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ISRO के वरिष्ठ वैज्ञानिक का दावा- 2017 में हुई थी जहर देकर मारने की कोशिश - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन

इसरो के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने दावा किया कि उन्हें तीन साल से अधिक समय पहले जहर दिया गया था. उन्होंने फेसबुक पर 'लॉंग केप्ट सीक्रेट' नामक से एक पोस्ट में यह दावा किया कि जुलाई, 2017 में गृह मामलों के सुरक्षाकर्मियों ने उनसे मुलाकात कर आर्सेनिक जहर दिये जाने के प्रति उन्हें सावधान किया था.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
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Published : Jan 6, 2021, 7:18 AM IST

Updated : Jan 6, 2021, 10:13 PM IST

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने मंगलवार को दावा किया कि उन्हें तीन साल से अधिक समय पहले जहर दिया गया था. करीब तीन साल पहले आर्सेनिक जहर दिए जाने का दावा करने के एक दिन बाद इसरो के वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने बुधवार को कहा कि संभवत: स्वदेशी राडार इमेजिंग सिस्टम (आईआईसैट) विकसित करने में उनके योगदान के कारण यह हमला हुआ था.

तपन मिश्रा ने आरोप लगाया कि उन्हें 23 मई, 2017 को इसरो मुख्यालय में पदोन्नति साक्षात्कार के दौरान घातक आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड जहर दिया गया था. उन्होंने कहा दोपहर के भोजन के बाद 'स्नैक्स' में संभवत डोसे की चटनी के साथ मिलाकर जहर दिया गया था.

वरिष्ठ वैज्ञानिक का दावा.

मिश्रा फिलहाल इसरो में वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं और इस महीने के अंत में सेवानिवृत होने वाले हैं. उन्होंने फेसबुक पर 'लॉंग केप्ट सीक्रेट' नामक से एक पोस्ट में यह दावा किया कि जुलाई, 2017 में गृह मामलों के सुरक्षाकर्मियों ने उनसे मुलाकात कर आर्सेनिक जहर दिये जाने के प्रति उन्हें सावधान किया था.

अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में मिश्रा ने संदेह जताया कि संभवत: हमला उन लोगों ने किया होगा जिन्हें भारत सरकार के ऑर्डर (खरीद का ऑर्डर) खोने का डर होगा. मिश्रा ने कहा कि मेरा योगदान राडार इमेजिंग सेटेलाइट-आरआईसैट विकसित करने में था, उच्चस्तर की प्रौद्योगिकी माना जाता है. इस प्रणाली का उपयोग करके हम दिन या रात किसी भी सूरत में धरती को देख सकते हैं.' उन्होंने कहा कि अगर हम दूसरों से खरीदते हैं तो यह (स्वदेशी के मुकाबले) 10 गुना ज्यादा महंगा है.

हमले के पीछे वास्तविक कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि बादल और धूल के बावजूद तस्वीरें लेने की अपनी क्षमता के कारण यह प्रणाली सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए अगर हम अपने देश में ऐसी प्रणाली विकसित कर लेते हैं तो, यह स्वभाविक है कि दूसरों (जो अभी तक यह तकनीक भारत को बेच रहे थे) का धंधा चौपट हो जाएगा.

पढ़ें : एक वर्ष के लिए बढ़ा इसरो के चेयरमैन का कार्यकाल

उन्होंने कहा कि जहर देने के मामलों को सार्वजनिक करने के उनके फैसले से जागरुकता बढ़ेगी और भविष्य में ऐसा करने वालों के भीतर डर पैदा होगा. मिश्रा ने कहा कि उन्होंने (हमलावरों) संभवत: सोचा होगा कि मैं सेवानिवृत्त होने के बाद खुलासा करुंगा. ऐसे में संभव है कि उन्होंने मुझे सेवानिवृत्ति से पहले ही मारने की योजना बनाई हो लेकिन, अब सभी को पता है कि मेरे साथ क्या हुआ. यह उन्हें रोकेगा. अब अगर मुझे कुछ होता है कि मीडिया यह मुद्दा उठा सकता है.

पोस्ट में मिश्रा ने दावा किया है कि जुलाई, 2017 में गृह मंत्रालय के सुरक्षा कर्मी उनसे मिले और उन्हें आर्सेनिक जहर के बारे में सचेत किया और इलाज में मदद की. मिश्रा ने यह भी दावा किया है कि बाद में उन्हें स्वास्थ्य संबंधी तमाम परेशानियां होने लगीं. एम्स, दिल्ली में डॉक्टरों ने उनके शरीर में आर्सेनिक जहर होने का पता लगाया.

