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टीवी डिबेट से हो रहा ज्यादा प्रदूषण : सुप्रीम कोर्ट - sc pollution

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली प्रदूषण मामले पर गलत रिपोर्टिंग के लिए मीडिया को फटकार लगाई और कहा कि टीवी डिबेट से ज्यादा प्रदूषण हो रहा है. साथ ही अदालत ने उदासीनता को लेकर नौकरशाही की आलोचना की और कहा कि नौकरशाही कोई फैसला नहीं करना चाहती तथा वह हर चीज अदालत के भरोसे छोड़ना चाहती है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Nov 17, 2021, 3:01 PM IST

Updated : Nov 17, 2021, 8:41 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली प्रदूषण मामले पर गलत रिपोर्टिंग के लिए मीडिया को फटकार लगाई. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'टीवी में बहस अन्य जगहों से ज्यादा प्रदूषण पैदा कर रही है. उन्हें समझ में नहीं आता कि मामला क्या है, उनके अपने एजेंडे नियम हैं, हम उनकी मदद नहीं कर सकते.

सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि मीडिया पर उनके खिलाफ अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए घटिया उदाहरण पेश किया गया है कि पराली जलाने से केवल 4-10% प्रदूषण होता है, जबकि हलफनामे में कहा गया है कि यह 35-40% के लिए जिम्मेदार है.

उन्होंने कहा, मीडिया द्वारा यह कहा गया कि चुनाव को देखते हुए कोर्ट को कम आंकड़ा दिया गया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने सब कुछ सटीक बताया.

सरकारी आंकड़ों ने दिल्ली में प्रदूषण के लिए विभिन्न कारकों के योगदान को दर्शाया, जिसमें अक्टूबर-नवंबर के दौरान पराली जलाने को प्रमुख कारक बताया गया है.

एसजी ने कहा कि दो महीने तक हवाओं के कारण यह बढ़ जाता है, लेकिन यह अनुमान लगाया गया कि चुनाव के कारण केंद्र सरकार ने इसे 4-10% ही दिखाया.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह सबको पता है कि यह पराली जलाने का मौसम है, जाहिर है कि प्रदूषण बढ़ेगा. हमें कुछ चीजों को नजरअंदाज करना होगा, हम मुख्य मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जब हम सार्वजनिक पदों पर होते हैं तो हमें इस प्रकार की आलोचना का सामना करना पड़ता है. हमारा मन साफ है, हम बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं. अदालत ने कहा कि प्रतिशत पर विवाद अप्रासंगिक है और वह मुख्य समस्या यानी प्रदूषण को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

'नौकरशाही हर चीज अदालत के भरोसे छोड़ना चाहती है'

दिल्ली प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने अकर्मण्यता को लेकर नौकरशाही की भी आलोचना की. अदालत ने कहा कि नौकरशाही ने 'निष्क्रियता' विकसित की है और कोई फैसला नहीं करना चाहती तथा वह हर चीज अदालत के भरोसे छोड़ना चाहती है. यह सिर्फ उदासीनता है.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, 'काफी समय से मैं यह महसूस कर रहा हूं कि नौकरशाही में एक तरह की निष्क्रियता विकसित हो गई है. वह कोई निर्णय लेना नहीं चाहती. किसी कार को कैसे रोकें, किसी वाहन को कैसे जब्त करें, आग पर कैसे काबू पाएं, यह सब कार्य इस अदालत को करना है. हर काम हमें ही करना होगा. यह रवैया अधिकारी वर्ग ने विकसित किया है.'

यह भी पढ़ें- दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब-हरियाणा सरकार जिम्मेदार : सिसोदिया

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली प्रदूषण मामले पर गलत रिपोर्टिंग के लिए मीडिया को फटकार लगाई. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'टीवी में बहस अन्य जगहों से ज्यादा प्रदूषण पैदा कर रही है. उन्हें समझ में नहीं आता कि मामला क्या है, उनके अपने एजेंडे नियम हैं, हम उनकी मदद नहीं कर सकते.

सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि मीडिया पर उनके खिलाफ अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए घटिया उदाहरण पेश किया गया है कि पराली जलाने से केवल 4-10% प्रदूषण होता है, जबकि हलफनामे में कहा गया है कि यह 35-40% के लिए जिम्मेदार है.

उन्होंने कहा, मीडिया द्वारा यह कहा गया कि चुनाव को देखते हुए कोर्ट को कम आंकड़ा दिया गया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने सब कुछ सटीक बताया.

सरकारी आंकड़ों ने दिल्ली में प्रदूषण के लिए विभिन्न कारकों के योगदान को दर्शाया, जिसमें अक्टूबर-नवंबर के दौरान पराली जलाने को प्रमुख कारक बताया गया है.

एसजी ने कहा कि दो महीने तक हवाओं के कारण यह बढ़ जाता है, लेकिन यह अनुमान लगाया गया कि चुनाव के कारण केंद्र सरकार ने इसे 4-10% ही दिखाया.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह सबको पता है कि यह पराली जलाने का मौसम है, जाहिर है कि प्रदूषण बढ़ेगा. हमें कुछ चीजों को नजरअंदाज करना होगा, हम मुख्य मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि जब हम सार्वजनिक पदों पर होते हैं तो हमें इस प्रकार की आलोचना का सामना करना पड़ता है. हमारा मन साफ है, हम बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं. अदालत ने कहा कि प्रतिशत पर विवाद अप्रासंगिक है और वह मुख्य समस्या यानी प्रदूषण को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

'नौकरशाही हर चीज अदालत के भरोसे छोड़ना चाहती है'

दिल्ली प्रदूषण पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने अकर्मण्यता को लेकर नौकरशाही की भी आलोचना की. अदालत ने कहा कि नौकरशाही ने 'निष्क्रियता' विकसित की है और कोई फैसला नहीं करना चाहती तथा वह हर चीज अदालत के भरोसे छोड़ना चाहती है. यह सिर्फ उदासीनता है.

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, 'काफी समय से मैं यह महसूस कर रहा हूं कि नौकरशाही में एक तरह की निष्क्रियता विकसित हो गई है. वह कोई निर्णय लेना नहीं चाहती. किसी कार को कैसे रोकें, किसी वाहन को कैसे जब्त करें, आग पर कैसे काबू पाएं, यह सब कार्य इस अदालत को करना है. हर काम हमें ही करना होगा. यह रवैया अधिकारी वर्ग ने विकसित किया है.'

यह भी पढ़ें- दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब-हरियाणा सरकार जिम्मेदार : सिसोदिया

Last Updated : Nov 17, 2021, 8:41 PM IST
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