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शरद पवार के आवास पर हुई विपक्ष की बैठक को सफल बताना जल्दबाजी होगी

कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार राजा गोपालधर चौधरी ने कहा कि रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपने फैसले में सही कहा था कि किसी भी भाजपा विरोधी मंच को ठोस आकार देने के लिए कांग्रेस को उसका हिस्सा होना चाहिए. क्षेत्रीय दल कभी भी अपने दम पर राष्ट्रीय स्तर पर उम्मीदवार नहीं उतार पाएंगे.

शरद पवार के आवास पर आठ गैर-बीजेपी दलों के प्रतिनिधियों की बैठक
शरद पवार के आवास पर आठ गैर-बीजेपी दलों के प्रतिनिधियों की बैठक
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Published : Jun 25, 2021, 3:17 AM IST

कोलकाता: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार के आवास पर आठ गैर-बीजेपी दलों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई थी. इस बैठक को लेकर कई लोगों का मानना है कि इसकी शुरुआत चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने की थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हुई थी, लेकिन, क्या कांग्रेस के बिना गैर-भाजपा ब्लॉक या मोर्चा का अस्तित्व है.

वहीं, रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि कांग्रेस को छोड़कर किसी भी भाजपा विरोधी मंच भगवा खेमे का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त नहीं है. प्रसिद्ध राजनीतिक वैज्ञानिक और तत्कालीन प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य, डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय के अनुसार, 2023 के लोकसभा चुनाव में अभी समय है. इस समय किसी भी भाजपा विरोधी मंच की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी. क्षेत्रीय दलों की अपनी मजबूरी है और इसलिए वे अभी से प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं, लेकिन फिर क्षेत्रीय दल अपनी क्षेत्रीय मजबूरियों को कहां तक नजरअंदाज कर सकते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ सकते हैं, यह अब सबसे बड़ा सवाल है.

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी

डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय ने यह भी कहा कि उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल में यह कभी संभव नहीं होगा कि माकपा और तृणमूल कांग्रेस अपने मतभेदों को भुलाकर भाजपा के खिलाफ एकजुट हो जाएं. इसके आलावा किसी भी क्षेत्रीय दल के कई नेता खुद को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने का सपना देखते हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों के संयुक्त मोर्चे की व्यवहार्यता का भी सवाल है.

उन्होंने कहा कि पिछले सभी गठबंधनों के मामले में, पहले के जनसंघ या कांग्रेस जैसे बड़े राष्ट्रीय दलों ने या तो गठबंधन का नेतृत्व किया या बाहर से समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि इसलिए कांग्रेस के बिना किसी भी गैर-भाजपा गठबंधन के लिए लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा.

कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार राजा गोपालधर चौधरी ने कहा कि प्रशांत किशोर ने अपने फैसले में सही कहा था कि किसी भी भाजपा विरोधी मंच को ठोस आकार देने के लिए कांग्रेस को उसका हिस्सा होना चाहिए. क्षेत्रीय दल कभी भी अपने दम पर राष्ट्रीय स्तर पर उम्मीदवार नहीं उतार पाएंगे. इससे इतर चुनाव पूर्व समझ अक्सर चुनाव के बाद के परिदृश्य में बदल जाती है इसलिए किसी भी भाजपा विरोधी गठबंधन के लिए कांग्रेस जैसा राष्ट्रीय दल जरूरी है.

पढ़ें: पीएम के साथ बैठक के बाद बोलीं महबूबा, कश्मीर मुद्दे के हल के लिए पाक से वार्ता जरूरी

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सांसद और प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के अनुसार, वह वास्तव में अन्य दलों द्वारा की गई पहल पर बोलने के लिए इच्छुक नहीं हैं. प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए नीति निर्माता नहीं हैं. इसलिए मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि कांग्रेस के बिना कोई भी भाजपा विरोधी मंच परिपक्व नहीं होगा.

कोलकाता: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार के आवास पर आठ गैर-बीजेपी दलों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई थी. इस बैठक को लेकर कई लोगों का मानना है कि इसकी शुरुआत चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने की थी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस भी शामिल हुई थी, लेकिन, क्या कांग्रेस के बिना गैर-भाजपा ब्लॉक या मोर्चा का अस्तित्व है.

वहीं, रणनीतिकार प्रशांत किशोर का भी मानना है कि कांग्रेस को छोड़कर किसी भी भाजपा विरोधी मंच भगवा खेमे का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त नहीं है. प्रसिद्ध राजनीतिक वैज्ञानिक और तत्कालीन प्रेसीडेंसी कॉलेज के पूर्व प्राचार्य, डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय के अनुसार, 2023 के लोकसभा चुनाव में अभी समय है. इस समय किसी भी भाजपा विरोधी मंच की भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी. क्षेत्रीय दलों की अपनी मजबूरी है और इसलिए वे अभी से प्रक्रिया शुरू करना चाहते हैं, लेकिन फिर क्षेत्रीय दल अपनी क्षेत्रीय मजबूरियों को कहां तक नजरअंदाज कर सकते हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ सकते हैं, यह अब सबसे बड़ा सवाल है.

तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी
तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी

डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय ने यह भी कहा कि उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल में यह कभी संभव नहीं होगा कि माकपा और तृणमूल कांग्रेस अपने मतभेदों को भुलाकर भाजपा के खिलाफ एकजुट हो जाएं. इसके आलावा किसी भी क्षेत्रीय दल के कई नेता खुद को प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने का सपना देखते हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय दलों के संयुक्त मोर्चे की व्यवहार्यता का भी सवाल है.

उन्होंने कहा कि पिछले सभी गठबंधनों के मामले में, पहले के जनसंघ या कांग्रेस जैसे बड़े राष्ट्रीय दलों ने या तो गठबंधन का नेतृत्व किया या बाहर से समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि इसलिए कांग्रेस के बिना किसी भी गैर-भाजपा गठबंधन के लिए लक्ष्य हासिल करना मुश्किल होगा.

कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार राजा गोपालधर चौधरी ने कहा कि प्रशांत किशोर ने अपने फैसले में सही कहा था कि किसी भी भाजपा विरोधी मंच को ठोस आकार देने के लिए कांग्रेस को उसका हिस्सा होना चाहिए. क्षेत्रीय दल कभी भी अपने दम पर राष्ट्रीय स्तर पर उम्मीदवार नहीं उतार पाएंगे. इससे इतर चुनाव पूर्व समझ अक्सर चुनाव के बाद के परिदृश्य में बदल जाती है इसलिए किसी भी भाजपा विरोधी गठबंधन के लिए कांग्रेस जैसा राष्ट्रीय दल जरूरी है.

पढ़ें: पीएम के साथ बैठक के बाद बोलीं महबूबा, कश्मीर मुद्दे के हल के लिए पाक से वार्ता जरूरी

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सांसद और प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के अनुसार, वह वास्तव में अन्य दलों द्वारा की गई पहल पर बोलने के लिए इच्छुक नहीं हैं. प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए नीति निर्माता नहीं हैं. इसलिए मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को लगता है कि कांग्रेस के बिना कोई भी भाजपा विरोधी मंच परिपक्व नहीं होगा.

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