मुंबई : बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ से शांतनु मुलुक को बड़ी राहत मिली है. पीठ ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद ट्रांजिट अग्रिम जमानत (Transit Anticipatory Bail) देने का फैसला सुनाया.
वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने टूलकिट मामले में एक्टिविस्ट निकिता जैकब की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट बुधवार को निकिता जैकब की ट्रांजिट अग्रिम जमानत अर्जी पर फैसला सुनाएगा. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि वह तब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं करेगी.
अदालत के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए शांतनु के वकील सतेज जाधव ने बताया कि टूलकिट मामले में आरोपी बताए जा रहे शांतनु मुलुक को औरंगाबाद खंडपीठ ने 10 दिन की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी है. उन्होंने कहा कि अदालत ने संवैधानिक अधिकार के आधार पर शांतनु को जमानत दी और उनकी याचिका के मेरिट पर कोई बहस नहीं हुई.
क्या है पृष्ठभूमि
जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग द्वारा सोशल मीडिया पर किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी 'टूलकिट' साझा किये जाने के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज मामले में आरोपी वकील निकिता जैकब और पर्यावरण कार्यकर्ता शांतनु मुलुक ने ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए सोमवार को अदालत का रुख किया. दोनों ने अदालत में अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं.
इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने टूलकिट मामले में दोनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. दिल्ली पुलिस के अनुसार, दोनों पर टूलकिट तैयार करने और खालिस्तान-समर्थक तत्वों के सीधे सम्पर्क में होने का आरोप है.
निकिता जैकब ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश पी.डी. नाइक की एकल पीठ से याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया. उच्च न्यायालय ने कहा कि वह मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करेगा.
निकिता ने चार सप्ताह के लिये ट्रांजिट अग्रिम जमानत की मांग की है, ताकि वह दिल्ली में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने के लिये संबंधित अदालत का रुख कर सके.
महाराष्ट्र के बीड जिले के निवासी शांतनु मुलुक ने बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद पीठ में दायर याचिका में कहा है कि उन्हें डर है कि राजनीतिक प्रतिशोध और मीडिया ट्रायल के कारण उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. याचिका में कहा गया कि मामले में दर्ज प्राथमिकी गलत एवं निराधार है.
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याचिका में कहा, लीगल राइट्स आर्ब्जवेटरी नाम की एक संस्था ने दिल्ली पुलिस के समक्ष गलत और निराधार शिकायत दर्ज कराई है और 26 जनवरी, 2021 को हुई हिंसा का दोष आवेदक (शांतनु) पर लगाने की कोशिश की है.