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आज मध्य एशियाई देशों के एनएसए सम्मेलन की मेजबानी करेगा भारत, इन मुद्दों पर होगी चर्चा

अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति पर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के इस बैठक से इतर अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करने की संभावना है. तुर्कमेनिस्तान के एनएसए बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे. उनके देश का प्रतिनिधित्व भारत में उनके राजदूत करेंगे.

Today India will host NSA conference of Central Asian countries
आज मध्य एशियाई देशों के एनएसए सम्मेलन की मेजबानी करेगा भारत
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Published : Dec 6, 2022, 10:40 AM IST

नई दिल्ली: भारत पहली बार मंगलवार को कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के एक सम्मेलन की मेजबानी करेगा. इस सम्मेलन में अफगानिस्तान में उभरती सुरक्षा स्थिति और उस देश से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे से निपटने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है. उन्होंने सोमवार को कहा कि पहले भारत-मध्य एशिया आभासी शिखर सम्मेलन के लगभग 10 महीने बाद होने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तरीय सम्मेलन में अन्य मुद्दों के साथ मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ भारत की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा.

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अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति पर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के इस बैठक से इतर अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करने की संभावना है. तुर्कमेनिस्तान के एनएसए बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे. उनके देश का प्रतिनिधित्व भारत में उनके राजदूत करेंगे. पिछले साल नवंबर में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर एक क्षेत्रीय वार्ता की मेजबानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के एनएसए ने भाग लिया था. लेकिन यह पहली बार है जब भारत मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की मेजबानी कर रहा है.

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एक सूत्र ने कहा कि भारत मध्य एशियाई देशों को एशिया का दिल मानता है. ये देश शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य भी हैं. हम व्यापक तरीके से सहयोग को आगे बढ़ाना चाहते हैं. यह बैठक भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है. सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव को लेकर भारत और मध्य एशियाई देशों की साझा चिंताएं हैं. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति और उस देश में उभरती गतिशीलता पर विचार-विमर्श होगा.

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भारत और मध्य एशियाई देशों के क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता में साझा हित हैं. कई मध्य एशियाई देश अफगानिस्तान के साथ भूमि सीमा साझा करते हैं और पिछले साल अगस्त में काबुल में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से उनकी चिंताएं बढ़ी हैं. सूत्रों ने कहा कि मध्य एशियाई देश सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन और विभिन्न आतंकवादी समूहों से इसके संबंधों से अवगत हैं. लेकिन कुछ कारणों से, ये देश सार्वजनिक रूप से आतंकवाद का समर्थन करने वाले समूहों या देश का नाम नहीं लेते हैं.

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उन्होंने कहा कि भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच आतंकवाद और कट्टरता के खतरे का मुकाबला करने के दृष्टिकोण में समानताएं हैं और इस बैठक में इन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा. अफगानिस्तान के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले मध्य एशियाई देश पिछले साल की घटनाओं (तालिबान के सत्ता पर कब्जा) के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि ईरान में चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का हिस्सा बनाने सहित कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना भी चर्चा का हिस्सा होगा.

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ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह कनेक्टिविटी और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा विकसित किया जा रहा है. पिछले साल जुलाई में ताशकंद में एक कनेक्टिविटी सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित एक प्रमुख क्षेत्रीय पारगमन केंद्र के रूप में पेश किया था. अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी मल्टी-मोड परिवहन परियोजना है.

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भारत इस परियोजना का समर्थन करता रहा है. भारत अफगानिस्तान में सामने आ रहे मानवीय संकट को दूर करने के लिए निर्बाध मानवीय सहायता प्रदान करने की वकालत करता रहा है. इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आभासी बैठक के जरिए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्र प्रमुखों ने भाग लिया था. शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और मध्य एशियाई नेताओं ने भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले कदमों पर चर्चा की थी.

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इस सम्मेलन में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए नेताओं ने हर दो साल में इसे आयोजित करने का निर्णय लेकर शिखर सम्मेलन तंत्र को संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की थी. वे शिखर बैठकों के लिए जमीनी कार्य तैयार करने के लिए विदेश मंत्रियों, व्यापार मंत्रियों, संस्कृति मंत्रियों और सुरक्षा परिषद के सचिवों की नियमित बैठकों पर भी सहमत हुए थे.

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(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: भारत पहली बार मंगलवार को कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के एक सम्मेलन की मेजबानी करेगा. इस सम्मेलन में अफगानिस्तान में उभरती सुरक्षा स्थिति और उस देश से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे से निपटने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है. उन्होंने सोमवार को कहा कि पहले भारत-मध्य एशिया आभासी शिखर सम्मेलन के लगभग 10 महीने बाद होने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्तरीय सम्मेलन में अन्य मुद्दों के साथ मध्य एशियाई क्षेत्र के साथ भारत की कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया जाएगा.

