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चांदनी चौक में अवैध गतिविधियों पर रोक लगाएगी पुलिस और MCD, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया आदेश

-दिल्ली हाईकोर्ट ने चांदनी चौक पुनर्विकास परियोजना के संबंध में चिंता जताई. -कोर्ट ने विभिन्न सरकारी विभागों को स्थिति रिपोर्ट पेश करने का दिया आदेश.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : 5 hours ago

नई दिल्ली: दिल्ली की खूबसूरत और ऐतिहासिक चांदनी चौक क्षेत्र, जो देश की संस्कृति और विरासत का एक अभिन्न अंग है, अब अवैध गतिविधियों और प्रशासनिक लापरवाही का शिकार बनता जा रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में चांदनी चौक पुनर्विकास परियोजना के संबंध में गंभीर चिंता व्यक्त की है, जिसने न केवल क्षेत्र की महत्ता को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि यह स्थानीय निवासियों और व्यापारियों के लिए भी समस्याएं उत्पन्न कर रहा है.

चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस क्षेत्र की स्थिति का गंभीरता से अवलोकन किया और कहा कि "इलाके में सब कुछ टूटा हुआ है और हर जगह गंदगी और कचरा पड़ा हुआ है, ये काफी दुखद है." कोर्ट की इस टिप्पणी ने प्रशासन पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि जब सरकार द्वारा इतनी बड़ी राशि का निवेश किया गया है, तो इसका वास्तविक उद्देश्य क्या है?

सुनवाई के दौरान, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि स्थिति का अध्ययन करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय अधिकारी अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए नाकाम साबित हुए हैं. कोर्ट ने कहा, "लोग जुआ खेल रहे हैं, और पुलिस इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठा रही है." इससे यह सिद्ध होता है कि जब स्थानीय एजेंसियां अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं करतीं, तो कानून-व्यवस्था में गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

यह भी पढ़ें- दिल्ली में वनक्षेत्र के तीन पेड़ों को हटाने की मांग पर हाईकोर्ट ने वन विभाग को लगाई फटकार, मांगा स्पष्टीकरण

चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल की याचिका पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने यह भी बताया कि 140 करोड़ रुपये का सार्वजनिक धन अब बेकार हो रहा है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि जैसे ही कोर्ट ने इस परियोजना का निरीक्षण समाप्त किया, स्थिति खराब होती चली गई. इससे यह स्पष्ट हो गया कि औपचारिक निगरानी के बिना व्यवस्था बिगड़ जाती है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के विभिन्न विभागों - दिल्ली नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, शाहजहांनाबाद रिडेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड, और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे अगले दो हफ्ते में एक स्थिति रिपोर्ट पेश करें. इसके साथ ही, संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है, ताकि प्रशासनिक कुप्रबंधन के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जा सके.

यह भी पढ़ें- वीवो मोबाइल से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के आरोपी हरिओम राय को मिली जमानत

नई दिल्ली: दिल्ली की खूबसूरत और ऐतिहासिक चांदनी चौक क्षेत्र, जो देश की संस्कृति और विरासत का एक अभिन्न अंग है, अब अवैध गतिविधियों और प्रशासनिक लापरवाही का शिकार बनता जा रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में चांदनी चौक पुनर्विकास परियोजना के संबंध में गंभीर चिंता व्यक्त की है, जिसने न केवल क्षेत्र की महत्ता को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि यह स्थानीय निवासियों और व्यापारियों के लिए भी समस्याएं उत्पन्न कर रहा है.

चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस क्षेत्र की स्थिति का गंभीरता से अवलोकन किया और कहा कि "इलाके में सब कुछ टूटा हुआ है और हर जगह गंदगी और कचरा पड़ा हुआ है, ये काफी दुखद है." कोर्ट की इस टिप्पणी ने प्रशासन पर एक बड़ा सवाल खड़ा किया है कि जब सरकार द्वारा इतनी बड़ी राशि का निवेश किया गया है, तो इसका वास्तविक उद्देश्य क्या है?

सुनवाई के दौरान, अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि स्थिति का अध्ययन करने के बाद यह स्पष्ट होता है कि स्थानीय अधिकारी अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए नाकाम साबित हुए हैं. कोर्ट ने कहा, "लोग जुआ खेल रहे हैं, और पुलिस इस संदर्भ में कोई कदम नहीं उठा रही है." इससे यह सिद्ध होता है कि जब स्थानीय एजेंसियां अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं करतीं, तो कानून-व्यवस्था में गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं.

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चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल की याचिका पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने यह भी बताया कि 140 करोड़ रुपये का सार्वजनिक धन अब बेकार हो रहा है. याचिका में आरोप लगाया गया है कि जैसे ही कोर्ट ने इस परियोजना का निरीक्षण समाप्त किया, स्थिति खराब होती चली गई. इससे यह स्पष्ट हो गया कि औपचारिक निगरानी के बिना व्यवस्था बिगड़ जाती है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के विभिन्न विभागों - दिल्ली नगर निगम, पीडब्ल्यूडी, शाहजहांनाबाद रिडेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड, और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे अगले दो हफ्ते में एक स्थिति रिपोर्ट पेश करें. इसके साथ ही, संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है, ताकि प्रशासनिक कुप्रबंधन के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जा सके.

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