ETV Bharat / bharat

नए और छोटे उद्यमों को प्रोत्साहित करने का समय - encourage start ups

पीएम मोदी ने 'आत्मनिर्भर भारत' का आह्वान किया है. इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बड़े प्रयास करने की जरूरत है. कई ऐसे उदाहरण हमारे सामने हैं जिनसे स्पष्ट है कि केवल डिग्रियां हासिल करना सफलता की गारंटी नहीं हो सकतीं. दूसरी ओर कई ऐसे भी उदाहरण हैं जिनसे स्टार्टअप की ताकत का पता लगता है. ऐसे में अब समय है कि नए और छोटे उद्यमों को प्रोत्साहित किया जाए.

उद्यमों को प्रोत्साहित करने का समय
उद्यमों को प्रोत्साहित करने का समय
author img

By

Published : Jan 7, 2021, 5:01 AM IST

उन देशों में विकास को गति मिल रही है जो सराहनीय व्यावसायिक विचारों और नवीन तकनीकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. इसके कई प्रेरणादायक उदाहरण हैं. इसके विपरीत हमारा देश ऐसा है जहां के इंजीनियरिंग कॉलेज शिक्षा के गिरे हुए स्तर के कारण बेरोजगार डिग्री धारकों के उत्पादन के कारखाने बन गए हैं.

इस संदर्भ में बीटेक के छात्रों के किए गए निर्माण को स्वीकार करने और मान्यता व प्रोत्साहन देने का तेलंगाना के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री केटीआर का सुझाव गंभीरता से विचार करने के लायक है. यदि रचनात्मकता और नए विचारों को प्रोत्साहित किया जाता है तो बहुत अच्छे उद्योगों को सामने लाया जा सकता है. अमूर्त आशावादी रहने के बजाय इसके लिए हर राज्य के पास उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक कार्य योजना होनी चाहिए.

प्रधानमंत्री की आकांक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को अगर वास्तविकता में बदलना है तो सरकार की ओर से बहुत कुछ किया जाना बाकी है. आज के नए छोटे उद्यमों (स्टार्ट अप) को कल की बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बदलने की प्रधानमंत्री की आकांक्षा को साकार करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है. हैदराबाद में आयोजित उद्यमी एवं औद्योगिक शिखर सम्मेलन में विचार व्यक्त किया गया कि किसी भी चमत्कार के लिए विश्वास, प्रोत्साहन और निवेश महत्वपूर्ण है. यदि उद्यमियों की ओर से तीक्ष्ण और नए खोजी विचारों को प्रोत्साहन दिया जाता है और उनके कामों को आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया जाता है तो किसी भी चुनौती को आसानी से काबू पाया जा सकता है.

नए विचारों को प्रोत्साहित करने की जरूरत

कोविड -19 संकट ने हमारे देश में बहुत सारे स्टार्टअप के अरमानों को मिट्टी में मिला दिया दूसरी तरफ पड़ोसी जनवादी गणराज्य चीन है जो उसी अवधि में विनिर्माण उद्योगों के दुनिया के केंद्र के रूप में उभरा. चीन भी समय - समय पर तकनीकी अवसरों का लाभ उठाते दिख रहा है. हमारी सरकारें दावा कर रही हैं कि उनका लक्ष्य ऐसे व्यक्तियों का विकास करना है जो देश में ही रोजगार तलाशने के बजाय रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं. देश में स्थिति तभी सुधर सकती है जब सरकारें ऐसी रणनीतियों और योजनाओं को प्राथमिकता दी जो नए विचारों को प्रोत्साहित और प्रज्वलित करे.

पाठ्यक्रमों से विशेष रूचि बनाने की पहल

इजरायल, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी जैसे देश स्कूल स्तर पर ऐसे पाठ्यक्रम चला रहे हैं जिनसे छात्रों में कंप्यूटर विज्ञान में विशेष रुचि विकसित होती है. इससे उन्हें इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बेहतर उपलब्धि हासिल हो रही है. हमारे देश में इस तरह की प्रतिबद्धता में कमी है. जब अमेरिका के साथ तुलना की गई तो प्रतिबद्धता की कमी को लेकर तरुण खन्ना समिति को दुख जताना पड़ा कि भारत में उद्यमियों को अपने नए उद्योग शुरू करने के लिए धन प्राप्त करने में अमेरिका की तुलना में चार से पांच गुना अधिक संघर्ष करना पड़ता है.

