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माणिक सरकार ने त्रिपुरा की कानून व्यवस्था पर उठाए गंभीर सवाल

त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने दावा किया कि राज्य के विभिन्न भागों में लिंचिंग और पुलिस व न्यायिक हिरासत में मौतों की घटनाएं सामने आ रही हैं. भाजपा से आश्रय प्राप्त गुंडे माकपा के कार्यालयों और पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमले करते रहे हैं. राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है.

माणिक सरकार
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Published : Jun 28, 2021, 12:10 PM IST

अगरतला : त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister of Tripura) माणिक सरकार (Manik Sarkar) ने राज्य की भाजपा नीत सरकार पर हमला बोलते हुए उस पर कानून-व्यवस्था कायम रखने में नाकाम रहने का आरोप लगाया. राज्य की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सरकार ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि पुलिस हिंसा की घटनाओं पर आंखें मूंदे बैठी है और भाजपा से आश्रय प्राप्त गुंडों के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है.

सरकार ने दावा किया कि राज्य के विभिन्न भागों में लिंचिंग और पुलिस व न्यायिक हिरासत में मौतों की घटनाएं सामने आ रही हैं. भाजपा से आश्रय प्राप्त गुंडे माकपा के कार्यालयों और पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमले करते रहे हैं. राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है.

पढ़ें : त्रिपुरा हाई कोर्ट ने सीपीएम नेता बिजन धर के खिलाफ जांच पर लगाई रोक

माकपा के वरिष्ठ नेता (Senior CPI(M) leader) सरकार ने कहा कि पार्टी ने मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक और राज्यपाल के समक्ष यह मुद्दा उठाया, लेकिन हिंसा को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि यहां कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है.

सरकार ने कहा कि मार्च के तीसरे हफ्ते में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के आश्वासन के बाद से अब तक मारपीट की 200 घटनाएं, तोड़फोड़ की 152, पार्टी कार्यालय पर 17 हमले हो चुके हैं. राज्यपाल के आश्वासन के बाद हिंसा की 70 से 75 घटनाएं, लूट की 60 से 62 घटनाएं और पांच से छह बार कार्यालयों पर हमले हुए. घटनाओं ने न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति का हाल बयां किया बल्कि राज्य सरकार की विफलता भी साबित की. यदि राज्य में कानून का शासन कायम नहीं किया गया तो हमारे पास जन आंदोलन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.

अगरतला : त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री (Former Chief Minister of Tripura) माणिक सरकार (Manik Sarkar) ने राज्य की भाजपा नीत सरकार पर हमला बोलते हुए उस पर कानून-व्यवस्था कायम रखने में नाकाम रहने का आरोप लगाया. राज्य की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सरकार ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि पुलिस हिंसा की घटनाओं पर आंखें मूंदे बैठी है और भाजपा से आश्रय प्राप्त गुंडों के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है.

सरकार ने दावा किया कि राज्य के विभिन्न भागों में लिंचिंग और पुलिस व न्यायिक हिरासत में मौतों की घटनाएं सामने आ रही हैं. भाजपा से आश्रय प्राप्त गुंडे माकपा के कार्यालयों और पार्टी कार्यकर्ताओं पर हमले करते रहे हैं. राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है.

पढ़ें : त्रिपुरा हाई कोर्ट ने सीपीएम नेता बिजन धर के खिलाफ जांच पर लगाई रोक

माकपा के वरिष्ठ नेता (Senior CPI(M) leader) सरकार ने कहा कि पार्टी ने मुख्यमंत्री, पुलिस महानिदेशक और राज्यपाल के समक्ष यह मुद्दा उठाया, लेकिन हिंसा को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई. उन्होंने कहा कि यहां कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है.

सरकार ने कहा कि मार्च के तीसरे हफ्ते में मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के आश्वासन के बाद से अब तक मारपीट की 200 घटनाएं, तोड़फोड़ की 152, पार्टी कार्यालय पर 17 हमले हो चुके हैं. राज्यपाल के आश्वासन के बाद हिंसा की 70 से 75 घटनाएं, लूट की 60 से 62 घटनाएं और पांच से छह बार कार्यालयों पर हमले हुए. घटनाओं ने न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति का हाल बयां किया बल्कि राज्य सरकार की विफलता भी साबित की. यदि राज्य में कानून का शासन कायम नहीं किया गया तो हमारे पास जन आंदोलन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.

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