेक को भागीदार बनाया जाना चाहिए. वैष्णव ने कहा कि सरकार इसी दिशा में कदम उठा रही है.

सरकार और ट्विटर के बीच फ्लैश प्वांइट्स- केंद्रीय आईटी मंत्री ने फरवरी में भी कहा था कि सोशल मीडिया को और अधिक जवाबदेह बनाने के लिए नियमों को और अधिक कठोर बनाने की तैयारी चल रही है. उन्होंने कहा था कि अगर संसद सहमति देता है, तो सरकार इस दिशा की ओर बढ़ेगी.

आपको बता दें कि ट्विटर और सरकार के बीच बड़ा टकराव उस समय देखने को मिला था, जब किसानों की ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई थी. उस दिन बहुत सारे फेक न्यूज और उकसाने वाले तथ्य पोस्ट किए गए थे. इस पर कार्रवाई करते हुए सरकार ने कुछ अकाउंट्स को बंद करने को कहा था. ट्विटर ने शुरुआती प्रतिक्रिया में 257 अकाउंट्स बंद भी कर दिए. लेकिन तुरंत ही उसने फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन के नाम पर अकाउंट्स बहाल कर दिए. इसके बाद सरकार ने 1157 अकाउंट्स बंद करने को कहा, सरकार ने साफ तौर पर कहा कि ये अकाउंट्स भारत विरोधी कंटेंट पोस्ट कर रहे हैं. इनमें से कुछ अकाउंट्स खालिस्तान से जुड़े थे.

इसी बीच एनवायरमेंटलिस्ट ग्रेटा थुनबर्ग का मामला सामने आ गया. आरोप लगा कि एक टूलकिट के जरिए भारत में सौहार्द और शांति बिगाड़ने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके बाद अगला मामला लद्दाख को चीन के नक्शे में दिखाए जाने को लेकर था. ट्विटर ने कई दिनों तक इसमें सुधार नहीं किया. ट्विटर और सरकार के बीच अगला फ्लैश प्वाइंट कोरोना को लेकर था. ट्विटर ने कोरोना के बी.1.617 वेरिएंट को इंडियन वेरिएंट बताने वाले पर कोई एक्शन नहीं लिया. सरकार का यह भी आरोप है कि ट्विटर ने वैक्सीनेशन को लेकर भी नकारात्मक माहौल बनाया. बाद में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा के ट्वीट्स को मैनिपुलेटेड मीडिया का टैग दे दिया. उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का ब्लू टिक हटा दिया.

Last Updated : Jul 5, 2022, 8:21 PM IST
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