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17 छात्रों के कथित निलंबन को लेकर जामिया में छात्र संगठन आइसा का कक्षाओं के बहिष्कार का ऐलान - DELHI JAMIA MILLIA ISLAMIA

10 फरवरी को शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद आइसा ने जामिया प्रशासन से 17 छात्रों का निलंबन खत्म करने की मांग की है .

जामिया में आज आइसा का कक्षाओं के बहिष्कार का ऐलान
जामिया में आज आइसा का कक्षाओं के बहिष्कार का ऐलान (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 17, 2025, 4:02 PM IST


नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के एक वर्ग ने हाल ही में परिसर में हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले 17 छात्र-छात्राओं के कथित निलंबन को लेकर कड़ा विरोध जताया है. छात्र संगठन आइसा ने छात्रों के निलंबन को रद्द करने की मांग करते हुए 17 फरवरी को कक्षाओं के बहिष्कार का आह्वान किया है. यह आह्वान विभिन्न विभागों के छात्रों द्वारा किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने साथियों से विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई के खिलाफ एकजुटता से खड़े होने का आग्रह किया है.

17 छात्र-छात्राओं के कथित निलंबन का विरोध : बता दें कि विश्वविद्यालय ने सोमवार को शुरू हुए धरने के बाद एक दर्जन से अधिक छात्रों को निलंबित कर दिया था. इसके बाद बृहस्पतिवार को दिल्ली पुलिस ने सुबह प्रदर्शनकारी छात्र छात्राओं को धरना स्थल सेंट्रल कैंटीन से हटा दिया था. यह प्रदर्शन प्रशासन द्वारा कुछ पीएचडी छात्रों के खिलाफ अनुशासन समिति गठित करने के फैसले के बाद शुरू हुआ था, जिन पर दिसंबर 2024 में साल 2019 के सीएए विरोधी आंदोलन के उपलक्ष्य में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का आरोप है.

दूसरी ओर, सीपीआइ (एम) से राज्यसभा सांसद एए रहीम और लोकसभा सांसद आर. सचिदानंदम ने जामिया के कुलपति को पत्र लिखकर प्रशासन से निलंबन को रद्द करने और परिसर में असहमति और छात्र सक्रियता के अधिकार को बनाए रखने का आग्रह किया है. विश्वविद्यालय प्रशासन की शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर तोड़फोड़ करने के आरोप में 14 छात्रों को हिरासत में लिया था, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन और बढ़ गया था.

छात्र संगठनों का दावा है कि हिरासत में लिए गए छात्रों के माता-पिता से संपर्क करके उन्हें विरोध प्रदर्शन से हटने के लिए दबाव डाला गया. मामले ने तब और तूल पकड़ा जब जामिया के प्रवेश द्वारों पर प्रदर्शन में शामिल छात्रों के व्यक्तिगत जानकारी के साथ पोस्टर लगा दिए गए. छात्रों ने निजता उल्लंघन का आरोप लगाया और इसके बाद जामिया प्रशासन ने पोस्टरों को हटवा लिया.

जामिया प्रशासन ने पोस्टर के लिए असामाजिक तत्वों को ठहराया जिम्मेदार : जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन ने परिसर में हुए प्रदर्शन में शामिल छात्रों के प्रवेश द्वार पर पोस्टर लगाने की घटना से इंकार कर दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान जारी कर इसे असामाजिक तत्वों की करतूत और और संस्थान को बदनाम करने की साजिश बताया है. पूरे मामले की जांच के लिए एक समिति भी गठित कर दी गई है.

मौजूदा घटनाक्रम संस्थान एक गंभीर चिंता का विषय : जामिया प्रशासन ने एक विस्तृत बयान में कहा है कि मौजूदा घटनाक्रम जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है. पिछले चार-पांच दिनों से कुछ व्यक्ति और असामाजिक तत्व अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट और अन्य आनलाइन माध्यमों का दुरुपयोग करके भ्रामक, अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण संदेश और मनगढ़ंत वीडियो फैलाकर विश्वविद्यालय और उसके छात्रों की छवि को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं. इन व्यक्तियों और संगठनों ने, जिनका विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना नहीं है, वे विश्वविद्यालय की दीवारों और गेटों पर निलंबित छात्रों की तस्वीरें और विवरण भी सार्वजनिक कर रहे हैं.

