कोलकाता : त्रिपुरा में सीपीएम चुनावी वैतरणी पार करने के लिए हर कोशिश कर रही है. राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के सांसद और प्रसार भारती के पूर्व सीईओ जौहर सरकार ने सीपीएम के मुखपत्र 'दैनिक देश कर्ता' के संपादकीय पृष्ठ पर मोदी सरकार के खिलाफ लेख लिखा है. लेकिन इस लेख को लेकर बंगाल सीपीआईएम के भीतर एक आंतरिक तुफान खड़ा हो गया है. बंगाल सीपीएम दावा करते रही है कि तृणमूल भाजपा के हाथों को मजबूत करने के लिए लड़ रही है.
वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद के इस लेख के प्रकाशित होने के बाद सीपीएम के बंगाल के कैडर में भी भारी रोष है. इस घटना के बाद त्रिपुरा में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए तृणमूल, सीपीएम और कांग्रेस के एक साथ आने की अटकलें तेज हो गई हैं. अब तक बंगाल में सीपीएम और तृणमूल एक दूसरे के विरोधी ही रहे हैं. ऐसे में बंगाल में सीपीएम के कार्यकर्ताओं के बीच सवाल उठ रहा है कि क्या पार्टी की नीति यहां कुश्ती, दिल्ली में दोस्ती वाली है.
एक समय था जब देश के तीन राज्यों में सीपीएम की सरकार होती थी. अब यह केवल एक राज्य में सिमट कर रह गई है. बंगाल और त्रिपुरा दोनों जगह सीपीएम जूझती नजर आ रही है. बंगाल में तृणमूल के खिलाफ चुनाव में कांग्रेस का हाथ थामने के बाद सीपीएम दो हिस्सों में बंट गई थी. त्रिपुरा के विपक्ष के नेता और पोलितब्यूरो के सदस्य माणिक सरकार गठबंधन के कट्टर विरोधी थे. जब उस गठजोड़ का कोई नतीजा नहीं निकला तो यह सवाल और मजबूत हो गया कि सीपीएम को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए. सीपीएम वाम एकता की राह पर चली और कांग्रेस से गठबंधन छोड़ दिया. वह भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल नहीं हुई.
एक बार फिर त्रिपुरा में चुनाव को देखते हुए सीपीएम और कांग्रेस में गठबंधन हुआ है. बहरहाल, कल की घटना अभूतपूर्व है. वाम-कांग्रेस गठबंधन के बाद क्या अब तृणमूल भी गठबंधन में शामिल होने जा रही है. तृणमूल सांसद द्वारा संपादकीय लिखे जाने के बाद से यह सवाल उठने लगा है. इस संदर्भ में तृणमूल के शीर्ष नेता फिरहाद हाकिम ने कहा कि 'मैं इस बारे में बात नहीं करूंगा. अभिषेक बनर्जी इस मामले को देख रहे हैं. वहीं, सीपीएम पोलित ब्यूरो सदस्य और राज्य सीपीएम सचिव मोहम्मद सलीम ने भी इसपर टिप्पणी करने से मना कर दिया.
इस बीच इस घटना को लेकर बीजेपी ने सुर तेज कर दिए हैं. बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने कहा कि वे यहां और वहां दो जगहों पर एक जैसे हैं. कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है. सीपीएम भी खत्म हो गया है. इसलिए जमीनी स्तर पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. त्रिपुरा में भी यही हो रहा है. सीपीएम कांग्रेस का असली चेहरा सामने आ गया है. लोगों ने इनकी चाल पकड़ ली है.
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