बेतिया(वाल्मीकिनगर) : बिहार-यूपी के सीमावर्ती गांवों की अदला-बदली की खबरें सच नहीं बल्कि (Villages Of UP And Bihar Will Not Exchange) झूठ है. बेतिया एसडीएम दीपक कुमार मिश्रा (Bettiah SDM Deepak Kumar Mishra) ने गांवों की अदला-बदली की खबर को अफवाह बताया है. एसडीएम ने कहा कि इन क्षेत्रों में कुछ अधिकारी जमीन का महज सर्वे करने के लिए आए थे. जिसके बाद गांवों की अदला-बदली की अफवाह उड़ गई.
ग्रामीणों ने कहा कि उन लोगों को कुछ सुविधा को छोड़ कर सभी बुनियादी सुविधाएं मिल रही है. ग्रामीणों ने एसडीएम से कहा कि उन लोगों को जानकारी हुई थी कि यूपी के कुशीनगर जिले के कुछ गांव को बिहार को दी जा रही है. वही इसके बदले में बिहार सरकार सेमरा लबेदहा व मंझरिया पंचायत को यूपी को दे रही है.
ग्रामीणों ने कहा की वे किसी भी सूरत में यूपी में नही जाएंगे. इस पर एसडीएम ने कहा कि ऐसी कोई योजना नही है. आप सभी इस अफवाह में न पड़ें. एक सर्वे सीमांकन व सड़क को ले कर कराया जा रहा है. इस सर्वे से अदलाबदली का कोई संबंध नही है. यूपी बिहार के गांवों की अदला बदली की खबर अफवाह है. एसडीएम के समझाने पर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली.
ग्रामीणों ने कहा कि सेमरा लबेदहा व मंझरिया पंचायत को बाढ़ से बचाने के लिए नाबार्ड से बांध प्रस्तावित है. इसका सर्वे भी सिंचाई विभाग द्वारा किया जा चुका है. अगर यह बांध का निर्माण हो जाता है तो दोनों पंचायत हर तरह से सुरक्षित हो जाएगा. वहीं, पकड़ियहवा नाले की सफाई हो जाने से किसानों की हजारों एकड़ खेती युक्त जमीन उपजाऊ हो जाएगी और जलजमाव से छुटकारा मिल जाएगा.
एसडीएम ने परसौनी क्रय केंद्र का निरीक्षण किया और किसानों से उनका बयान भी दर्ज किया. एसडीएम ने मिल कर्मियों को सख्त हिदायत दिया कि अगर घटतौली की शिकायत मिली तो सीधे प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी.
दरअसल, यह खबरें खूब चल रही थीं कि बिहार और यूपी सीमा (Bihar villages on UP border) के नए सीमांकन के आधार पर सात गांवों का नए सिरे से बंटवारा होगा. इस सीमांकन के तहत पश्चिमी चंपारण के सात गांव यूपी को मिलेंगे. वहीं, कुशीनगर के 7 गांव पश्चिमी चंपारण को मिलेंगे. इस तरह यूपी और बिहार के सात गावों की अदला बदली होगी.
कहा तो यहां तक जाने लगा था कि गांवों को स्थानांतरित करने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Bihar CM Nitish Kumar) की सरकार ने प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार के पास भेजा है. इस प्रस्ताव के लागू हो जाने पर भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील सात गांव की जमीन का विवाद और प्रशासनिक अड़चनों का हमेशा-हमेशा के लिए अंत हो जाएगा. लेकिन बिहार की ओर से इस खबर को आधारहीन और अफवाह बताया गया है.
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