निलंबित छात्रों की तस्वीरें और विवरण को दीवारों और गेट से हटाया : विश्वविद्यालय ने इसकी जानकारी मिलने के बाद तुरंत ही इन तस्वीरों को दीवारों से हटा दिया. विश्वविद्यालय ऐसे पतित और गैर-जिम्मेदाराना कृत्यों की कड़ी निंदा करता है और 104 साल पुराने संस्थान की गौरवमय छवि को धूमिल करने के स्पष्ट इरादे से झूठी और अपमानजनक जानकारी फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सभी आवश्यक वैधानिक और कानून सम्मत कार्रवाई करेगा. विश्वविद्यालय की ओर से 13 फरवरी को जारी आधिकारिक बयान में यह स्पष्ट किया गया कि मुट्ठी भर प्रदर्शनकारी छात्र बिना किसी सक्षम प्राधिकारी से पूर्व अनुमति लिए परिसर के शैक्षणिक ब्लाक में गैरकानूनी रूप से एकत्र हुए थे और कक्षाओं के संचालन और केंद्रीय पुस्तकालय तक पहुंचने में बाधा डाल रहे थे, इसके अलावा, विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे.

फर्जी संदेशों और भ्रामक अफवाहों का शिकार न होने की छात्रों से अपील : यह विश्वविद्यालय के नियमों में स्पष्ट है कि जामिया के विभागों और केंद्रों द्वारा आयोजित किसी भी शैक्षणिक सम्मेलन-कार्यशाला या सेमिनार को भी सक्षम प्राधिकारी से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है. इसके बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी मांगों पर चर्चा करने के लिए अपने दरवाजे खुले रखे थे, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने और किसी भी चर्चा के लिए आगे आने से इनकार कर दिया, इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन अपने सभी छात्रों को इन फर्जी संदेशों और भ्रामक अफवाहों का शिकार न होने की सलाह देता है और उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने और आगामी मध्य सेमेस्टर परीक्षाओं के मद्देनजर नियमित रूप से कक्षाओं में भाग लेने की सलाह देता है.

विश्वविद्यालय ने असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई के लिए कमेटी की गठित : यह भी निर्देशित करना आवश्यक है कि विश्वविद्यालय समय सारिणी के अनुसार नियमित रूप से कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं. इसके अलावा, निलंबित छात्रों की तस्वीरें और अन्य विवरण सार्वजनिक करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच करने, तथ्यों का पता लगाने और इसमें शामिल असामाजिक तत्व, व्यक्तियों या संगठनों की पहचान करने तथा उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए एक समिति गठित की है. विश्वविद्यालय अपने सभी छात्रों और शिक्षकों के हित में शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
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नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों के एक वर्ग ने हाल ही में परिसर में हुए विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले 17 छात्र-छात्राओं के कथित निलंबन को लेकर कड़ा विरोध जताया है. छात्र संगठन आइसा ने छात्रों के निलंबन को रद्द करने की मांग करते हुए 17 फरवरी को कक्षाओं के बहिष्कार का आह्वान किया है. यह आह्वान विभिन्न विभागों के छात्रों द्वारा किया गया है, जिसमें उन्होंने अपने साथियों से विश्वविद्यालय की अनुशासनात्मक कार्रवाई के खिलाफ एकजुटता से खड़े होने का आग्रह किया है.

17 छात्र-छात्राओं के कथित निलंबन का विरोध : बता दें कि विश्वविद्यालय ने सोमवार को शुरू हुए धरने के बाद एक दर्जन से अधिक छात्रों को निलंबित कर दिया था. इसके बाद बृहस्पतिवार को दिल्ली पुलिस ने सुबह प्रदर्शनकारी छात्र छात्राओं को धरना स्थल सेंट्रल कैंटीन से हटा दिया था. यह प्रदर्शन प्रशासन द्वारा कुछ पीएचडी छात्रों के खिलाफ अनुशासन समिति गठित करने के फैसले के बाद शुरू हुआ था, जिन पर दिसंबर 2024 में साल 2019 के सीएए विरोधी आंदोलन के उपलक्ष्य में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का आरोप है.

दूसरी ओर, सीपीआइ (एम) से राज्यसभा सांसद एए रहीम और लोकसभा सांसद आर. सचिदानंदम ने जामिया के कुलपति को पत्र लिखकर प्रशासन से निलंबन को रद्द करने और परिसर में असहमति और छात्र सक्रियता के अधिकार को बनाए रखने का आग्रह किया है. विश्वविद्यालय प्रशासन की शिकायत के बाद दिल्ली पुलिस ने बृहस्पतिवार को प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर तोड़फोड़ करने के आरोप में 14 छात्रों को हिरासत में लिया था, जिसके बाद विरोध प्रदर्शन और बढ़ गया था.