पढ़ें: मुर्मू ने नौसेना के ध्वज के नये डिजाइन को मंजूरी दी

अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति पर बढ़ती चिंताओं के बीच भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के इस बैठक से इतर अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करने की संभावना है. तुर्कमेनिस्तान के एनएसए बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे. उनके देश का प्रतिनिधित्व भारत में उनके राजदूत करेंगे. पिछले साल नवंबर में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर एक क्षेत्रीय वार्ता की मेजबानी की थी, जिसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के एनएसए ने भाग लिया था. लेकिन यह पहली बार है जब भारत मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की मेजबानी कर रहा है.

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एक सूत्र ने कहा कि भारत मध्य एशियाई देशों को एशिया का दिल मानता है. ये देश शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य भी हैं. हम व्यापक तरीके से सहयोग को आगे बढ़ाना चाहते हैं. यह बैठक भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है. सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसके प्रभाव को लेकर भारत और मध्य एशियाई देशों की साझा चिंताएं हैं. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति और उस देश में उभरती गतिशीलता पर विचार-विमर्श होगा.

पढ़ें: गोल्डी बराड़ का कथित साक्षात्कार सामने आया, दावा- अमेरिकी पुलिस ने हिरासत में नहीं लिया

भारत और मध्य एशियाई देशों के क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता में साझा हित हैं. कई मध्य एशियाई देश अफगानिस्तान के साथ भूमि सीमा साझा करते हैं और पिछले साल अगस्त में काबुल में तालिबान द्वारा सत्ता पर कब्जा करने के बाद से उनकी चिंताएं बढ़ी हैं. सूत्रों ने कहा कि मध्य एशियाई देश सीमा पार आतंकवाद को पाकिस्तान के समर्थन और विभिन्न आतंकवादी समूहों से इसके संबंधों से अवगत हैं. लेकिन कुछ कारणों से, ये देश सार्वजनिक रूप से आतंकवाद का समर्थन करने वाले समूहों या देश का नाम नहीं लेते हैं.

पढ़ें: हमें भारतीय मोटे अनाज के लिए नए बाजारों की तलाश करनी चाहिएः गोयल

उन्होंने कहा कि भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच आतंकवाद और कट्टरता के खतरे का मुकाबला करने के दृष्टिकोण में समानताएं हैं और इस बैठक में इन मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा. अफगानिस्तान के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले मध्य एशियाई देश पिछले साल की घटनाओं (तालिबान के सत्ता पर कब्जा) के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं. सूत्रों ने कहा कि ईरान में चाबहार बंदरगाह को अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का हिस्सा बनाने सहित कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना भी चर्चा का हिस्सा होगा.

पढ़ें: पंजाब के पूर्व डीजीपी ने कहा, सीमा पार से आनेवाले ड्रोन की बढ़ती संख्या चिंता का विषय

ऊर्जा संपन्न ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह कनेक्टिविटी और व्यापार संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत, ईरान और अफगानिस्तान द्वारा विकसित किया जा रहा है. पिछले साल जुलाई में ताशकंद में एक कनेक्टिविटी सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान सहित एक प्रमुख क्षेत्रीय पारगमन केंद्र के रूप में पेश किया था. अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई के लिए 7,200 किलोमीटर लंबी मल्टी-मोड परिवहन परियोजना है.

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भारत इस परियोजना का समर्थन करता रहा है. भारत अफगानिस्तान में सामने आ रहे मानवीय संकट को दूर करने के लिए निर्बाध मानवीय सहायता प्रदान करने की वकालत करता रहा है. इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आभासी बैठक के जरिए पहले भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्र प्रमुखों ने भाग लिया था. शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और मध्य एशियाई नेताओं ने भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए अगले कदमों पर चर्चा की थी.

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इस सम्मेलन में एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए नेताओं ने हर दो साल में इसे आयोजित करने का निर्णय लेकर शिखर सम्मेलन तंत्र को संस्थागत बनाने पर सहमति व्यक्त की थी. वे शिखर बैठकों के लिए जमीनी कार्य तैयार करने के लिए विदेश मंत्रियों, व्यापार मंत्रियों, संस्कृति मंत्रियों और सुरक्षा परिषद के सचिवों की नियमित बैठकों पर भी सहमत हुए थे.

पढ़ें: स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से मिलीं मेलिंडा गेट्स, की भारत के कोविड प्रबंधन की सराहना

(पीटीआई-भाषा)

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