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कोविड में स्कूल छोड़े छात्रों को वापस लाने के लिए त्रिपुरा सरकार ने निकाली ये योजना - Tripura students back to school

कोरोना के कारण त्रिपुरा में स्कूल बंद होने के कारण कई बच्चे अपनी पढ़ाई आधे में छोड़ने को मजबूर हो गए थे. अब उन्हीं बच्चों को स्कूल में वापस लाने के लिए राज्य सरकार ने नई योजना की शुरुआत की है.

त्रिपुरा
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Published : Jul 9, 2022, 8:14 PM IST

अगरतला : त्रिपुरा में कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद होने के कारण कई छात्रों को अपनी पढ़ाई आधे में छोड़ना पड़ा था. अब उन बच्चों को वापस स्कूल लाने के लिए राज्य सरकार ने नई योजना शुरू की है. सरकार का 'विद्यालय चलो अभियान' कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 'अर्न विद लर्न' योजना के तहत छात्रों को कक्षाओं में वापस बुलाया जाएगा.

पत्रकारों से बात करते हुए शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि राज्य में छह से 14 साल के लगभग 8,000 छात्रों ने कोविड -19 अवधि के दौरान स्कूल छोड़ दिया था. इन सभी छात्रों को स्कूल में वापस लाने के उद्देश्य से इस योजना को शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए राज्य में व्यापक डोर-टू-डोर सर्वे किया जाएगा. सर्वे का काम कॉलेजों के तीसरे वर्ष के छात्रों और स्वयंसेवकों द्वारा किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि स्वयंसेवक ड्रॉपआउट छात्रों की सही संख्या का पता लगाएंगे और अपने अभिभावकों को समझाने के बाद उन्हें वापस स्कूल लाएंगे. एक छात्र को स्कूल छोड़ने वाले छात्र को वापस लाने पर प्रत्येक स्वयंसेवक को 500 रुपये दिये जाएंगे. शिक्षा विभाग इस तरह के 10,000 स्वयंसेवकों की मदद लेगा. आंगनबाड़ी कर्मचारी और आशा कार्यकर्ता इस काम में कॉलेज के तीसरे वर्ष के छात्रों की सहायता करेंगे.

अगरतला : त्रिपुरा में कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद होने के कारण कई छात्रों को अपनी पढ़ाई आधे में छोड़ना पड़ा था. अब उन बच्चों को वापस स्कूल लाने के लिए राज्य सरकार ने नई योजना शुरू की है. सरकार का 'विद्यालय चलो अभियान' कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 'अर्न विद लर्न' योजना के तहत छात्रों को कक्षाओं में वापस बुलाया जाएगा.

पत्रकारों से बात करते हुए शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि राज्य में छह से 14 साल के लगभग 8,000 छात्रों ने कोविड -19 अवधि के दौरान स्कूल छोड़ दिया था. इन सभी छात्रों को स्कूल में वापस लाने के उद्देश्य से इस योजना को शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि अभियान को सफल बनाने के लिए राज्य में व्यापक डोर-टू-डोर सर्वे किया जाएगा. सर्वे का काम कॉलेजों के तीसरे वर्ष के छात्रों और स्वयंसेवकों द्वारा किया जाएगा.

उन्होंने बताया कि स्वयंसेवक ड्रॉपआउट छात्रों की सही संख्या का पता लगाएंगे और अपने अभिभावकों को समझाने के बाद उन्हें वापस स्कूल लाएंगे. एक छात्र को स्कूल छोड़ने वाले छात्र को वापस लाने पर प्रत्येक स्वयंसेवक को 500 रुपये दिये जाएंगे. शिक्षा विभाग इस तरह के 10,000 स्वयंसेवकों की मदद लेगा. आंगनबाड़ी कर्मचारी और आशा कार्यकर्ता इस काम में कॉलेज के तीसरे वर्ष के छात्रों की सहायता करेंगे.

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