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केंद्रीय बजट के खिलाफ 28-29 मार्च को हड़ताल, सीपीआईएम ने किया आह्वान

सीटू के महासचिव तपन सेन (Tapan Sen, General Secretary of CITU) ने कहा कि शुक्रवार को देशभर में केंद्रीय बजट के विरोध में प्रदर्शन किया गया. उन्होंने कहा कि 28 व 29 मार्च को होने वाली अखिल भारतीय आम हड़ताल की तैयारियों के मद्देनजर इसे आयोजित किया गया था. पढ़िए ईटीवी संवाददाता अभिजीत ठाकुर की रिपोर्ट...

Tapan Sen, General Secretary of CITU
सीटू के महासचिव तपन सेन
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Published : Feb 25, 2022, 8:46 PM IST

Updated : Feb 25, 2022, 10:14 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय बजट 2022 के विरोध में शुक्रवार को भारतीय ट्रेड यूनियन (सीटू), अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) और अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ (एआईएडब्ल्यूयू) ने पूरे देश में संयुक्त प्रदर्शन किया. ट्रेड यूनियनों को आंदोलन में किसान यूनियनों के संयुक्त किसान मोर्चा का भी सर्मथन मिला. उक्त विरोध प्रदर्शन का आह्वान 28 और 29 मार्च को होने वाली अखिल भारतीय आम हड़ताल की तैयारियों के तहत किया गया था. इस दौरान वामपंथी यूनियनों ने बजट को कारपोरेट समर्थक, जनविरोधी और मजदूर विरोधी बताया.

केंद्रीय बजट के खिलाफ 28-29 मार्च को हड़ताल, सीपीआईएम ने किया आह्वान

इस संबंध में सीटू के महासचिव तपन सेन (Tapan Sen, General Secretary of CITU) ने कहा कि पिछले आंदोलनों के अनुभवों को देखते हुए हमने पहले ही अभ्यास शुरू कर दिया है. पूरे किसान आंदोलन के दौरान हमने किसानों को अपना पूरा समर्थन दिया. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और किसानों के विरोध के बाद अगला चरण आम हड़ताल है. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने भी हमारी हड़ताल का समर्थन किया है और उस दिशा में किसान संघ भी आम हड़ताल को सफल बनाने की तैयारी में भाग लेंगे. हमने एक संदेश देने के लिए यह प्रक्रिया शुरू की है और इस बीच सरकार ने यह बजट पेश किया, इसलिए इसे भी मुद्दों की सूची में शामिल किया गया था.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियन हाल के बजट पर अपनी निराशा व्यक्त जताता रहा है और बजट के अलावा ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर यूनियनें नियमित रूप से प्रदर्शन करती रही हैं. सीटू नेता ने कहा कि शुक्रवार को सांकेतिक विरोध का आह्वान अखिल भारतीय आम हड़ताल के आह्वान की तैयारी का एक हिस्सा था. उन्होंने कहा कि चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग उनके प्रमुख एजेंडे में है जिसके लिए वे ट्रेड यूनियनों का समर्थन जुटा रहे हैं.

तपन सेन ने कहा कि आम हड़ताल का आह्वान इस सरकार की राष्ट्रविरोधी और जनविरोधी आर्थिक नीति के खिलाफ आंदोलन का दूसरा चरण है. हमारी 12 बिंदुओं की मांग है और मुख्य मुद्दे हैं जिसमें श्रम संहिताएं, किसानों की लंबित मांगें, निजीकरण का पूर्ण विराम और इससे भी ज्यादा खतरनाक बिना किसी लागत के राष्ट्रीय संपत्ति को कॉरपोरेट्स को उपहार में दिया जाना शामिल है. मांगों में नकद मुआवजा दिए जाने के साथ ही महामारी से प्रभावित लोगों को मुफ्त में राशन दिया जाना भी शामिल है.

ये भी पढ़ें- budget agriculture sector : 163 लाख किसानों से 1208 मीट्रिक टन गेहूं और धान खरीदा जाएगा

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान कई लोगों ने अपनी नौकरी खो दी थी जिससे उनकी आय कम हो गई. इस वजह से देश में भूख का अनुपात भी बढ़ गया. सरकार को ऐसे लोगों को आय और भोजन सहायता प्रदान करनी चाहिए. साथ ही केंद्र की मुफ्त राशन योजना भी बंद कर दी गई है जिसे जारी रहना चाहिए. तपन सेन ने कहा कि सभी गैर कर भुगतान करने वाले परिवारों को नकद और भोजन की सहायता प्रदान की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि हम भारत में केवल इसकी मांग कर रहे हैं. कई अन्य देश पहले ही महामारी के दौरान ऐसा कर चुके हैं. अगला मुद्दा योजना श्रमिकों का नियमितीकरण है. उन्हें न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा दी जानी चाहिए. सीटू ने अपने आंदोलन में अन्य सभी ट्रेड यूनियनों के समर्थन का दावा किया है. हालांकि केवल आरएसएस से संबद्ध ट्रेड विंग भारतीय मजदूर संघ अब तक ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा किए गए आह्वान से दूर रहा है. इसके अलावा आम हड़ताल में भी मजदूर संघ शामिल नहीं होगा. तपन सेन ने कहा कि अन्य सभी ट्रेड यूनियन 28 और 29 मार्च को आम हड़ताल में भाग लेंगी.