केवल डिग्रियां सफलता के लिए योग्यता नहीं

जेएनटीयूएच जैसी संस्थाएं अपने छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. नया छोटा उद्यम शुरू करने के लिए इस तरह का प्रोत्साहन देना राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बनना चाहिए. हम लोगों को एक ऐसा पारदर्शी तंत्र विकसित करनी चाहिए जो योग्यता की पहचान और प्रोत्साहित करेगा, जिससे नया उद्यम शुरू करने का विचार शुरू होने से पहले ही नहीं दब जाएगा. व्हाट्सएप की कहानी ने स्पष्ट रूप से साबित कर दिया कि केवल डिग्रियां होना सफलता के लिए योग्यता नहीं हैं.

स्टार्टअप की ताकत

फेसबुक में नौकरी पाने में असफल होने के बाद ब्रायन एक्टन और जॉन कौम ने 2009 में व्हाट्सएप बनाया. पांच साल बाद उन्होंने इसे एक चौंका देने वाली कीमत पर बेच दिया. जिस फेसबुक ने उन्हें नौकरी नहीं दी थी उसने उनके एप को 1930 करोड़ अमेरिकी डॉलर (लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपए में ) खरीदा. पेटीएम, फ्लिपकार्ट, स्विगी, बाइजू और बिग बास्केट की सफलता की कहानियों से हमें स्टार्टअप की ताकत का पता चलता है.

आत्मनिर्भर भारत में मददगार

इन अनुमानों की पृष्ठभूमि में कि डिजिटल इंडिया के लिए 5 जी का युग स्वास्थ्य, शिक्षा, आतिथ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में अधिक रचनात्मकता का अवसर मुहैया कराएगा देश में नई रचनात्मक युक्तियां विकसित होनी चाहिए. विकास के ऐसे मार्ग को प्रशस्त करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में व्यापक सुधार, शिक्षणकर्मियों को प्रशिक्षण और गुणवत्ता वाले आविष्कारों को उचित प्रोत्साहन मिलना चाहिए. इस तरह की नीति से स्पष्ट रूप से समर्थ विकास के रूप में चमक आएगी जो आत्मनिर्भर भारत को सामने लाने में मददगार हो सकती है.

उन देशों में विकास को गति मिल रही है जो सराहनीय व्यावसायिक विचारों और नवीन तकनीकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं. इसके कई प्रेरणादायक उदाहरण हैं. इसके विपरीत हमारा देश ऐसा है जहां के इंजीनियरिंग कॉलेज शिक्षा के गिरे हुए स्तर के कारण बेरोजगार डिग्री धारकों के उत्पादन के कारखाने बन गए हैं.

इस संदर्भ में बीटेक के छात्रों के किए गए निर्माण को स्वीकार करने और मान्यता व प्रोत्साहन देने का तेलंगाना के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री केटीआर का सुझाव गंभीरता से विचार करने के लायक है. यदि रचनात्मकता और नए विचारों को प्रोत्साहित किया जाता है तो बहुत अच्छे उद्योगों को सामने लाया जा सकता है. अमूर्त आशावादी रहने के बजाय इसके लिए हर राज्य के पास उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए एक कार्य योजना होनी चाहिए.

प्रधानमंत्री की आकांक्षा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को अगर वास्तविकता में बदलना है तो सरकार की ओर से बहुत कुछ किया जाना बाकी है. आज के नए छोटे उद्यमों (स्टार्ट अप) को कल की बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बदलने की प्रधानमंत्री की आकांक्षा को साकार करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है. हैदराबाद में आयोजित उद्यमी एवं औद्योगिक शिखर सम्मेलन में विचार व्यक्त किया गया कि किसी भी चमत्कार के लिए विश्वास, प्रोत्साहन और निवेश महत्वपूर्ण है. यदि उद्यमियों की ओर से तीक्ष्ण और नए खोजी विचारों को प्रोत्साहन दिया जाता है और उनके कामों को आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया जाता है तो किसी भी चुनौती को आसानी से काबू पाया जा सकता है.