बेंगलुरु : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने मंगलवार को दावा किया कि उन्हें तीन साल से अधिक समय पहले जहर दिया गया था. करीब तीन साल पहले आर्सेनिक जहर दिए जाने का दावा करने के एक दिन बाद इसरो के वैज्ञानिक तपन मिश्रा ने बुधवार को कहा कि संभवत: स्वदेशी राडार इमेजिंग सिस्टम (आईआईसैट) विकसित करने में उनके योगदान के कारण यह हमला हुआ था.

तपन मिश्रा ने आरोप लगाया कि उन्हें 23 मई, 2017 को इसरो मुख्यालय में पदोन्नति साक्षात्कार के दौरान घातक आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड जहर दिया गया था. उन्होंने कहा दोपहर के भोजन के बाद 'स्नैक्स' में संभवत डोसे की चटनी के साथ मिलाकर जहर दिया गया था.

वरिष्ठ वैज्ञानिक का दावा.

मिश्रा फिलहाल इसरो में वरिष्ठ सलाहकार के तौर पर काम कर रहे हैं और इस महीने के अंत में सेवानिवृत होने वाले हैं. उन्होंने फेसबुक पर 'लॉंग केप्ट सीक्रेट' नामक से एक पोस्ट में यह दावा किया कि जुलाई, 2017 में गृह मामलों के सुरक्षाकर्मियों ने उनसे मुलाकात कर आर्सेनिक जहर दिये जाने के प्रति उन्हें सावधान किया था.

अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में मिश्रा ने संदेह जताया कि संभवत: हमला उन लोगों ने किया होगा जिन्हें भारत सरकार के ऑर्डर (खरीद का ऑर्डर) खोने का डर होगा. मिश्रा ने कहा कि मेरा योगदान राडार इमेजिंग सेटेलाइट-आरआईसैट विकसित करने में था, उच्चस्तर की प्रौद्योगिकी माना जाता है. इस प्रणाली का उपयोग करके हम दिन या रात किसी भी सूरत में धरती को देख सकते हैं.' उन्होंने कहा कि अगर हम दूसरों से खरीदते हैं तो यह (स्वदेशी के मुकाबले) 10 गुना ज्यादा महंगा है.

हमले के पीछे वास्तविक कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि बादल और धूल के बावजूद तस्वीरें लेने की अपनी क्षमता के कारण यह प्रणाली सेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसलिए अगर हम अपने देश में ऐसी प्रणाली विकसित कर लेते हैं तो, यह स्वभाविक है कि दूसरों (जो अभी तक यह तकनीक भारत को बेच रहे थे) का धंधा चौपट हो जाएगा.

पढ़ें : एक वर्ष के लिए बढ़ा इसरो के चेयरमैन का कार्यकाल

उन्होंने कहा कि जहर देने के मामलों को सार्वजनिक करने के उनके फैसले से जागरुकता बढ़ेगी और भविष्य में ऐसा करने वालों के भीतर डर पैदा होगा. मिश्रा ने कहा कि उन्होंने (हमलावरों) संभवत: सोचा होगा कि मैं सेवानिवृत्त होने के बाद खुलासा करुंगा. ऐसे में संभव है कि उन्होंने मुझे सेवानिवृत्ति से पहले ही मारने की योजना बनाई हो लेकिन, अब सभी को पता है कि मेरे साथ क्या हुआ. यह उन्हें रोकेगा. अब अगर मुझे कुछ होता है कि मीडिया यह मुद्दा उठा सकता है.

पोस्ट में मिश्रा ने दावा किया है कि जुलाई, 2017 में गृह मंत्रालय के सुरक्षा कर्मी उनसे मिले और उन्हें आर्सेनिक जहर के बारे में सचेत किया और इलाज में मदद की. मिश्रा ने यह भी दावा किया है कि बाद में उन्हें स्वास्थ्य संबंधी तमाम परेशानियां होने लगीं. एम्स, दिल्ली में डॉक्टरों ने उनके शरीर में आर्सेनिक जहर होने का पता लगाया.

Last Updated : Jan 6, 2021, 10:13 PM IST
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