बालापुर (महाराष्ट्र ): महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी (Tushar Gandhi) ने शुक्रवार को कहा कि यह सच है कि वीर सावरकर अंग्रेजों के दोस्त थे, उन्होंने अंग्रेजों से जेल से बाहर निकलने के लिए माफी मांगी...ऐसा नहीं है कि हमने इसे व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से लिया है, इतिहास में सबूत हैं.उन्होंने कहा कि यात्राएं परंपरा का हिस्सा हैं, जिन्होंने वर्षों में कई क्रांतियों को जन्म दिया है. आज जब देश हमारे पूर्वजों द्वारा स्थापित किए गए निर्माण के खिलाफ आगे बढ़ रहा है, तो लोगों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण हो जाता है कि हमने हार नहीं मानी है.
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It is true that Veer Savarkar was friends with the Britishers, he apologised to the Britishers to move out of prison...It is not like we have taken it from WhatsApp university, there is evidence in history: Tushar Gandhi, Grandson of Mahatma Gandhi pic.twitter.com/aLPopGqFIi
— ANI (@ANI) November 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) November 18, 2022It is true that Veer Savarkar was friends with the Britishers, he apologised to the Britishers to move out of prison...It is not like we have taken it from WhatsApp university, there is evidence in history: Tushar Gandhi, Grandson of Mahatma Gandhi pic.twitter.com/aLPopGqFIi
— ANI (@ANI) November 18, 2022
बता दें कि महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी भी महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले के शेगांव में 'भारत जोड़ो यात्रा' में राहुल गांधी के साथ शामिल हुए और कांग्रेस ने उनकी भागीदारी को 'ऐतिहासिक' बताया. सात नवंबर से महाराष्ट्र से होकर गुजर रही यात्रा सुबह करीब छह बजे अकोला जिले के बालापुर से फिर शुरू हुई और कुछ घंटे बाद शेगांव पहुंची, जहां लेखक और कार्यकर्ता तुषार गांधी इसमें शामिल हुए. बृहस्पतिवार को एक ट्वीट में तुषार गांधी ने कहा था कि शेगांव उनकी जन्मस्थली है.
उन्होंने पोस्ट में कहा था, मैं 18 तारीख को शेगांव में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होऊंगा. शेगांव मेरा जन्म स्टेशन भी है. मेरी मां जिस ट्रेन में सफर कर रही थीं, 1 डीएन. हावड़ा मेल वाया नागपुर, वह 17 जनवरी 1960 को शेगांव स्टेशन पर रुकी थी जब मेरा जन्म हुआ! कांग्रेस ने यात्रा में तुषार गांधी के शामिल होने को ऐतिहासिक बताया. पार्टी ने राहुल गांधी और तुषार गांधी को, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी के प्रपौत्रों को, दोनों दिवंगत नेताओं की विरासत के वाहक के रूप में वर्णित किया.
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