सोनभद्र : क्या किसी महिला के हल छूने पर विवाद हो सकता है ?, क्या मान्यताओं को चुनौती देने वाली गलती माफ नहीं की जा सकती ?, क्या मान्यताओं को किसी महिला के मान-सम्मान से ज्यादा महत्व मिलना चाहिए ?, ऐसे कई सवाल भरी पंचायत में मौजूद एक महिला के जेहन में उठ रहे थे. यहां उसे दंडित किए जाने का फैसला लिया जाना था. महिला का कसूर महज इतना था कि उसने खेत में पड़े हल को चोरी होने के डर से घर में लाकर रख दिया था. आदिवासी परंपरा का हवाला देकर पंचायत में लोग उसे कोस रहे थे, महिला खामोश होकर पंचायत के फैसले का इंतजार कर रही है. शुक्र था कि ऐन वक्त पर पुलिस की एंट्री हो गई. इसके बाद पंचायत को पीछे हटना पड़ा.
महिला के खिलाफ हो गए ग्रामीण : आगे की रोचक कहानी बताने के लिए आपको म्योरपुर थाना क्षेत्र के रास पहरी गांव में लेकर चलते हैं. मामला कुछ दिनों पुराना है. यहां की एक महिला अपने खेत पर गई थी. वहां पर हल पड़ा हुआ था. महिला को फिक्र थी कि कहीं हल चोरी न हो जाए, इसलिए उसने हल को घर पर लाकर रख दिया. महिला को हल लाते हुए पड़ोसियों ने देख लिया था. इसके बाद वे विरोध जताने लगे. कहने लगे कि महिला ने सदियों से चली आ रही मान्यता को तोड़ दिया है. इसके लिए महिला को माफ नहीं किया जा सकता है. महिला के परिजन भी मामले में कुछ कहने का साहस नहीं जुटा पाए. तय हुआ कि पंचायत बुलाकर महिला को दंडित किया जाए, जिससे गांव की कोई अन्य महिला ऐसी गलती न कर पाए.
दंडित करने के लिए बुलाई गई पंचायत : आदिवासी ग्रामीण महिला को गलत ठहराने पर तुले थे. बुधवार को आदिवासी समाज की पंचायत बुलाई गई. पंचों का कहना था कि महिला ने गलती की है, उसे दंडित किया जाना जरूरी है. प्राथमिक विद्यालय कोटरडूबा के पास चल रही इस पंचायत की जानकारी पुलिस हो गई. इसके बाद पुलिस मौके पर पहुंच गई. पुलिस सभी को म्योरपुर थाने लेकर चली आई. थाने में कई घंटे तक पुलिस की मौजूदगी में बातचीत होती रही. ग्रामीणों का कहना था कि हम आदिवासी लोग काफी समय से मान्यताओं और परंपराओं का पालन करते चले आ रहे हैं. महिला ने ऐसी गलती की है कि इसकी भरपाई पूरे गांव के लोग भी नहीं कर सकते हैं.
'हल छू देने से नहीं होती बारिश' : ग्रामीणों ने बताया कि 'हमारे यहां आदिवासी समाज की कुछ अलग मान्यताएं और परंपराएं हैं. माना जाता है कि महिला के हल छू देने से बारिश नहीं होती है. हमारे पूर्वज भी इसका पालन करते रहे हैं. जब से महिला ने ऐसा किया है, तब से बारिश नहीं हो रही है, जबकि इस समय सभी को बारिश का इंतजार है. महिला की यह गलती माफी के काबिल नहीं है. वह सजा की हकदार है. इसलिए पंचायत बुलाकर महिला को दंड दिए जाने पर फैसला लिया जाना था'
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एसओ बोले- दूसरे गांवों में भी तो नहीं हो रही बारिश : थाने में ग्रामीणों के साथ हल छूने वाली महिला भी पहुंची थी. ग्रामीणों के दलील के बाद थानाध्यक्ष म्योरपुर लक्ष्मण पार्वत ने कहा कि 'मतलब, ग्रामीणों के अनुसार यह माना जाए कि महिला के हल छूने के कारण रास पहरी गांव में बारिश नहीं हो रही है, लेकिन बगल के कई गांवों में भी तो बारिश नहीं हो रही है, क्या वहां भी किसी महिला ने हल छू लिया है. महिला का कोई दोष नहीं है. उसने हल को सुरक्षित करने के लिहाज से ऐसा किया. परंपराओं और मान्यताओं के पालन में कोई बुराई नहीं, लेकिन ध्यान रखें कि ये अंधविश्वास के रूप में समाज के सामने न आ पाएं. यह मामला पूरी तरह अंधविश्वास से प्रेरित है, इसे तूल न दिया जाए'.
महिला ने मांगी माफी : थाना पुलिस के समझाने के बाद आदिवासी समाज के लोग गांव लौट गए. थानाध्यक्ष ने बताया कि आदिवासी ग्रामीणों को समझा-बुझा कर शांत कराया गया. उन्हें अंधविश्वास से दूर रहने के लिए कहा गया है. महिला ने भी माफी मांग ली. इस मामले में किसी तरह की तहरीर नहीं दी गई थी, इसलिए कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है.
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