चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में हिंदी भाषा थोपने की कोशिशों के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया. स्टालिन ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि सदन सरकार से आग्रह करता है कि वह अपने अध्यक्ष द्वारा राष्ट्रपति को सौंपी गई राजभाषा पर संसदीय समिति की रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को लागू न करे, जो तमिल सहित राज्य की भाषाओं के खिलाफ हैं. साथ ही उन भाषाओं को बोलने वाले लोगों के हित के खिलाफ भी हैं. सदन में इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद राज्य के भाजपा विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर लिया.
गौरतलब है कि इससे पहले सीएम स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें दावा किया गया कि गैर-हिंदीभाषी राज्यों में 'वन नेशन थ्योरी' के तहत हिंदी को लागू करने का केंद्र सरकार निरंतर प्रयास कर रही है." स्टालिन ने पत्र में कहा, "गैर-हिंदीभाषी लोगों पर हिंदी थोपने का प्रयास विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के लोगों के भाईचारे की भावना को नष्ट कर देगा."
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State BJP MLAs walked out from the Assembly as the Tamil Nadu assembly passed resolution against Hindi imposition.
— ANI (@ANI) October 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) October 18, 2022
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार का दृष्टिकोण तमिल समेत सभी भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का होना चाहिए. उन्होंने आधिकारिक भाषाओं पर संसदीय उप-समिति की एक रिपोर्ट का भी जिक्र किया, जिसमें सिफारिश की गई थी कि केंद्र सरकार द्वारा प्रशासित शैक्षणिक संस्थानों जैसे आईआईटी, आईआईएम, एम्स और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षा का अनिवार्य माध्यम हिंदी होना चाहिए.
स्टालिन ने आगे कहा कि यह भी (उप-समिति द्वारा) सिफारिश की गई थी कि हिंदी को अंग्रेजी की जगह लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में कई युवाओं ने 1965 में भड़के हिंदी विरोधी आंदोलनों में अपने प्राणों की आहुति दी थी. स्टालिन ने पत्र में कहा, "जवाहरलाल नेहरू ने लोगों की भावनाओं का सम्मान किया और आश्वासन दिया कि गैर-हिंदीभाषी लोग जब तक चाहें, अंग्रेजी आधिकारिक भाषाओं में से एक बनी रहेगी."