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राष्ट्रवाद की बात करने वाले जवाब दें कि सशस्त्र बलों में 1.22 लाख रिक्तियां क्यों: सचिन पायलट

कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Congress leader Sachin Pilot) ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि राष्ट्रवाद की बात करने वालों को जवाब देना चाहिए कि सशस्त्र बलों में 1.22 लाख रिक्तियां क्यों हैं? उनकी यह टिप्पणी एक कांग्रेस पुस्तिका 'शौर्य के नाम पर वोट, सेना के हितों पर चोट' के विमोचन कार्यक्रम में सामने आई.

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सचिन पायलट
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Published : Jan 28, 2022, 5:34 PM IST

चंडीगढ़ : कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Congress leader Sachin Pilot) ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राष्ट्रवाद की बात करने वालों को जवाब देना चाहिए कि सशस्त्र बलों में 1.22 लाख रिक्तियां क्यों हैं? जिन्हें अभी तक नहीं भरा गया. कांग्रेस पुस्तिका 'शौर्य के नाम पर वोट, सेना के हितों पर चोट' के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने बीजेपी की केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला.

इस पुस्तिका में यह जिक्र किया गया है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने सशस्त्र बलों के कर्मियों के हितों के साथ समझौता कैसे किया. लेकिन उनकी वीरता के नाम पर वोट की मांग की जाती है. यह दस्तावेज सरकारी बयानों और आधिकारिक आंकड़ों से तैयार किया गया है. पायलट ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा के साथ पुस्तिका का विमोचन किया है. संसद में सरकार की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेस नेता पायलट ने दावा किया कि सशस्त्र बलों में 122555 रिक्तियां हैं लेकिन सरकार इन रिक्तियों को भरने या सैनिकों के कल्याण के लिए कुछ नहीं कर रही है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जो लोग राष्ट्रवाद की बात करते हैं उन्हें जवाब देना चाहिए कि ये पद पिछले सात साल से क्यों नहीं भरे गए. पायलट ने कहा कि सरकार ने स्वीकार किया है कि सशस्त्र बलों में 122555 पद खाली हैं, जिनमें से 10000 पद अधिकारियों के हैं. कहीं न कहीं हम बाहरी सुरक्षा के बुनियादी ढांचे से समझौता कर रहे हैं. पंजाब में 20 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जारी की गई पुस्तिका पर उन्होंने कहा कि क्योंकि हम मानते हैं कि इस देश और पंजाब, जो एक सीमावर्ती राज्य है, जहां बहादुर लोगों ने विभिन्न चुनौतियों का सामना किया है, को सच्चाई जानने की जरूरत है.

पायलट ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने सैनिकों की विकलांगता पेंशन पर कर लगाया है और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में सैनिकों के साथ भेदभाव किया गया है. कांग्रेस की पुस्तिका में दावा किया गया है कि पूर्व सैनिकों को एक रैंक, एक पेंशन (ओआरओपी) के नाम पर धोखा दिया गया है. पायलट ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने फरवरी 2014 में ओआरओपी को मंजूरी दी थी.

उन्होंने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार आई लेकिन सात साल बाद भी 30 लाख पूर्व सैनिकों को कुछ नहीं मिला. इसके अलावा सैनिकों और उनके परिवारों के लिए ईसीएचएस योजना के लिए बजट में लगभग 2000 करोड़ रुपये की कमी की गई है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सीएसडी कैंटीन में पहली बार खरीदारी जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के तहत आई है और कोई कितना खरीद सकता है इसकी ऊपरी सीमा तय की गई है.

उन्होंने कहा कि सैनिकों की विकलांगता पेंशन को कर योग्य बनाया गया है. सातवें वेतन आयोग में सैनिकों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है. उदाहरण के लिए, रक्षा सेवा अधिकारियों और सिविल सेवा अधिकारियों के वेतनमान, वेतन की तुलना करें तो एक अतिरिक्त सचिव, भारत सरकार को 60,000 रुपये की विकलांगता पेंशन मिलती है. जबकि लेफ्टिनेंट जनरल को 27000 रुपये मिलते हैं. हम यह नहीं कह रहे हैं कि किसी की पेंशन कम होनी चाहिए लेकिन यह असमानता क्यों है?

पायलट ने कहा कि बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ, एसएसबी सहित अर्धसैनिक बलों के जवान कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में और आतंकवादियों और नक्सली खतरों का मुकाबला करने वाले क्षेत्रों में अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार आतंकवादी और नक्सली हमलों में जान देने वालों को शहीद का दर्जा देने से इनकार करती है. पायलट ने कहा कि कांग्रेस एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाती है और पार्टी के सांसदों ने संसद में कई मौकों पर इन मुद्दों को उठाया लेकिन कोई बहस नहीं होती है और सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया दी जाती है.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी ने पहनी सिख कैडेट की पगड़ी, जानें उनकी पगड़ियों की परंपरा

उन्होंने कहा कि जो लोग राष्ट्रवादी और देशभक्त होने का दावा करते हैं उन्हें जुबानी नहीं करनी चाहिए बल्कि सेवारत और पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए वास्तविक कदम उठाना चाहिए. हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है, वे एक संपत्ति हैं. इसमें कोई राजनीति नहीं है लेकिन हम मानते हैं कि यह हमारा कर्तव्य, हमारा अधिकार और जिम्मेदारी है ताकि लोगों को तथ्य ज्ञात हों ताकि भारत सरकार अंततः यह महसूस करे कि उन्हें बजटीय आवंटन में क्या करना है.

