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शीर्ष बौद्ध भिक्षुओं ने की PM की तारीफ, कहा- भारत ने मोदी नेतृत्व में बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान देखा है

दिल्ली में भारत के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में शीर्ष बौद्ध भिक्षुओं ने पीएम मोदी की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान देखा है. बता दें इस शिखर सम्मेलन में भारत के अलावा करीब 30 देशों के विद्वान शामिल हुए थे.

Top Buddhist monk hails PM Mod
शीर्ष बौद्ध भिक्षुओं ने की PM की तारीफ
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Published : Apr 22, 2023, 7:06 AM IST

नई दिल्ली: दक्षिण कोरिया के एक शीर्ष बौद्ध भिक्षु ने शुक्रवार को ईटीवी भारत को बताया कि भारत ने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में बौद्ध धर्म का एक बड़ा पुनरुत्थान देखा है. देश सक्रिय रूप से वैश्विक संघर्ष को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने में भूमिका निभाएगा और यह तेजी से बढ़ रहा है. भविष्य में भारत दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है.

भारत की विदेश नीति में बौद्ध धर्म के महत्व के बारे में पूछे जाने पर गाइडिंग धर्मा मास्टर, जंग्टो सोसाइटी के अध्यक्ष वेन पोमनियम सुनीम ने बौद्ध धर्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों की सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई लोगों को आशा दी है. पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने बौद्ध धर्म का एक महान पुनरुद्धार देखा है. उन्होंने कहा कि 2 हजार साल पहले बौद्ध धर्म समुद्री मार्ग से भारत से कोरिया पहुंचा था. बता दें कि पोमनियम 20-21 अप्रैल तक दो दिवसीय वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले शीर्ष बौद्ध विद्वानों में से एक थे.

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में भारत तेजी से विकास कर रहा है और मुझे लगता है कि यह जल्द ही दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा. हालांकि, मुझे लगता है कि भारत के महान मानव इतिहास में यह एक आर्थिक समस्या नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक समस्या है. पूरी दुनिया इस समय संघर्ष में है. मुझे उम्मीद है कि भारत इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में सक्रिय रूप से भूमिका निभाएगा और भारत ऐसा कर सकता है. भारत ने वर्षों से विदेश नीति पर अपनी पकड़ बनाई है और बौद्ध कूटनीति इन पहलों को प्राप्त करने की रणनीति रही है. कूटनीति और विदेश नीति में बौद्ध धर्म के साथ भारत के ऐतिहासिक जुड़ाव महत्वपूर्ण रहे हैं और वैश्विक समुदाय में इसकी अत्यधिक सराहना की जाती है.

ये भी पढ़ें- Global Buddhist Summit: प्रत्येक राष्ट्र की प्राथमिकता अपने देश के हित के साथ ही विश्व हित भी हो: मोदी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को संपन्न दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में प्रतिष्ठित विद्वानों की भागीदारी देखी गई, जिसमें संघ के नेता, मेक्सिको, वियतनाम, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, इंडोनेशिया सहित कई देशों के विद्वानों ने हिस्सा लिया. जिन्होंने वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और सार्वभौमिक मूल्यों के आधार पर बुद्ध धम्म में उत्तरों की तलाश की.

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ मेक्सिको के निदेशक भीकू नंदीसेन ने कहा कि बुद्ध की शिक्षा सार्वभौमिक है और बुद्ध की शिक्षा को पश्चिमी दुनिया तक पहुंचने में काफी समय लगा. मैं मेक्सिको में 25 वर्षों से हूं. इस दौरान उन्होंने देखा है कि समय या स्थान के संदर्भ में बुद्ध की शिक्षाएं समस्त मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं. बौद्ध धर्म में नैतिक मूल्यों की अपना अलग महत्व है. प्रत्येक देश को इन मूल्यों को अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत बुद्ध की भूमि है और बुद्ध का जन्म यहीं हुआ है. जब भू-राजनीतिक परिदृश्य की बात आती है तो बौद्ध कूटनीति की बड़ी भूमिका होती है.

उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं का उपयोग युद्ध और पर्यावरण संकट जैसी सभी समस्याओं को रोकने के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में लोगों को बुद्ध की शिक्षाओं से अवगत कराया जाना चाहिए. मेजबान देश के रूप में भारत के साथ शिखर सम्मेलन बौद्ध और सार्वभौमिक चिंताओं के मामलों पर वैश्विक बौद्ध धर्माचार्यों और विद्वानों को शामिल करने, उन्हें सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिए एक अहम प्रयास था.

