जलपाईगुड़ी (पश्चिम बंगाल): पिछले पखवाड़े में रहस्यमय परिस्थितियों में तीन कबूतरों का पता लगा है- सभी मामले ओडिशा और पश्चिम बंगाल के हैं. अजीब कोड, नंबर और पैर की उंगलियों से बंधे कैमरे से ये संदेह है कि इन पक्षियों को जासूसी में इस्तेमाल किया जा रहा है (Three pigeons traced with suspicious messages).
मंगलवार की सुबह जलपाईगुड़ी सदर प्रखंड के प्रधानपारा के कुछ निवासियों ने एक कबूतर देखा, जो बीमार लग रहा था. यह एक किराने की दुकान के ऊपर बैठा था. दुकान के मालिक दुलाल सरकार ने उसे पकड़ा तो देखा कि उसके पैर में एक अंगूठी जैसी चीज थी जिस पर फोन नंबर लिखा था. फोन नंबर हिमाचल प्रदेश के एमडी अकबर नाम के किसी व्यक्ति का था, लेकिन उसका इलाके से कोई संबंध नहीं है.
कबूतरों की गिरिराज प्रजाति को कभी जासूसों के रूप में इस्तेमाल किया जाता था (Spy Pigeon Found in wb), जिससे स्थानीय लोगों को संदेह हुआ कि पक्षी का इस्तेमाल सूचनाओं के लिए किया जा सकता है.
एक स्थानीय निवासी परिमल विश्वास ने कहा, 'हमने पुलिस को सूचित कर दिया है लेकिन हम कबूतर को अपने पास नहीं रख सकते हैं इसलिए हमने इसे खाली छोड़ दिया है.'
उन्होंने कहा कि नंबर हिमाचल प्रदेश का है लेकिन पता नहीं यह पक्षी करीब 1500 किलोमीटर उड़कर यहां कैसे आ गया. चूंकि यह घायल है, इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि यह कब तक यहां रहेगा.
वहीं, कोतवाली थाना प्रभारी निरीक्षक ने कहा, 'हम पक्षी की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रहे हैं. हमने इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी है. हम घटना के संबंध में और कुछ नहीं कह सकते.'
यह पहली बार नहीं बल्कि एक हफ्ते पहले पुरी में एक संदिग्ध कबूतर के पैरों में कागज के स्टिकर लगे मिले थे. सादे दिखने वाले ग्रे कबूतर के पैरों में सुनहरे और सफेद रंग के दो स्टिकर लगे हुए थे. सफेद रंग के टैग पर '31' लिखा था. गोल्डन टैग पर अंग्रेजी फॉन्ट में 'रेड्डी वीएसपी डीएन' लिखा हुआ था. दोनों कोड डिकोड नहीं किए जा सके हैं.
उससे पहले 8 मार्च को ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के पारादीप तट पर सारथी नाम की एक नाव से मछुआरों ने एक पक्षी को पकड़ा था, जिसके पैर पर कैमरा और चिप लगा था.
उर्दू और चीनी भाषा में सांकेतिक संदेश भी लिखे हुए थे. मछुआरों ने कबूतर की सूचना समुद्री थाना पुलिस को दी, जिसने पक्षी को अपने कब्जे में ले लिया. इसके पंखों पर एक विदेशी भाषा का टैग लगा हुआ पाया गया, और यह संदेह है कि पक्षी का इस्तेमाल जासूसी के उद्देश्य से किया जा रहा था. पुलिस ने एक जांच शुरू कर दी है, और कैमरा, चिप और टैग राज्य फोरेंसिक प्रयोगशाला को भेजा जाएगा कि क्या कैमरा वास्तव में जासूसी के लिए इस्तेमाल किया गया था, लेकिन इस मामले में अब तक कुछ भी सामने नहीं आया है.
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