चंडीगढ़ : कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Congress leader Sachin Pilot) ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि राष्ट्रवाद की बात करने वालों को जवाब देना चाहिए कि सशस्त्र बलों में 1.22 लाख रिक्तियां क्यों हैं? जिन्हें अभी तक नहीं भरा गया. कांग्रेस पुस्तिका 'शौर्य के नाम पर वोट, सेना के हितों पर चोट' के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने बीजेपी की केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला.

इस पुस्तिका में यह जिक्र किया गया है कि केंद्र की भाजपा सरकार ने सशस्त्र बलों के कर्मियों के हितों के साथ समझौता कैसे किया. लेकिन उनकी वीरता के नाम पर वोट की मांग की जाती है. यह दस्तावेज सरकारी बयानों और आधिकारिक आंकड़ों से तैयार किया गया है. पायलट ने कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा के साथ पुस्तिका का विमोचन किया है. संसद में सरकार की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेस नेता पायलट ने दावा किया कि सशस्त्र बलों में 122555 रिक्तियां हैं लेकिन सरकार इन रिक्तियों को भरने या सैनिकों के कल्याण के लिए कुछ नहीं कर रही है.

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि जो लोग राष्ट्रवाद की बात करते हैं उन्हें जवाब देना चाहिए कि ये पद पिछले सात साल से क्यों नहीं भरे गए. पायलट ने कहा कि सरकार ने स्वीकार किया है कि सशस्त्र बलों में 122555 पद खाली हैं, जिनमें से 10000 पद अधिकारियों के हैं. कहीं न कहीं हम बाहरी सुरक्षा के बुनियादी ढांचे से समझौता कर रहे हैं. पंजाब में 20 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जारी की गई पुस्तिका पर उन्होंने कहा कि क्योंकि हम मानते हैं कि इस देश और पंजाब, जो एक सीमावर्ती राज्य है, जहां बहादुर लोगों ने विभिन्न चुनौतियों का सामना किया है, को सच्चाई जानने की जरूरत है.

पायलट ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने सैनिकों की विकलांगता पेंशन पर कर लगाया है और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में सैनिकों के साथ भेदभाव किया गया है. कांग्रेस की पुस्तिका में दावा किया गया है कि पूर्व सैनिकों को एक रैंक, एक पेंशन (ओआरओपी) के नाम पर धोखा दिया गया है. पायलट ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने फरवरी 2014 में ओआरओपी को मंजूरी दी थी.

उन्होंने कहा कि 2014 लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार आई लेकिन सात साल बाद भी 30 लाख पूर्व सैनिकों को कुछ नहीं मिला. इसके अलावा सैनिकों और उनके परिवारों के लिए ईसीएचएस योजना के लिए बजट में लगभग 2000 करोड़ रुपये की कमी की गई है. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि सीएसडी कैंटीन में पहली बार खरीदारी जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के तहत आई है और कोई कितना खरीद सकता है इसकी ऊपरी सीमा तय की गई है.

उन्होंने कहा कि सैनिकों की विकलांगता पेंशन को कर योग्य बनाया गया है. सातवें वेतन आयोग में सैनिकों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है. उदाहरण के लिए, रक्षा सेवा अधिकारियों और सिविल सेवा अधिकारियों के वेतनमान, वेतन की तुलना करें तो एक अतिरिक्त सचिव, भारत सरकार को 60,000 रुपये की विकलांगता पेंशन मिलती है. जबकि लेफ्टिनेंट जनरल को 27000 रुपये मिलते हैं. हम यह नहीं कह रहे हैं कि किसी की पेंशन कम होनी चाहिए लेकिन यह असमानता क्यों है?

पायलट ने कहा कि बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ, एसएसबी सहित अर्धसैनिक बलों के जवान कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में और आतंकवादियों और नक्सली खतरों का मुकाबला करने वाले क्षेत्रों में अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन सरकार आतंकवादी और नक्सली हमलों में जान देने वालों को शहीद का दर्जा देने से इनकार करती है. पायलट ने कहा कि कांग्रेस एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभाती है और पार्टी के सांसदों ने संसद में कई मौकों पर इन मुद्दों को उठाया लेकिन कोई बहस नहीं होती है और सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया दी जाती है.

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उन्होंने कहा कि जो लोग राष्ट्रवादी और देशभक्त होने का दावा करते हैं उन्हें जुबानी नहीं करनी चाहिए बल्कि सेवारत और पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए वास्तविक कदम उठाना चाहिए. हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है, वे एक संपत्ति हैं. इसमें कोई राजनीति नहीं है लेकिन हम मानते हैं कि यह हमारा कर्तव्य, हमारा अधिकार और जिम्मेदारी है ताकि लोगों को तथ्य ज्ञात हों ताकि भारत सरकार अंततः यह महसूस करे कि उन्हें बजटीय आवंटन में क्या करना है.

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