छात्र संगठनों का दावा है कि हिरासत में लिए गए छात्रों के माता-पिता से संपर्क करके उन्हें विरोध प्रदर्शन से हटने के लिए दबाव डाला गया. मामले ने तब और तूल पकड़ा जब जामिया के प्रवेश द्वारों पर प्रदर्शन में शामिल छात्रों के व्यक्तिगत जानकारी के साथ पोस्टर लगा दिए गए. छात्रों ने निजता उल्लंघन का आरोप लगाया और इसके बाद जामिया प्रशासन ने पोस्टरों को हटवा लिया.

जामिया प्रशासन ने पोस्टर के लिए असामाजिक तत्वों को ठहराया जिम्मेदार : जामिया मिल्लिया इस्लामिया प्रशासन ने परिसर में हुए प्रदर्शन में शामिल छात्रों के प्रवेश द्वार पर पोस्टर लगाने की घटना से इंकार कर दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बयान जारी कर इसे असामाजिक तत्वों की करतूत और और संस्थान को बदनाम करने की साजिश बताया है. पूरे मामले की जांच के लिए एक समिति भी गठित कर दी गई है.

मौजूदा घटनाक्रम संस्थान एक गंभीर चिंता का विषय : जामिया प्रशासन ने एक विस्तृत बयान में कहा है कि मौजूदा घटनाक्रम जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है. पिछले चार-पांच दिनों से कुछ व्यक्ति और असामाजिक तत्व अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट और अन्य आनलाइन माध्यमों का दुरुपयोग करके भ्रामक, अपमानजनक और दुर्भावनापूर्ण संदेश और मनगढ़ंत वीडियो फैलाकर विश्वविद्यालय और उसके छात्रों की छवि को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं. इन व्यक्तियों और संगठनों ने, जिनका विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना नहीं है, वे विश्वविद्यालय की दीवारों और गेटों पर निलंबित छात्रों की तस्वीरें और विवरण भी सार्वजनिक कर रहे हैं.

निलंबित छात्रों की तस्वीरें और विवरण को दीवारों और गेट से हटाया : विश्वविद्यालय ने इसकी जानकारी मिलने के बाद तुरंत ही इन तस्वीरों को दीवारों से हटा दिया. विश्वविद्यालय ऐसे पतित और गैर-जिम्मेदाराना कृत्यों की कड़ी निंदा करता है और 104 साल पुराने संस्थान की गौरवमय छवि को धूमिल करने के स्पष्ट इरादे से झूठी और अपमानजनक जानकारी फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सभी आवश्यक वैधानिक और कानून सम्मत कार्रवाई करेगा. विश्वविद्यालय की ओर से 13 फरवरी को जारी आधिकारिक बयान में यह स्पष्ट किया गया कि मुट्ठी भर प्रदर्शनकारी छात्र बिना किसी सक्षम प्राधिकारी से पूर्व अनुमति लिए परिसर के शैक्षणिक ब्लाक में गैरकानूनी रूप से एकत्र हुए थे और कक्षाओं के संचालन और केंद्रीय पुस्तकालय तक पहुंचने में बाधा डाल रहे थे, इसके अलावा, विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे.

फर्जी संदेशों और भ्रामक अफवाहों का शिकार न होने की छात्रों से अपील : यह विश्वविद्यालय के नियमों में स्पष्ट है कि जामिया के विभागों और केंद्रों द्वारा आयोजित किसी भी शैक्षणिक सम्मेलन-कार्यशाला या सेमिनार को भी सक्षम प्राधिकारी से पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है. इसके बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी मांगों पर चर्चा करने के लिए अपने दरवाजे खुले रखे थे, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार करने और किसी भी चर्चा के लिए आगे आने से इनकार कर दिया, इसलिए विश्वविद्यालय प्रशासन अपने सभी छात्रों को इन फर्जी संदेशों और भ्रामक अफवाहों का शिकार न होने की सलाह देता है और उन्हें अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने और आगामी मध्य सेमेस्टर परीक्षाओं के मद्देनजर नियमित रूप से कक्षाओं में भाग लेने की सलाह देता है.

विश्वविद्यालय ने असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई के लिए कमेटी की गठित : यह भी निर्देशित करना आवश्यक है कि विश्वविद्यालय समय सारिणी के अनुसार नियमित रूप से कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं. इसके अलावा, निलंबित छात्रों की तस्वीरें और अन्य विवरण सार्वजनिक करने पर कड़ा रुख अपनाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच करने, तथ्यों का पता लगाने और इसमें शामिल असामाजिक तत्व, व्यक्तियों या संगठनों की पहचान करने तथा उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए एक समिति गठित की है. विश्वविद्यालय अपने सभी छात्रों और शिक्षकों के हित में शांतिपूर्ण शैक्षणिक माहौल की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
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