नई दिल्ली : टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) भारत के लिए स्वर्णिम रहा है. सौ साल बाद एथलेटिक्स में गोल्ड और 41 साल बाद हॉकी में पदक से भारतवासी खासे उत्साहित दिखे. लेकिन अभी कुछ खिलाड़ी हैं, जो टोक्यो से भारत की झोली में कई पदक लाने वाले हैं.
चौंकिए मत क्योंकि ये खिलाड़ी वो हैं, जो कई बार अपने हुनर से स्वर्ण पदक जीत कर तिरंगे को सबसे उपर फहराते रहे हैं. हम बात कर रहे हैं उन पैरालंपियन्स (paralympians) की, जो भारतीय दल का हिस्सा हैं और टोक्यो में आज से शुरू होने वाले पैरालंपियन्स खेलों में शिरकत कर रहे हैं.
कोरोना काल ने प्रैक्टिस में कई बाधाएं पैदा कीं, लेकिन अपने जज्बे और हौसलों को कायम रख इन खिलाड़ियों ने ऐसी तैयारियां कर रखी थीं कि इस बार टोक्यो ओलंपिक में अब तक का सबसे बड़ा भारतीय पैरालंपियन दल (Indian Paralympian Team) शामिल हो रहा है.
अलग-अलग इवेंट्स के लिए 54 सदस्यों की भारतीय टीम का आज से इम्तिहान शुरू होगा. ऑल इंडिया पैरालंपियन कमेटी की अध्यक्ष और पूर्व खिलाड़ी डॉ.दीपा मलिक के मुताबिक तैयारियां जबर्दस्त हैं. अगर परफोर्मेंन्स वाले दिन, खिलाड़ियों की मेहनत रंग लाई तो पदकों की झड़ी भी लग सकती है.
इन खिलाड़ियों से है भारत को पदकों की उम्मीद
54 पैरालंपिक एथलीट टोक्यो पैरालंपियक के 9 स्पोर्ट्स इवेंट में शामिल होंगे. जिसमें आर्चरी टीम में मिक्स टीम का काफी उम्मीदें हैं. पैरालंपियन कमेटी की अध्यक्ष दीपा मलिक ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में ये दावा किया कि तैयारियों के लिहाज से एशियन गोल्ड मेडलिस्ट रहे हरविन्दर भी देश को पदक दिला सकते हैं. इसी तरह चिकारा, राकेश का दिन रहा तो भी देश के नाम मेडल चमक सकता है.
पैरालंपियन में इस बार पैरा बैडमिंटन में भारत की ओर से पारूल और पलक बहुत कड़ी चुनौती पेश करने जा रही हैं. इसी तरह प्रमोद भगत भी इस वक्त नंबर वन प्लेयर हैं. शूटिंग में रूबीना पहले से वर्ल्ड चैंपियन हैं. वहीं, अभिलेखरा एक साथ तीन इवेंट में शामिल होकर अपना दावा मजबूत किए हुए हैं.
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दीपा मलिक के मुताबिक इस बार पैरालंपिक में स्विमिंग में भी भारत को मेडल मिल सकता है, क्योंकि उन्होंने फिटनेस का अच्छा लेवल हासिल कर लिया है. दीपा मलिक को सबसे ज्यादा उम्मीदें एथलेटिक्स में हैं, जहां 8 जैवलिन थ्रोअर दुनिया के खिलाड़ियों के सामने मैदान में उतरेंगे. पैरालंपिक वर्ल्ड रैंकिंग में भारत के सबसे ज्यादा खिलाड़ी हैं. इस बार पैरालंपियन अमित सरूहा से भी देश को बड़ी उम्मीद करनी चाहिए, क्योंकि पिछली बार वो बहुत क्लोज मार्जिन से चूक गए थे.
पैरालंपिक में भारत की ओर से पदक जीतने वाले ये रहे हैं खिलाड़ी
1972 में मुरली कांत पेटकर – हैडिलवर्ग पैरालंपिक में 50 मीटर फ्री स्टाइल तीन तैराकी इवेंट में गोल्ड जीता. इस इवेंट में उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया. भारतीय सेना में सेवाएं दे रहे मुरलीकांत ने 1965 के युद्ध में अपना एक पैर गवां दिया, लेकिन फिर वो चोटी के पैरालंपियन बने और भारत को पहला पैरालंपिक मेडल दिलाकर स्वर्णिम इतिहास में दर्ज हो गए.
इसी तरह जोगिंदर सिंह बेदी, सुशील कुमार और वी सिंधु ऐसे एथलिट हैं, जिन्होंने पैरालंपिक में भारत का नाम रोशन किया है. जोगिंदर सिंह ने 1984 में न्यूयॉर्क में एक रजत और दो कांस्य पदक जीतकर तिरंगा लहराया. वो शॉटपुट,जैवलिन और डिस्कस थ्रो खिलाड़ी रहे. इसी साल यानि 1984 में भीमराव केसरकर ने जैवलिन थ्रो में रजत पदक जीता. इसी तरह देवेन्द्र झाझरिया देश के ऐसे नामचीन पैरालंपियन हैं, जिन्होंने दो गोल्ड मेडल जीते हैं. 2004 और 2016 में पुरुष जैवलिन थ्रो इवेंट में दो बार गोल्ड मेडल जीतने वाले वो देश के पहले पैरालंपियन खिलाड़ी हैं.
अगर इस बार भी टोक्यो में वो स्वर्ण पदक जीतते हैं तो ये उनकी हैट्रिक होगी. जाहिर है वो इस बार नया इतिहास रचने की कगार पर खड़े हैं. राजिन्दर सिंह राहेल, गिरीशा. एन गौड़ा जैसे अन्य कई खिलाड़ियों ने पैरालंपिक्स में भारत का नाम ऊंचा रखा है.
तमिलनाडु के रहने वाले मरियप्पन थंगावेलु ने रियो पैरालंपिक में पुरुषों की ऊंची कूद में पदक जीता था. इसी तरह वरुण सिंह भाटी और पूर्व पैरालंपियन डॉ.दीपा मलिक के कारनामे कौन भूल सकता है. देश अभी नीरज चोपड़ा और भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन से उत्साहित है. शारीरिक बाधाओं को मात देकर चैम्पियन्स बन चुके इन खिलाड़ियों की परफोर्मेंस का इंतजार कीजिए, क्योंकि टोक्यो से देश के नाम खेलों में अभी और मेडल आने बाकी हैं.
टोक्यो पैरालंपिक्स में 25 अगस्त को टेबल टेनिस में एम.एम.पटेल और एथलिट में सोनल बेन मनुभाई पटेल के रूप में भारतीय दल की पहली चुनौती मैदान में उतरेगी.