अगरतला: त्रिपुरा जनजातीय परिषद (Tripura Tribal Areas Autonomous District Council) ने कहा कि सप्ताह में एक बार सभी कर्माचारी पारंपरिक परिधान पहनें. टीटीएएडीसी के इस बयान के बाद राजनीतिक बहस छिड़ गयी है. अधिकारियों के मुताबिक त्रिपुरा मोथा द्वारा संचालित टीटीएएडीसी की कार्यकारी समिति ने प्रत्येक सोमवार को पारंपरिक पोशाक पहनने की शुरुआत करने का फैसला किया है.
अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुबल देबबर्मा द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि टीटीएएडीसी के सभी कर्मचारियों से इस सुझाव का अनुपालन करने का अनुरोध किया जाता है. पारंपरिक पोशाक पहनने का यह नियम मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम), अध्यक्ष, कार्यकारी सदस्यों (ईएम) और जिला परिषद सदस्य (एमडीसी) के सदस्यों पर भी लागू होगा. टीटीएएडीसी में करीब छह हजार कर्मचारी कार्यरत हैं.
यह भी पढ़ें- मिजोरम सरकार की पहल, म्यांमार के शरणार्थियों को जारी हो रहा पहचान पत्र
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस फैसले का विरोध करते हुए पूछा कि ऐसे कर्मचारी जो त्रिपुरा के बाहर के हैं वे क्या करेंगे. भाजपा के एमडीसी बिमल चकमा ने कहा कि जनजातीय परिषद में लगभग 10-15 प्रतिशत कर्मचारी हैं जो त्रिपुरा के बाहर के हैं. यदि टीटीएएडीसी के कर्मचारियों को पारंपरिक पोशाक पहनने के लिए मजबूर किया जाता है तो ऐसे कर्मचारी क्या पहनेंगे जो मूल रूप से त्रिपुरा के नहीं हैं? परंपरा, संस्कृति और भाषा को थोपा नहीं जाना चाहिए.
(पीटीआई-भाषा)