कन्याकुमारी : तमिलनाडु के चिकित्सा और परिवार कल्याण मंत्री मा सुब्रमण्यम (Ma Subramanian) ने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ाने की सलाह दी है. अस्पतालों को निर्देश दिया है कि अगर किसी को वायरस के लक्षण होने का संदेह है तो सरकार को सूचित करें. मंकीपॉक्स से घबराने की जरूरत नहीं है. सुब्रमण्यम ने यहां के जिला सरकारी अस्पताल में सुविधाओं का निरीक्षण करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि हमने अधिकारियों को अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग सहित सभी हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया है.
संदिग्धों को स्वास्थ्य केंद्रों में पृथक रखा जाए : तमिलनाडु सरकार ने जिलाधिकारियों और निगम आयुक्तों को दुर्लभ बीमारी 'मंकीपॉक्स' के संदिग्ध मामलों की निगरानी तथा पहचान करने और उचित उपचार के लिए मरीजों को स्वास्थ्य केंद्रों में पृथक-वास में रखने का निर्देश दिया है. राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव डॉ जे राधाकृष्णन ने अधिकारियों को उन लोगों में इस बीमारी के किसी भी तरह के लक्षणों की निगरानी करने को कहा जिन्होंने पिछले 21 दिनों में उस देश की यात्रा की है जहां हाल में इसके मामलों की पुष्टि की गई है या संदिग्ध मामले सामने आए हैं.
उन्होंने कहा, 'सभी संदिग्ध लोगों को नामित स्वास्थ्य केंद्रों में पृथक किया जाना चाहिए और मामलों को एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के जिला निगरानी अधिकारी को सूचित किया जाना चाहिए.' मंकीपॉक्स पर राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के परामर्श को साझा करते हुए उन्होंने कहा, 'ऐसे रोगियों का इलाज करते समय सभी संक्रमण नियंत्रण उपायों का पालन किया जाना चाहिए. यूरोप, कनाडा, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में ऐसे कुछ मामलों की रिपोर्ट के मद्देनजर, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप इस परामर्श का पालन करें.' मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, ठंड लगने, चेहरे या जननांगों पर दाने और घाव का कारण बनता है. यह किसी संक्रमित व्यक्ति या उसके कपड़ों या चादरों के संपर्क के माध्यम से फैल सकता है.
क्या है मंकीपॉक्स वायरस ? : मंकीपॉक्स एक दुर्लभ, आमतौर पर हल्के संक्रमण वाला वायरस है. यह आमतौर पर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में संक्रमित जंगली जानवरों में पाया गया था. साल 1958 में पहली बार एक बंदर को अनुसंधान के लिए रखा गया था, जहां पहली बार इस वायरस की खोज हुई थी. इंसानों में पहली बार इस वायरस की पुष्टि साल 1970 में हुई थी. यूके की एनएचएस वेबसाइट के अनुसार, यह रोग चेचक के वंश का है, जो अक्सर चेहरे पर शुरू होने वाले दाने का कारण बनता है.
पढ़ें- मंकीपॉक्स क्या है, जो यूरोप और अमेरिका में फैल रहा है