नई दिल्ली : केंद्रीय बजट 2022 के विरोध में शुक्रवार को भारतीय ट्रेड यूनियन (सीटू), अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) और अखिल भारतीय कृषि श्रमिक संघ (एआईएडब्ल्यूयू) ने पूरे देश में संयुक्त प्रदर्शन किया. ट्रेड यूनियनों को आंदोलन में किसान यूनियनों के संयुक्त किसान मोर्चा का भी सर्मथन मिला. उक्त विरोध प्रदर्शन का आह्वान 28 और 29 मार्च को होने वाली अखिल भारतीय आम हड़ताल की तैयारियों के तहत किया गया था. इस दौरान वामपंथी यूनियनों ने बजट को कारपोरेट समर्थक, जनविरोधी और मजदूर विरोधी बताया.

केंद्रीय बजट के खिलाफ 28-29 मार्च को हड़ताल, सीपीआईएम ने किया आह्वान

इस संबंध में सीटू के महासचिव तपन सेन (Tapan Sen, General Secretary of CITU) ने कहा कि पिछले आंदोलनों के अनुभवों को देखते हुए हमने पहले ही अभ्यास शुरू कर दिया है. पूरे किसान आंदोलन के दौरान हमने किसानों को अपना पूरा समर्थन दिया. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और किसानों के विरोध के बाद अगला चरण आम हड़ताल है. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने भी हमारी हड़ताल का समर्थन किया है और उस दिशा में किसान संघ भी आम हड़ताल को सफल बनाने की तैयारी में भाग लेंगे. हमने एक संदेश देने के लिए यह प्रक्रिया शुरू की है और इस बीच सरकार ने यह बजट पेश किया, इसलिए इसे भी मुद्दों की सूची में शामिल किया गया था.

उन्होंने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियन हाल के बजट पर अपनी निराशा व्यक्त जताता रहा है और बजट के अलावा ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर यूनियनें नियमित रूप से प्रदर्शन करती रही हैं. सीटू नेता ने कहा कि शुक्रवार को सांकेतिक विरोध का आह्वान अखिल भारतीय आम हड़ताल के आह्वान की तैयारी का एक हिस्सा था. उन्होंने कहा कि चार श्रम संहिताओं को निरस्त करने की मांग उनके प्रमुख एजेंडे में है जिसके लिए वे ट्रेड यूनियनों का समर्थन जुटा रहे हैं.

तपन सेन ने कहा कि आम हड़ताल का आह्वान इस सरकार की राष्ट्रविरोधी और जनविरोधी आर्थिक नीति के खिलाफ आंदोलन का दूसरा चरण है. हमारी 12 बिंदुओं की मांग है और मुख्य मुद्दे हैं जिसमें श्रम संहिताएं, किसानों की लंबित मांगें, निजीकरण का पूर्ण विराम और इससे भी ज्यादा खतरनाक बिना किसी लागत के राष्ट्रीय संपत्ति को कॉरपोरेट्स को उपहार में दिया जाना शामिल है. मांगों में नकद मुआवजा दिए जाने के साथ ही महामारी से प्रभावित लोगों को मुफ्त में राशन दिया जाना भी शामिल है.

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उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान कई लोगों ने अपनी नौकरी खो दी थी जिससे उनकी आय कम हो गई. इस वजह से देश में भूख का अनुपात भी बढ़ गया. सरकार को ऐसे लोगों को आय और भोजन सहायता प्रदान करनी चाहिए. साथ ही केंद्र की मुफ्त राशन योजना भी बंद कर दी गई है जिसे जारी रहना चाहिए. तपन सेन ने कहा कि सभी गैर कर भुगतान करने वाले परिवारों को नकद और भोजन की सहायता प्रदान की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ऐसा नहीं है कि हम भारत में केवल इसकी मांग कर रहे हैं. कई अन्य देश पहले ही महामारी के दौरान ऐसा कर चुके हैं. अगला मुद्दा योजना श्रमिकों का नियमितीकरण है. उन्हें न्यूनतम मजदूरी और सामाजिक सुरक्षा दी जानी चाहिए. सीटू ने अपने आंदोलन में अन्य सभी ट्रेड यूनियनों के समर्थन का दावा किया है. हालांकि केवल आरएसएस से संबद्ध ट्रेड विंग भारतीय मजदूर संघ अब तक ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच द्वारा किए गए आह्वान से दूर रहा है. इसके अलावा आम हड़ताल में भी मजदूर संघ शामिल नहीं होगा. तपन सेन ने कहा कि अन्य सभी ट्रेड यूनियन 28 और 29 मार्च को आम हड़ताल में भाग लेंगी.

Last Updated : Feb 25, 2022, 10:14 PM IST
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