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एसएमए से पीड़ित तीन बच्चों को मिली 16-16 करोड़ रुपये की दवा - सएमए से पीड़ित तीन बच्चों को मिली 16 करोड़ रुपये की दवा

एसएमए से पीड़ित तीन बच्चों को अनुकंपा पहुंच कार्यक्रम के तहत प्रत्येक को 16 करोड़ रुपये की दवा मिली. किलर स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित तीन बच्चों को गुरुवार को अनुकंपा पहुंच कार्यक्रम के तहत 16 करोड़ रुपये की दवा मिली है.

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Published : Jun 17, 2021, 11:48 PM IST

बेंगलुरु : बैपटिस्ट अस्पताल के डॉ एन एग्नेस मैथ्यू ने कहा कि उनके अलावा इसी बीमारी से पीड़ित तीन अन्य बच्चों को एक और दवा मिलेगी. जिसकी कीमत लगभग 70 लाख रुपये है. मैथ्यू ने बताया लकी ड्रा के तहत इन तीनों बच्चों को 'जोलगेन्स्मा' मिलेगी. प्रत्येक खुराक की कीमत 16 करोड़ रुपए है. उनके मुताबिक दो मरीज हैदराबाद और एक बेंगलुरु का है.

बच्चों को लकी ड्रा में चुना गया. डॉ. मैथ्यू ने कहा कि यह दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रभावी है. बीमारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या एसएमए तंत्रिका कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता है, जो मस्तिष्क से मांसपेशियों तक विद्युत संकेतों को ले जाती हैं.

इस संकेतन के लिए आवश्यक प्रोटीन को एक जीन द्वारा कोडित किया जाता है, जिसके लिए सभी की दो प्रतियां होती हैं. एक मां से और दूसरी पिता से. उसने कहा कि एक बच्चे को यह विकार तभी विकसित होता है जब दोनों प्रतियां दोषपूर्ण हों. इलाज के बिना यह बीमारी अंततः घातक है.

डॉ मैथ्यू ने कहा कि इलाज बहुत महंगा है और आम आदमी की पहुंच से बाहर है और केवल एक अरबपति ही इसे वहन कर सकता है. डॉ मैथ्यू ने कहा कि जोल्गेन्स्मा एक जीन थेरेपी है, जिसका उद्देश्य दोषपूर्ण जीन को बदलकर बीमारी का इलाज करना है. उन्होंने कहा कि यह एक बार का शॉट है और बच्चे को इससे हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है लेकिन यह दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रभावी है.

यह भी पढ़ें-नंदीग्राम चुनाव नतीजा : ममता कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंचीं, शुक्रवार को सुनवाई

डॉ. मैथ्यू ने कहा कि एसएमए से पीड़ित तीन अन्य बच्चे जिनकी उम्र दो साल से अधिक है, उन्हें एक एनजीओ के माध्यम से स्पिनराजा दिया जाएगा, जिसकी लागत 70 लाख रुपये है. इस साल 16 फरवरी को उत्तर कन्नड़ जिले के भटकल की एक 14 महीने की लड़की फातिमा को बैपटिस्ट अस्पताल में जोल्गेन्स्मा मिला.

बेंगलुरु : बैपटिस्ट अस्पताल के डॉ एन एग्नेस मैथ्यू ने कहा कि उनके अलावा इसी बीमारी से पीड़ित तीन अन्य बच्चों को एक और दवा मिलेगी. जिसकी कीमत लगभग 70 लाख रुपये है. मैथ्यू ने बताया लकी ड्रा के तहत इन तीनों बच्चों को 'जोलगेन्स्मा' मिलेगी. प्रत्येक खुराक की कीमत 16 करोड़ रुपए है. उनके मुताबिक दो मरीज हैदराबाद और एक बेंगलुरु का है.

बच्चों को लकी ड्रा में चुना गया. डॉ. मैथ्यू ने कहा कि यह दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रभावी है. बीमारी के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या एसएमए तंत्रिका कोशिकाओं के नुकसान के कारण होता है, जो मस्तिष्क से मांसपेशियों तक विद्युत संकेतों को ले जाती हैं.

इस संकेतन के लिए आवश्यक प्रोटीन को एक जीन द्वारा कोडित किया जाता है, जिसके लिए सभी की दो प्रतियां होती हैं. एक मां से और दूसरी पिता से. उसने कहा कि एक बच्चे को यह विकार तभी विकसित होता है जब दोनों प्रतियां दोषपूर्ण हों. इलाज के बिना यह बीमारी अंततः घातक है.

डॉ मैथ्यू ने कहा कि इलाज बहुत महंगा है और आम आदमी की पहुंच से बाहर है और केवल एक अरबपति ही इसे वहन कर सकता है. डॉ मैथ्यू ने कहा कि जोल्गेन्स्मा एक जीन थेरेपी है, जिसका उद्देश्य दोषपूर्ण जीन को बदलकर बीमारी का इलाज करना है. उन्होंने कहा कि यह एक बार का शॉट है और बच्चे को इससे हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है लेकिन यह दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रभावी है.

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डॉ. मैथ्यू ने कहा कि एसएमए से पीड़ित तीन अन्य बच्चे जिनकी उम्र दो साल से अधिक है, उन्हें एक एनजीओ के माध्यम से स्पिनराजा दिया जाएगा, जिसकी लागत 70 लाख रुपये है. इस साल 16 फरवरी को उत्तर कन्नड़ जिले के भटकल की एक 14 महीने की लड़की फातिमा को बैपटिस्ट अस्पताल में जोल्गेन्स्मा मिला.

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