आपको बता दें कि वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया, जहां उन्होंने दोहराया कि बुद्ध का मार्ग भविष्य का मार्ग है. यह शिखर सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से भारत के संस्कृति मंत्रालय द्वारा 'समकालीन चुनौतियों का जवाब: अभ्यास के लिए दर्शन' विषय के तहत आयोजित किया गया था.

नई दिल्ली: दक्षिण कोरिया के एक शीर्ष बौद्ध भिक्षु ने शुक्रवार को ईटीवी भारत को बताया कि भारत ने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश में बौद्ध धर्म का एक बड़ा पुनरुत्थान देखा है. देश सक्रिय रूप से वैश्विक संघर्ष को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने में भूमिका निभाएगा और यह तेजी से बढ़ रहा है. भविष्य में भारत दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की ओर अग्रसर है.

भारत की विदेश नीति में बौद्ध धर्म के महत्व के बारे में पूछे जाने पर गाइडिंग धर्मा मास्टर, जंग्टो सोसाइटी के अध्यक्ष वेन पोमनियम सुनीम ने बौद्ध धर्म पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों की सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई लोगों को आशा दी है. पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने बौद्ध धर्म का एक महान पुनरुद्धार देखा है. उन्होंने कहा कि 2 हजार साल पहले बौद्ध धर्म समुद्री मार्ग से भारत से कोरिया पहुंचा था. बता दें कि पोमनियम 20-21 अप्रैल तक दो दिवसीय वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले शीर्ष बौद्ध विद्वानों में से एक थे.

उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में भारत तेजी से विकास कर रहा है और मुझे लगता है कि यह जल्द ही दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन जाएगा. हालांकि, मुझे लगता है कि भारत के महान मानव इतिहास में यह एक आर्थिक समस्या नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक समस्या है. पूरी दुनिया इस समय संघर्ष में है. मुझे उम्मीद है कि भारत इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में सक्रिय रूप से भूमिका निभाएगा और भारत ऐसा कर सकता है. भारत ने वर्षों से विदेश नीति पर अपनी पकड़ बनाई है और बौद्ध कूटनीति इन पहलों को प्राप्त करने की रणनीति रही है. कूटनीति और विदेश नीति में बौद्ध धर्म के साथ भारत के ऐतिहासिक जुड़ाव महत्वपूर्ण रहे हैं और वैश्विक समुदाय में इसकी अत्यधिक सराहना की जाती है.

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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुक्रवार को संपन्न दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में प्रतिष्ठित विद्वानों की भागीदारी देखी गई, जिसमें संघ के नेता, मेक्सिको, वियतनाम, कंबोडिया, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, श्रीलंका, बांग्लादेश, थाईलैंड, इंडोनेशिया सहित कई देशों के विद्वानों ने हिस्सा लिया. जिन्होंने वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की और सार्वभौमिक मूल्यों के आधार पर बुद्ध धम्म में उत्तरों की तलाश की.

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ मेक्सिको के निदेशक भीकू नंदीसेन ने कहा कि बुद्ध की शिक्षा सार्वभौमिक है और बुद्ध की शिक्षा को पश्चिमी दुनिया तक पहुंचने में काफी समय लगा. मैं मेक्सिको में 25 वर्षों से हूं. इस दौरान उन्होंने देखा है कि समय या स्थान के संदर्भ में बुद्ध की शिक्षाएं समस्त मानवता के लिए महत्वपूर्ण हैं. बौद्ध धर्म में नैतिक मूल्यों की अपना अलग महत्व है. प्रत्येक देश को इन मूल्यों को अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत बुद्ध की भूमि है और बुद्ध का जन्म यहीं हुआ है. जब भू-राजनीतिक परिदृश्य की बात आती है तो बौद्ध कूटनीति की बड़ी भूमिका होती है.

उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं का उपयोग युद्ध और पर्यावरण संकट जैसी सभी समस्याओं को रोकने के लिए किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में लोगों को बुद्ध की शिक्षाओं से अवगत कराया जाना चाहिए. मेजबान देश के रूप में भारत के साथ शिखर सम्मेलन बौद्ध और सार्वभौमिक चिंताओं के मामलों पर वैश्विक बौद्ध धर्माचार्यों और विद्वानों को शामिल करने, उन्हें सामूहिक रूप से संबोधित करने के लिए एक अहम प्रयास था.

आपको बता दें कि वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने किया, जहां उन्होंने दोहराया कि बुद्ध का मार्ग भविष्य का मार्ग है. यह शिखर सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से भारत के संस्कृति मंत्रालय द्वारा 'समकालीन चुनौतियों का जवाब: अभ्यास के लिए दर्शन' विषय के तहत आयोजित किया गया था.

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