वाराणसी: विधानसभा में चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने दोबारा सत्ता हासिल कर इतिहास रच दिया है. योगी आदित्यनाथ 25 मार्च को दोबारा उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री का शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे. नए मंत्रियों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. चर्चा है कि इस बार भी दो डिप्टी सीएम तो होंगे मगर पुराने चेहरे नहीं होंगे. इसी तरह वाराणसी जिले से कितने मंत्री बनाए जाएंगे, इस पर भी कयासबाजी चल रही है.
यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दोबारा वाराणसी की आठ सीटों पर क्लीन स्वीप कर इतिहास रच दिया. चुनाव से पहले यह आशंका जताई जा रही थी जिले में बीजेपी की दो-तीन सीट फंस सकती है, मगर ऐसा नहीं हुआ. तीन मंत्री समेत सभी प्रत्याशी भारी बहुमत से जीत गए. 2017 में बनारस जिले से 1 कैबिनेट और 2 स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाए गए थे. तब डॉ. नीलकंठ तिवारी, अनिल राजभर और रविंद्र जायसवाल मंत्री बने थे. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार जिले से मंत्रियों की संख्या बढ़ेगी.
राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर रवि प्रकाश पांडे ने बताया कि संभवत: इस बार पुराने मंत्रियों का प्रमोशन हो सकता है, साथ ही जातीय समीकरण के आधार पर योगी आदित्यनाथ के नए मंत्रिमंडल में बनारस के अन्य चेहरों को जगह मिल सकती है. अनिल राजभर राजभर समाज का बड़ा चेहरा हैं. डॉक्टर नीलकंठ तिवारी ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये दोनों मंत्री परिषद में शामिल रह सकते हैं. बनिया समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले रविंद्र जायसवाल के कद में बढ़ोतरी की जा सकती है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस बार वाराणसी क्षेत्र के दो विधायक डॉक्टर अवधेश राय और दूसरा सौरभ श्रीवास्तव में से किसी एक को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है. डॉक्टर अवधेश पिंडरा में लगातार दो बार जीत हासिल कर चुके हैं. कांग्रेस के अजय राय को दूसरी बार हराकर वह पूर्वांचल का बड़ा भूमिहार चेहरा बन चुके हैं. इस जीत का फायदा उन्हें मिल सकता है.
इसके अलावा वाराणसी कैंट से जीते युवा चेहरे सौरव श्रीवास्तव पर भी बीजेपी भरोसा जता सकती है. उनका बैकग्राउंड आरएसएस और बीजेपी से जुड़ा है. उन्होंने भी दूसरी बार लगातार जीत दर्ज की है. प्रोफेसर रवि प्रकाश पांडे मानते हैं कि अगर इन दो विधायकों में मंत्री पद के लिए रेस होती है तो डॉक्टर अवधेश राय पिछड़ सकते हैं. भाजपा का एक ट्रेंड रहा है कि वह बाहर से आए व्यक्तियों के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी नहीं देती, वह अपना कैडर को आगे बढ़ाती है. अब ये देखना होगा कि किसे जगह मिलती है. फिलहाल मंत्रिमंडल में शामिल होने की चाह में विधायक लखनऊ व दिल्ली का चक्कर भी लगा रहे हैं और विधायक के समर्थक सोशल मीडिया व अन्य प्लेटफार्म पर उनके पक्ष में हवा बनाने में जुटे हैं.