नए विचारों को प्रोत्साहित करने की जरूरत

कोविड -19 संकट ने हमारे देश में बहुत सारे स्टार्टअप के अरमानों को मिट्टी में मिला दिया दूसरी तरफ पड़ोसी जनवादी गणराज्य चीन है जो उसी अवधि में विनिर्माण उद्योगों के दुनिया के केंद्र के रूप में उभरा. चीन भी समय - समय पर तकनीकी अवसरों का लाभ उठाते दिख रहा है. हमारी सरकारें दावा कर रही हैं कि उनका लक्ष्य ऐसे व्यक्तियों का विकास करना है जो देश में ही रोजगार तलाशने के बजाय रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं. देश में स्थिति तभी सुधर सकती है जब सरकारें ऐसी रणनीतियों और योजनाओं को प्राथमिकता दी जो नए विचारों को प्रोत्साहित और प्रज्वलित करे.

पाठ्यक्रमों से विशेष रूचि बनाने की पहल

इजरायल, ब्रिटेन, रूस और जर्मनी जैसे देश स्कूल स्तर पर ऐसे पाठ्यक्रम चला रहे हैं जिनसे छात्रों में कंप्यूटर विज्ञान में विशेष रुचि विकसित होती है. इससे उन्हें इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बेहतर उपलब्धि हासिल हो रही है. हमारे देश में इस तरह की प्रतिबद्धता में कमी है. जब अमेरिका के साथ तुलना की गई तो प्रतिबद्धता की कमी को लेकर तरुण खन्ना समिति को दुख जताना पड़ा कि भारत में उद्यमियों को अपने नए उद्योग शुरू करने के लिए धन प्राप्त करने में अमेरिका की तुलना में चार से पांच गुना अधिक संघर्ष करना पड़ता है.

केवल डिग्रियां सफलता के लिए योग्यता नहीं

जेएनटीयूएच जैसी संस्थाएं अपने छात्रों को पढ़ाई पूरी करने के बाद खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. नया छोटा उद्यम शुरू करने के लिए इस तरह का प्रोत्साहन देना राष्ट्रीय नीति का हिस्सा बनना चाहिए. हम लोगों को एक ऐसा पारदर्शी तंत्र विकसित करनी चाहिए जो योग्यता की पहचान और प्रोत्साहित करेगा, जिससे नया उद्यम शुरू करने का विचार शुरू होने से पहले ही नहीं दब जाएगा. व्हाट्सएप की कहानी ने स्पष्ट रूप से साबित कर दिया कि केवल डिग्रियां होना सफलता के लिए योग्यता नहीं हैं.

स्टार्टअप की ताकत

फेसबुक में नौकरी पाने में असफल होने के बाद ब्रायन एक्टन और जॉन कौम ने 2009 में व्हाट्सएप बनाया. पांच साल बाद उन्होंने इसे एक चौंका देने वाली कीमत पर बेच दिया. जिस फेसबुक ने उन्हें नौकरी नहीं दी थी उसने उनके एप को 1930 करोड़ अमेरिकी डॉलर (लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपए में ) खरीदा. पेटीएम, फ्लिपकार्ट, स्विगी, बाइजू और बिग बास्केट की सफलता की कहानियों से हमें स्टार्टअप की ताकत का पता चलता है.

आत्मनिर्भर भारत में मददगार

इन अनुमानों की पृष्ठभूमि में कि डिजिटल इंडिया के लिए 5 जी का युग स्वास्थ्य, शिक्षा, आतिथ्य और कृषि जैसे क्षेत्रों में अधिक रचनात्मकता का अवसर मुहैया कराएगा देश में नई रचनात्मक युक्तियां विकसित होनी चाहिए. विकास के ऐसे मार्ग को प्रशस्त करने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में व्यापक सुधार, शिक्षणकर्मियों को प्रशिक्षण और गुणवत्ता वाले आविष्कारों को उचित प्रोत्साहन मिलना चाहिए. इस तरह की नीति से स्पष्ट रूप से समर्थ विकास के रूप में चमक आएगी जो आत्मनिर्भर भारत को सामने लाने में मददगार हो सकती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.