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बंगाल में टीएमसी दो सीटें देने को तैयार, कांग्रेस कर रही पांच पर दावा!

Trinamool ready to give two seats : लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां रणनीति बनाने में जुटी हैं. सूत्रों का कहना है कि बंगाल में टीएमसी, कांग्रेस को सिर्फ दो सीट देना चाहती है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 12, 2024, 6:25 PM IST

mamata banerjee
ममता बनर्जी

कोलकाता: सीट बंटवारे के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ बैठक करने में तृणमूल की कोई दिलचस्पी नहीं है. तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि वे सीट बंटवारे पर बैठक में एक प्रतिनिधि भी तैनात नहीं कर रहे हैं. तृणमूल सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने कांग्रेस को पहले ही सूचित कर दिया है कि तृणमूल दो से अधिक सीटें नहीं देना चाहती है.

तृणमूल कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. इतना ही नहीं, उनका वोट प्रतिशत गिरकर तीन फीसदी पर आ गया. तो इसमें चर्चा करने की क्या बात है.' ऐसे में तृणमूल नेता पहले ही दो सीटें देने पर सहमत हो गए हैं.

हालांकि, कांग्रेस के एक सूत्र के हवाले से पहले ही खबर आ चुकी है कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से कम से कम पांच-छह सीटें मांग रही है. ऐसे में उन्होंने जीती हुई दो सीटों के अलावा दार्जिलिंग, रायगंज, मुर्शिदाबाद और पुरुलिया लोकसभा सीटों पर भी दावा ठोक दिया. इनमें से मुर्शिदाबाद सीट पिछली बार तृणमूल कांग्रेस ने जीती थी और दार्जिलिंग, रायगंज और पुरुलिया की सभी सीटें बीजेपी ने जीती थीं. स्वाभाविक रूप से एक प्रासंगिक सवाल उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल में प्रांतीय नेतृत्व की मांगों और कांग्रेस के साथ गठबंधन को पूरा करना संभव है!

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले कहा था, 'अगर कांग्रेस जीतने की स्थिति में है, तो मुझे उन्हें सीटें देने में कोई समस्या नहीं है. बंगाल में उनके पास वास्तव में दो से अधिक सीटें नहीं हैं.' संयोग से, अगर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल से 22 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 18 सीटें मिलीं. कांग्रेस के खाते में केवल दो सीटें गईं.

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को सिर्फ 5.67 फीसदी वोट मिले. 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर गिरकर 2.93 फीसदी रह गया. तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व का मानना ​​है कि इस स्थिति में कांग्रेस का दो से अधिक सीटों पर दावा करना अनुचित है. इस संदर्भ में तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि ममता बनर्जी खुद पूरे मामले को देख रही हैं. नेता ने कहा कि 'उन्होंने बार-बार कहा है कि उन्हें बीजेपी से वहीं लड़ना चाहिए जहां वह मजबूत है. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस मजबूत है. कांग्रेस को हमारी मदद करनी चाहिए.'

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी कुछ दिन पहले सीट बंटवारे को लेकर चिंतित थे. वहां उन्होंने साफ कहा कि पश्चिम बंगाल में दो सीटें जीतने के लिए कांग्रेस को किसी की मदद की जरूरत नहीं है. कांग्रेस अपने दम पर दो सीटें जीतने का दम रखती है. अधीर चौधरी के बयान से साफ है कि वह पश्चिम बंगाल में दो सीटों के साथ गठबंधन की राह पर चलने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में सीट बंटवारे पर चर्चा में तृणमूल कांग्रेस के शामिल नहीं होने से पश्चिम बंगाल में गठबंधन का सवाल ही नहीं उठेगा.

हालांकि पिछले बुधवार को पश्चिम मिदनापुर पर चर्चा में ममता बनर्जी ने साफ कहा था कि तृणमूल यहां गठबंधन में रहकर ही चुनाव लड़ेगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठकर चर्चा करेंगी कि सीटों को लेकर क्या होगा.

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कोलकाता: सीट बंटवारे के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ बैठक करने में तृणमूल की कोई दिलचस्पी नहीं है. तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि वे सीट बंटवारे पर बैठक में एक प्रतिनिधि भी तैनात नहीं कर रहे हैं. तृणमूल सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने कांग्रेस को पहले ही सूचित कर दिया है कि तृणमूल दो से अधिक सीटें नहीं देना चाहती है.

तृणमूल कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. इतना ही नहीं, उनका वोट प्रतिशत गिरकर तीन फीसदी पर आ गया. तो इसमें चर्चा करने की क्या बात है.' ऐसे में तृणमूल नेता पहले ही दो सीटें देने पर सहमत हो गए हैं.

हालांकि, कांग्रेस के एक सूत्र के हवाले से पहले ही खबर आ चुकी है कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से कम से कम पांच-छह सीटें मांग रही है. ऐसे में उन्होंने जीती हुई दो सीटों के अलावा दार्जिलिंग, रायगंज, मुर्शिदाबाद और पुरुलिया लोकसभा सीटों पर भी दावा ठोक दिया. इनमें से मुर्शिदाबाद सीट पिछली बार तृणमूल कांग्रेस ने जीती थी और दार्जिलिंग, रायगंज और पुरुलिया की सभी सीटें बीजेपी ने जीती थीं. स्वाभाविक रूप से एक प्रासंगिक सवाल उठता है कि क्या पश्चिम बंगाल में प्रांतीय नेतृत्व की मांगों और कांग्रेस के साथ गठबंधन को पूरा करना संभव है!

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले कहा था, 'अगर कांग्रेस जीतने की स्थिति में है, तो मुझे उन्हें सीटें देने में कोई समस्या नहीं है. बंगाल में उनके पास वास्तव में दो से अधिक सीटें नहीं हैं.' संयोग से, अगर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल से 22 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 18 सीटें मिलीं. कांग्रेस के खाते में केवल दो सीटें गईं.

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को सिर्फ 5.67 फीसदी वोट मिले. 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर गिरकर 2.93 फीसदी रह गया. तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व का मानना ​​है कि इस स्थिति में कांग्रेस का दो से अधिक सीटों पर दावा करना अनुचित है. इस संदर्भ में तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ सांसद ने कहा कि ममता बनर्जी खुद पूरे मामले को देख रही हैं. नेता ने कहा कि 'उन्होंने बार-बार कहा है कि उन्हें बीजेपी से वहीं लड़ना चाहिए जहां वह मजबूत है. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस मजबूत है. कांग्रेस को हमारी मदद करनी चाहिए.'

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी कुछ दिन पहले सीट बंटवारे को लेकर चिंतित थे. वहां उन्होंने साफ कहा कि पश्चिम बंगाल में दो सीटें जीतने के लिए कांग्रेस को किसी की मदद की जरूरत नहीं है. कांग्रेस अपने दम पर दो सीटें जीतने का दम रखती है. अधीर चौधरी के बयान से साफ है कि वह पश्चिम बंगाल में दो सीटों के साथ गठबंधन की राह पर चलने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में सीट बंटवारे पर चर्चा में तृणमूल कांग्रेस के शामिल नहीं होने से पश्चिम बंगाल में गठबंधन का सवाल ही नहीं उठेगा.

हालांकि पिछले बुधवार को पश्चिम मिदनापुर पर चर्चा में ममता बनर्जी ने साफ कहा था कि तृणमूल यहां गठबंधन में रहकर ही चुनाव लड़ेगी. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठकर चर्चा करेंगी कि सीटों को लेकर क्या होगा.

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